Question : राजेश कुमार एक वरिष्ठ लोक सेवक हैं, जिनकी ईमानदारी एवं स्पष्टवादिता की प्रतिष्ठा है, आजकल वित्त मंत्रालय के बजट विभाग के प्रमुख है। वर्तमान में उनका विभाग राज्यों को बजटीय सहायता की व्यवस्था करने में व्यस्त है, जिनमें से चार राज्यों में इसी वित्तीय वर्ष में चुनाव होने हैं।
इस वर्ष के वार्षिक बजट ने राष्ट्रीय आवास योजना (NHS) को रु. 8300 करोड़ आवंटित किये थे। यह समाज के कमजोर समूहों के लिये केन्द्र प्रयोजित सामाजिक आवास योजना है। जून माह तक रु. 775 करोड़ एन.एच.एस. हेतु लिये गये हैं।
निर्यात को बढ़ावा देने के लिये वाणिज्य मंत्रालय काफी समय से एक दक्षिणी राज्य में विशेष आर्थिक जोन (SEZ) स्थापित करने की पैरवी कर रहा है। केन्द्र एवं राज्यों के मध्य दो वर्षों तक चली विस्तृत चर्चा के बाद अगस्त माह में केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने इस योजना को स्वीकृति प्रदान की। आवश्यक भूमि प्राप्त करने के लिये प्रक्रिया प्रारम्भ की गई।
अट्टारह माह पूर्व एक उत्तरी राज्य में क्षेत्रीय गैस ग्रिड के लिये एक प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई ने विशाल गैस प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने की आवश्यकता बताई थी। सार्वजनिक क्षेत्र की ईकाई (पी.एस.यू.) के पास आवश्यक भूमि पहले से ही है। राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा व्यूह रचना में यह गैस ग्रिड एक अनिवार्य घटक है। वैश्विक बोली (ग्लोबल बिडिंग) के तीन चरणों के बाद इस योजना को एक बहुराष्ट्रीय उद्योग (एम.एन.सी.) मैसर्स XYZ हाइड्रोकार्बन को आवंटित किया गया। दिसम्बर में इस बहुराष्ट्रीय उद्योग को भुगतान की पहली किश्त देना निर्धारित है। इन दो विकास योजनाओं को समय से रु.6000 करोड़ की अतिरिक्त राशि आवंटित करने के लिये वित्त मंत्रालय को कहा गया। यह निर्णय लिया गया कि पूरी राशि NHS आवंटन में से पुनर्विनियोजित करने की संस्तुति की जाए। फाइल की समीक्षा और अग्रिम कार्यवाही के लिये बजट विभाग में प्रेषित कर दिया गया। फाइल का अध्ययन करने पर राजेश कुमार को यह आभास हुआ कि पुनर्विनियोजन करने से NHS योजना की क्रियान्वित करने में अत्यधिक विलम्ब हो सकता है, वरिष्ठ राजनेताओं द्वारा आयोजित सभाओं में इस योजना की काफी चर्चा हुई है। दूसरी ओर वित्त की अनुपलब्धता से SZE में वित्तीय क्षति होगी और अन्तरराष्ट्रीय योजना में विलबिंत भुगतान से राष्ट्रीय शर्मिंदगी भी।
राजेश कुमार ने इस प्रसंग को अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया। उन्हें बताया गया कि राजनीतिक रूप से इस संवेदनशील स्थिति पर तुरन्त कार्यवाही होनी चाहिये। राजेश कुमार ने महसूस किया कि NHS योजना से राशि के विपथन पर सरकार के लिये संसद में कठिन प्रश्न खड़े हो सकते हैं।
इस प्रसंग के सन्दर्भ में निम्नलिखित का विवेचना कीजिये-
(2020)
Answer : उपर्युक्त केस स्टडी राष्ट्र के आर्थिक विकास एवं लोक कल्याणकारी योजनाओं के चयन में सन्तुलन स्थापित करने से संबंधित है। यद्यपि भारत के संविधान के दृष्टिकोण से देखा जाये तो नीति निदेशक तत्व राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ ही लोक कल्याण पर समान बल देते हैं। ऐसी स्थिति में आर्थिक विकास एवं लोक कल्याण के मध्य चुनाव करने की भी नैतिक दुविधा उत्पन्न हो जाती है। इस संबंध में जो नीतिपरक मुद्दे सामने आते हैं, वे निम्नलिखित हैं-
