राष्ट्रीय सौर मिशनः इसका लक्ष्य सन् 2020 तक देश में 20,000 मेगावाट की सौर बिजली मेगावाट संस्थापित करना है जिसका पहला चरण चल रहा है। इसमें 1000 मेगावाट की क्षमता संस्थापित किए जाने की योजना है। चरण 2 में कुल वित्तीय परिव्यय 4337 करोड़ रुपए अनुमानित है।
राष्ट्रीय वर्धित ऊर्जा क्षमता मिशनः नई संस्थागत प्रणालियों को सृजित करना जिससे एनर्जी एफिसिएयेंसी बाजारों का विकास और उन्हें सुदृढ़ किया जा सके। कई कार्यक्रम शुरू किए गए जिनमें सम्मिलित हैं बड़े उद्योगों के कारगरता संवर्धित करने के लिए पीएटी प्रणाली, और सुपर-एफिसिएंस उपकरण लगाने के कार्य को तीव्र करने के लिए सुपर-एफिसिंएट उपकरण कार्यक्रम। इस मिशन के अंतर्गत 2010 से 2012 के बीच अनुमानित कुल आवश्यकता 42535 करोड़ रुपए है। इसका आशय एनर्जी एफिसिएंसी मार्किट में निजी क्षेत्र के निवेश को आकृष्ट करना है।
राष्ट्रीय वहनीय पर्यावास मिशनः नगरों में वहनीय परिवहन, ऊर्जा अनुकूल भवनों, और वहनीय अपशिष्ट प्रबंधन की शुरूआत को संवर्धित करना। इस मिशन दस्तावेज में अनुमानित कुल लागत 1000 करोड़ रुपए परिलक्षित की गयी है।
राष्ट्रीय जल मिशनः जल संसाधनों के एकीकृत प्रबंध का संवर्धन और जल के इस्तेमाल में 20 प्रतिशत तक किफायत को बढ़ावा देना उद्देश्य है। इस मिशन दस्तावेज के अनुसार, 11वीं और 12वीं पंचवर्षीय योजना अवधियों में, इस मिशन को क्रियान्वित करने के लिए अपेक्षित कुल अनुमानित अतिरिक्त निधियां 89,101 करोड़ रुपए हैं। इसके अंतर्गत राज्य आयोजनाओं और केंद्रीय आयोजना के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही योजनाओं पर होने वाला व्यय भी सम्मिलित है।
राष्ट्रीय हिमालयी पारिस्थिकी संवर्धन मिशनः हिमालयी पर्यावरण के लिए प्रेक्षणात्मक और मानीटरी प्रणाली की पारिस्थिकी संवर्धन स्थापना करना ताकि हिमालयाई हिम-खंडों (ग्लेशियरों) पर जलवायु मिशन परिवर्तन का अंदाजा लगाया जा सके और इन परिस्थितियों के समुदाय-आधारित प्रबंधन को संवर्धित करना।
राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशनः लक्ष्य वन भूमियों, बजट भूमियों और सामुदायिक भूमि के अतिरिक्त 10 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल में वनरोपण का अनुरोध है। अगले 10 वर्षों में 10 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल में वनरोपण करने के लिए इस मिशन के अंतर्गत 46,000 करोड़ रुपए का व्यय अनुमानित है।
राष्ट्रीय सतत कृषि विकास मिशनः इसका उद्देश्य है कृषि पैदावार बढ़ाने तथा कृषि समुत्थान पर ध्यान देना ताकि मौसम, सूखे के लंबे दौर, बाढ़, और परिवर्तनीय आर्द्रता उपलब्धता की अत्याधिक मार को कम किया जा सके। इस मिशन के अंतर्गत प्रस्तावित अनुकूलन और अल्पीकरण कार्यों के लिए 1,08,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त बजटीय सहायता की आवश्यकता होगी जिसमें से 91,800 करोड़ रुपए की आवश्यकता 12वीं पंचवर्षीय योजना में होगी।
राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन संबंधी कार्यनीतिकः जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों को अभिज्ञात करना विकास को बढ़ावा देना और स्वास्थ्य, जन-सांख्यिकी, दूसरे स्थान पर बस जाना, और तटीय क्षत्रें में रहने वाले समुदायों की उपजीविका के क्षेत्रें में इन चुनौतियों के प्रत्युत्तर पर ज्ञान का प्रसार करना है। मिशन कार्यों को क्रियान्वित करने के लिए ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में 150 करोड़ रुपए की अतिरिक्त निधियों की आवश्यकता है।