इन परिस्थितियों में राजेश के समक्ष उपलब्ध विकल्प
पदत्याग एक योग्य विकल्प हो सकता है?- राजेश कुमार एक वरिष्ठ एवं ईमानदार लोक सेवक हैं। ऐसी स्थिति में पदत्याग करना उनका अपने कर्त्तव्य से विमुख होना होगा, जो किसी भी स्थिति में उन्हें स्वीकार्य नहीं होगा क्योंकि नैतिक रूप से यह विकल्प एक ईमानदार व्यक्ति शायद ही चुने।
अतः राजेश कुमार की अपने पद की गरिमा बनाये रखते हुये मध्यम मार्ग का चयन करना चाहिये, जिससे लोक कल्याण भी बाधित न हो एवं आर्थिक विकास के लिये भी मार्ग प्रशस्त हो सके तथा वंचित वर्गों एवं राष्ट्र दोनों का विकास सुचारू रूप से हो।
Question : भारत मिसाइल लिमिटेड (बी.एम.एल.) के अध्यक्ष टीवी पर एक कार्यक्रम देख रहे थे, जिसमें प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत के विकास की आवश्यकता पर राष्ट्र को संबोधित कर रहे थे। अवचेतन रूप में उन्होंने हामी भरी और मन ही मन मुस्कुराते हुये बी.एम.एल. की विगत दो दशकों की यात्रओं की मानसिक पुनर्समीक्षा की। प्रथम पीढ़ी (फर्स्ट जेनरेशन) की एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) के उत्पादन में प्रशंसनीय रूप से आगे बढ़कर बी.एम.एल. अब अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित ए.टी.जी.एम. हथियार प्रणालियों को डिजाइन एवं उनका उत्पादन कर रहा था, जो विश्व की किसी भी सेना के लिये ईर्ष्या का कारण होगा। आह भरते हुये उन्होंने अपनी इस पूर्वधारणा के साथ समझौता किया कि संभाव्यता सरकार सैनिक हथियारों के निर्यात पर प्रतिबन्ध की यथास्थिति को नहीं बदलेगी। उन्हें आश्चर्य हुआ कि अगले ही दिन महानिदेशक रक्षा मंत्रालय से बी.एम.एल. द्वारा ए.टी.जी.एम. के उत्पादन में वृद्धि करने की शक्तियों पर चर्चा के लिये उन्हें फोन आया क्योंकि संभावना है कि एक मित्र विदेशी देश को उनका निर्यात किया जा सकता है। महार्निदेशक चाहते हैं कि अध्यक्ष अगले सप्ताह दिल्ली में उनके अधिकारियों से विस्तृत चर्चा करें।
दो दिन बाद, एक संवाददाता सम्मेलन में रक्षामंत्री ने कहा कि अगले 5 वर्षों में वे वर्तमान हथियार निर्यात स्तरों को दोगुना करने का ध्येय रखते हैं। यह देशज हथियारों के विकास और निर्माण के वित्तपोषण को प्रोत्साहन देगा। उन्होंने यह भी कहा कि सभी देशज हथियार निर्माता राष्ट्रों का अन्तरराष्ट्रीय हथियार व्यापार में बड़ा अच्छा रिकार्ड है।
बी.एम.एल. के अध्यक्ष के रूप में निम्नलिखित बिन्दुओं पर आपके क्या विचार हैं-
(2020)
Answer : यह केस स्टडी वर्तमान में हथियारों के बढ़ते निर्यात से उत्पन्न नीतिपरक मुद्दों से संबंधित है। एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग 100 बिलियन डॉलर से अधिक का हथियारों का कारोबार होता है, हथियार के बढ़ते निर्यात के इन आंकड़ों ने अनेक नैतिक चिन्ताओं को जन्म दिया है। उपरोक्त प्रश्न में तीन मुख्य हितधारक है, पहला- हथियार निर्यातक के रूप में भारत, दूसरा- हथियार प्राप्तकर्त्ता राष्ट्र एवं तीसरा- बी.एम.एल. के अध्यक्ष।
भारत जैसे उत्तरदायी देश के हथियार निर्यात में विद्यमान नैतिक मुद्दे
बी.एम.एल. के अध्यक्ष होने के नाते मेरे विचार से पांच नीतिपरक कारक जो विदेशों को भारत द्वारा हथियार निर्यात करने के निर्णय को प्रभावित करेंगे, वे निम्नलिखित हैं-
अतः हथियारों के निर्यात में वृद्धि एवं भारत के शांति, निःशस्त्रीकरण एवं पंचशील सिद्धांतों के मध्य नैतिक द्वन्द होना स्वभाविक है, फिर भी आर्थिक हितों को ध्यान में रखकर सन्तुलित निर्णय लेना सर्वोत्तम रहेगा।
Question : रामपुरा, एक सुदूर जनजाति बहुल जिला, अत्यधिक पिछड़ेपन और निर्धनता से ग्रसित है। कृषि स्थानीय आबादी की अजीविका का मुख्य साधन है, लेकिन बहुत छोटे भूस्वामित्व के कारण यह मुख्यतया निर्वाह खेती तक सीमित है। औद्योगिक या खनन गतिविधियां यहां नगण्य है। यहां तक कि लक्षित कल्याणकारी कार्यक्रमों से भी जनजातीय आबादी को अपर्याप्त लाभ हुआ है। इस प्रतिबन्धित परिदृश्य में, पारिवारिक आय के अनुपूरण हेतु युवाओं को समीप स्थित राज्यों में पलायन करना पड़ रहा है। अवयस्क लड़कियों की व्यथा यह है कि श्रमिक ठेकेदार उनके माता-पिता को बहला-फुसला कर उन्हें एक नजदीक राज्य में बी.टी. कपास फर्मों में काम करने भेज देते हैं। इन अवयस्क लड़कियों की कोमल अंगुलियां कपास चुनने के लिये अधिक उपर्युक्त होती है। इन फार्मों में रहने और काम करने की अपर्याप्त स्थितियों के कारण अवयस्क लड़कियों के लिये गंभीर स्वास्थ्य समस्यायें पैदा हो गई हैं। मूल निवास एवं कपास फार्मों के जिलों में स्वयंसेवी संगठन भी निष्प्रभावी लगते हैं और उन्होंने क्षेत्र के बाल श्रम एवं विकास की दोहरी समस्याओं हेतु कोई ठोस प्रयास नहीं किये हैं।
आपको रामपुरा का जिला कलेक्टर नियुक्त किया जाता है। यहां निहित नीतिपरक मुद्दों की पहचान कीजिए। अपने जिले के सम्पूर्ण आर्थिक परिदृश्य को सुधारने एवं अवयस्क लड़कियों की स्थितियों में सुधार लाने के लिये आप क्या विशिष्ट कदम उठाएंगे?
(2020)
Answer : प्रस्तुत केस स्टडी में जनजाति बहुल जिलों में सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन के साथ ही शोषण तथा प्रवासन की समस्या को उजागर किया है, जिसमें सरकार एवं गैर-सरकारी संगठनों की नैतिकता में प्रश्नचिह्न लगाने के साथ लिंग पूर्वाग्रह की समस्या भी मौजूद है। सम्पूर्ण प्रकरण में सरकारी तत्व, स्वयंसेवी संगठन, जनजातीय आबादी, श्रमिक ठेकेदार तथा वी.टी. कपास फार्म प्रमुख हितधारक हैं।
प्रस्तुत केस स्टडी में नीतिपरक मुद्दे-
रामपुरा के कलेक्टर के रूप में मैं निम्नलिखित विशिष्ट कदम उठाऊंगा
इन सब के अलावा लड़कियों का शोषण रोकने के लिये उनकी स्कूल तक पहुंच सुनिश्चित करने के साथ ही इनके कौशल विकास तथा स्थानीय स्तर पर कार्य करने की सुविधायें बनाने के लिये स्वयं सहायता समूहों की मदद लूंगा।
Question : आप एक बड़े नगर के निगम आयुक्त हैं तथा आप की छवि एक अत्यन्त ईमानदार एवं कर्त्तव्यनिष्ठ अधिकारी की है। आपके नगर में एक विशाल बहुद्देशीय मॉल निर्माणाधीन है, जिसमें बड़ी संख्या में दैनिक मजदूरी पाने वाले श्रमिक कार्यरत हैं। मानसून के दौरान एक रात छत का एक बड़ा भाग गिर जाता है, जिससे चार श्रमिकों की तत्कालिक मृत्यु हो जाती है, जिनमें दो अवयस्क हैं। अनेक श्रमिक गंभीर रूप से घायल हो गये और उन्हें तत्काल चिकित्सा सेवा की आवश्यकता थी। दुर्घटना से मचे हाहाकार ने सरकार को जांच के आदेश देने हेतु बाध्य किया।
आपकी प्रारम्भिक जांच में अनेक विसंगतियों का खुलासा हुआ। निर्माण में लाई गई सामग्री निम्न गुणवत्ता की थी। स्वीकृत निर्माण योजना में केवल एक निम्न तल की अनुमति थी लेकिन एक अतिरिक्त निम्न तल का निर्माण कर लिया गया। नगर निगम के इंस्पेक्टर द्वारा समय-समय पर किये गये निरीक्षण के द्वारा इसको अनदेखा किया गया। अपनी जांच के दौरान आपने पाया कि मास्टर प्लान में उल्लिखित हरित पट्टी एवं एक अधिगम मार्ग के प्रावधान के बाद भी मॉल के निर्माण की स्वीकृति पूर्व निगम आयुक्त के द्वारा दी गई थी जो न केवल आपके वरिष्ठ हैं और पेशेवर रूप से आप से अच्छी तरह परिचित हैं, साथ ही आप के अच्छे मित्र भी हैं।
प्रथमदृष्टया, यह प्रसंग नगर निगम के अधिकारियों और निर्माणकर्ता के बीच व्यापक सांठगांठ का प्रतीत होता है। आपके सहकर्मी आपको जांच मंद गति से करने का दबाव डाल रहे हैं। निर्माणकर्त्ता जो कि समृद्ध एवं प्रभावशाली है, राज्य मन्त्रिमण्डल के एक शक्तिशाली मन्त्री के निकट का रिश्तेदार है। निर्माणकर्ता आपको बड़ी राशि देने का वादा करके प्रसंग को रफादफा करने के लिये बहला-फुसला रहा है। वो यह भी इशारा करता है कि यदि प्रसंग उसके हित में शीघ्र निपटाया नहीं जाता है, तो कार्यालय में कोई आपके विरुद्ध यौन उत्पीड़न कार्यस्थल अधिनियम (पोश एक्ट) के अन्तर्गत मामला दर्ज करने का इंतजार कर रही है।
इस प्रसंग में निहित नीतिपरक मुद्दों का विवेचन कीजिए। इस परिस्थिति में आपके पास कौन-कौन से विकल्प उपलब्ध हैं? आपके द्वारा चयनित क्रियाविधि को स्पष्ट कीजिये।
(2020)
Answer : उपर्युक्त मामले में श्रमिकों की मृत्यु तथा अधिकारियों एवं ठेकेदारों के मध्य सांठ-गांठ को प्रदर्शित करता है। इसमें प्रमुख हितधारक श्रमिक, निर्माणकर्ता, भ्रष्ट अधिकारी एवं नगर निगम आयुक्त हैं। इसको सुलझाने में सत्यनिष्ठा, मानवाधिकार एवं कर्त्तव्यनिष्ठा जैसे मूल्यों को आधार बनाया जा सकता है।
उपर्युक्त प्रसंग में निहित नीतिपरक मुद्देः
इस स्थिति में मेरे पास उपलब्ध विकल्पः
मेरे द्वारा चयनित क्रियाविधि
Question : परमल एक छोटा लेकिन अविकसित जिला है। जहां की जमीन पथरीली है, जो कृषि योग्य नहीं है, यद्यपि थोड़ी जीविका कृषि जमीन के छोटे टुकड़ों पर की जाती है। क्षेत्र में पर्याप्त वर्षा होती है और सिंचाई की एक नहर वहां से बहती है। अमरिया एक मध्यम श्रेणी का शहर है जो कि इस जिले का प्रशासनिक केन्द्र है। यहां एक बड़ा जिला अस्पताल, एक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान और कुछ निजी कौशल प्रशिक्षण केन्द्र हैं। एक जिला मुख्यालय की सभी सुविधायें यहां उपलब्ध हैं। अमरिया से लगभग 50 km दूर एक मुख्य रेलवे लाइन गुजरती है। इसकी कमजोर संयोजकता यहां पर किसी भी प्रकार के बड़े उद्योग के अभाव का मुख्य कारण है। नये उद्योग को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकार ने 10 वर्षों के लिये कदावकाश दे रखा है।
वर्ष 2010 में अनिल, एक उद्योगपति ने विभिन्न लाभों को लेने के लिये नूरा गांव में जो कि अमरिया से 20 km दूर है, अमरिया प्लॉस्टिक वर्क (A.P.W.) स्थापित करने का निर्णय लिया। जिस समय इस फैक्ट्री का निर्माण हो रहा था तब अनिल ने आवश्यक मुख्य श्रमिकों को रोजगार देकर उन्हें अमरिया के कौशल प्रशिक्षण केन्द्र में प्रशिक्षित करवाया। इसके इस कृत्य से मुख्य श्रमिक ए.पी.डब्ल्यू. के प्रति बहुत वफादार हो गये।
नूरा गांव से ही A.P.W. ने सभी श्रमिकों को लेकर 2011 में उत्पादन प्रारम्भ किया। अपने घरों के पास ही रोजगार प्राप्त करके गांव वाले बहुत खुश थे और मुख्य श्रमिकों ने इन्हें उत्पादन के लक्ष्यों को उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा करने के लिये प्रेरित किया। ए.पी.डब्ल्यू. ने बहुत लाभ कमाना प्रारंभ किया, जिसका एक बड़ा भाग नूरा गांव में जीवन स्तर सुधारने के लिये उपयोग में लिया गया। 2016 तक नूरा गांव एक हरा-भरा गांव होने का तथा गांव के मन्दिर के पुनर्निर्माण पर गर्व कर सकता था। स्थानीय विधायक से सम्पर्क साधकर अनिल ने अमरिया जाने के लिये गांव से बस सेवाओं की निरन्तरता भी बढ़ा दी। सरकार ने नूरा गांव में ए.पी.डब्ल्यू. द्वारा निर्मित भवनों में से एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्राथमिक विद्यालय भी खोल दिया। अपने सी.एस.आर. कोष का उपयोग करते हुये ए.पी.डब्ल्यू. ने महिला स्वयं सहायता समूह स्थापित किये, गांव के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा के लिये उपदान प्रदान किया और अपने कर्मचारियों और गरीबों के उपयोग के लिये एक रोगी वाहन प्राप्त किया।
2019 में ए.पी.डब्ल्यू. में एक छोटी सी आग लगी। चूंकि फैक्ट्री में अग्नि शमन सुरक्षा की उपयुक्त व्यवस्था थी इसलिये आग को शीघ्र बुझा दिया गया। जांच में पता चला कि फैक्ट्री अपनी अधिकृत क्षमता से अधिक बिजली का उपयोग कर रही थी। इसे शीध्र ही सुलझा लिया गया। अगले वर्ष देशव्यापी लॉकडाउन के कारण उत्पादन की आवश्यकताओं में चार महीने के लिये गिरावट आ गई। अनिल ने निर्णय लिया कि सभी कर्मचारियों को नियमित रूप से भुगतान किया जायेगा। उसने कर्मचारियों को वृक्षारोपण और गांव के प्राकृतिक वास को सुधारने के लिये काम में लिया।
ए.पी.डब्ल्यू. ने उच्चस्तरीय उत्पादन एवं अभिप्रेरित श्रमिक बल की ख्याति अर्जित की।
ए.पी.डब्ल्यू. की कहानी का अलोचनात्मक परीक्षण कीजिए और अंतर्निहित नीतिपरक मुद्दों का उल्लेख कीजिए। क्या आप ए.पी.डब्ल्यू. को पिछड़े हुये क्षेत्रों के विकास के लिये आदर्श मॉडल के रूप में देखते है? कारण दीजिये।
(2020)
Answer : उपरोक्त केस स्टडी में एक प्राइवेट फर्म द्वारा एक अविकसित जिले के छोटे-से गांव के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान को बताया गया है। इस फर्म ने लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठाने के साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
इस केस स्टडी में ए.पी.डब्ल्यू. ने लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्राथमिक विद्यालय खोलने में सरकार की मदद की, रोगी वाहन की व्यवस्था की एवं महिला स्वयं सहायता समूह भी स्थापित किये। लॉकडाउन जैसी विकट परिस्थिति में भी अपने कर्मचारियों का ध्यान रखा और साथ ही प्रकृति संरक्षण का कार्य भी किया। आदर्श रूप में एक प्राइवेट फर्म होने के नाते ए.पी.डब्ल्यू. ने सराहनीय कार्य किया है तथा इससे अधिक की उम्मीद उचित प्रतीत नहीं होती।
इतने के बावजूद यह कहना अनुचित नहीं होगा कि फैक्ट्री ने अपने कार्यों से नूरा गांव तक सीमित करके परमल जो एक अविकसित जिला है, के अन्य लोगों को संभावित लाभ से दूर रखा है। ए.पी.डब्ल्यू. कारोबार जगत के अन्य लोगों से सम्पर्क कर जिले के अन्य क्षेत्रों में भी विभिन्न उद्योगों को स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित कर सकता था और अमरिया को मुख्य रेलवे लाइन से जोड़ने हेतु व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास कर सकता था, जिससे परिवहन व्यवस्था दुरुस्त हो जाती तो लोगों के लिये रोजगार के नये मार्ग मिल जाते।
इस प्रकरण में विद्यमान नैतिक मुद्दे
इस केस स्टडी में ए.पी.डब्ल्यू. ने उच्च व्यावसायिक मूल्यों के साथ ही नैतिक सिद्धान्तों के सभी मानकों का अनुपालन करते हुये अपने सामाजिक दायित्वों को पूरा किया है। ए.पी.डब्ल्यू. ने एक पिछड़े हुये क्षेत्र के विकास के लिये लाभ के एक बड़े भाग को उन सभी आवश्यक कार्यों को करने के लिये खर्च किया, जिन्हें अपने सामाजिक दायित्वों को पूरा करने के लिये किया जाना चाहिये। अतः ए.पी.डब्ल्यू. के प्रयासों को थोड़े सुधार के साथ जिनमें क्षेत्रीय विस्तार एवं परिवहन की व्यवस्था को दुरुस्त करना एवं लोगों को कौशल विकास की विविधता पूर्ण बना कर पिछड़े हुये क्षेत्रों के विकास के लिये आदर्श मॉडल के रूप में देखा जाना चाहिये।
Question : नगरीय अर्थतत्व के सहायक श्रमिक बल के रूप में मूक रहकर सेवा प्रदान करते हुये, प्रवासी श्रमिक सदैव हमारे समाज के सामाजिक-आर्थिक हाशिये पर रहे है। महामारी ने इन्हें राष्ट्रीय केन्द्र बिन्दु पर ला दिया है।
देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा से प्रवासी श्रमिकों की एक बड़ी संख्या ने अपने रोजगार के स्थानों से अपने मूल गांवों को लौटने का निर्णय लिया। आवागमन की अनुपलब्धता ने अपनी समस्यायें खड़ी कर दी। इसके अलावा अपने परिवारों की भुखमरी एवं असुविधा का डर भी उन्हें सता रहा था।
इनके चलते प्रवासी श्रमिकों ने अपने गांवों को लौटने के लिये मजदूरी एवं आवागमन की सुविधायें मांगी। उनकी मानसिक व्यथा बहुकारणों से और भी बढ़ गई, जैसेः अजीविका का आकस्मिक नुकसान, भोजन के अभाव की संभावना और समय पर घर नहीं पहुंच पाने से रबी की फसल की कटाई में मदद नहीं करने की असमर्थता। उनकी आशंकाएं ऐसी खबरों से और बढ़ गई जिनमें रास्ते में कुछ जिलों में रहने और खाने के अपर्याप्त प्रबन्ध के बारे में बताया गया था।
जब आपको अपने जिले के जिला आपदा मोचन बल की कार्यवाही का संचालन करने की जिम्मेदारी दी गई थी, तो इस परिस्थिति से आपने अनेक सबक हासिल किये। आपके मतानुसार सामयिक प्रवासी संकट में क्या नीतिपरक मुद्दे उभरकर आये? एक नीतिपरक सेवा प्रदाता राज्य से आप क्या समझते हैं? समान परिस्थितियों में प्रवासियों की पीड़ाओं को कम करने में सभ्य समाज क्या सहायता प्रदान कर सकता है?
(2020)
Answer : प्रस्तुत केस स्टडी रिवर्स माइग्रेशन की समस्या से संबंधित है, जिसमें प्रवासी श्रमिक महामारी एवं उसके कारण हुये तालाबंदी से अपने मूल स्थान की ओर पलायन करने को विवश हो गये हैं, जिसके कारण स्वतन्त्रता के बाद सबसे बड़े प्रवासी पलायन संकट का देश सामना कर रहा है।
इस प्रकरण के प्रमुख हितधारक प्रवासी श्रमिक, केन्द्र एवं राज्य सरकार, समाज तथा जिला आपदा मोचन कार्यवाही के संचालक के रूप में मैं खुद।
प्रवासी संकट से संबंधित नैतिक मुद्दे
नीतिपरक एवं सेवा प्रदाता राज्य से मेरा आशय
ऐसा राज्य जो अपने नागरिकों को व्यापक समाज सेवाओं की व्यवस्था उपलब्ध कराता है तथा ऐसे राज्य का मुख्य ध्येय अपने नागरिकों को न्यूनतम जीवन स्तर के लिये उपयोगी सेवायें प्रदान करने के साथ ही समाज को यथासंभव समतामूलक बनाता है। लास्की के अनुसार “एक नीतिपरक सेवा प्रदाता राज्य लोगों का ऐसा संगठन है, जिसमें सभी का अधिकारिक हित सामूहिक हित में निहित होता है।”
एक सभ्य समाज प्रवासियों के इस संकट तथा पीड़ाओं को कम करने के लिये निम्नलिखित प्रकार से सहायता कर सकता है-
समाज के अलावा कल्याणकारी राज्य होने के नाते सरकार को प्रवासियों की पीड़ा कम करने के लिये उन्हें वापस आने के लिये परिवहन की व्यवस्था, जगह-जगह पर अस्थाई सेवा केन्द्रों की स्थापना तथा लोगों की स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के लिये एक श्रमिका डाटाबेस का निर्माण करना चाहिये तथा सभी प्रवासी श्रमिकों की त्वरित रूप से सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जाना चाहिये, जिससे कोई भी श्रमिक भूख एवं स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच न होने के कारण अपना जीवन त्यागने को मजबूर न हो, साथ ही सबसे पहले त्वरित रूप से रोजाना स्तर पर रोजगार प्रदान करने की कोशिश करते हुये दीर्घकालिक रोजगार प्रदान करने वाली योजनाओं पर कार्य करना चाहिये।
Question : गंभीर प्राकृतिक आपदा से प्रभावित एक क्षेत्र में आप बचाव कार्य का नेतृत्व कर रहे हैं। हजारों लोग बेघर हो गए हैं और भोजन, पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधाओं से वंचित हो गए हैं। मूसलाधार वर्षा एवं आपूर्ति मार्गों के क्षतिग्रस्त होने से बचाव कार्य बाधित हो गया है। विलंबित और सीमित राहत कार्य से स्थानीय लोग बहुत क्रोधित हैं। जब आपका दल प्रभावित क्षेत्र में पहुंचता है, तब लोग दल के कुछ सदस्यों पर हमला बोल देते हैं यहां तक कि उनकी पिटाई भी कर देते हैं। आपके दल का एक सदस्य गंभीर रूप से घायल भी हो जाता है। संकट की इस स्थिति में, दल के कुछ सदस्य अपने जीवन को खतरे के डर से आपसे आग्रह करते हैं कि बचाव कार्य रोक दिया जाए।
इन विषम परिस्थितियों में आपकी क्या अनुक्रिया होगी? एक लोक सेवक के उन गुणों का परीक्षण कीजिए जो ऐसी स्थिति को संभालने के लिए आवश्यक होंगे।
(2019)
Answer : बाढ़ और सूखा कुछ भारतीय क्षेत्रों की सामान्य विशेषता है और इन क्षेत्रों में काम करने वाले सिविल सेवक आपदा के प्रभावों का सामना करते हैं। यह स्थिति भावनात्मक रूप से मजबूत और जमीनी स्तर की परिस्थितियों की समझ रखने वाले सिविल सेवक की मांग करती है। इस मामले में नैतिकता और मानव इंटरफेस, आपदा प्रबंधन नैतिकता और भावनात्मक बुद्धि जैसी अवधारणाएं तथा कार्यालय कर्त्तव्य बनाम आत्म सुरक्षा जैसी नैतिक दुविधा शामिल हैं।
बचाव मिशन के प्रमुख के रूप में मेरी पहली प्रक्रिया होगी अपने दल का मनोबल बढ़ाना और उन्हें यह समझाना कि ऐसी परिस्थितियां क्षणिक होती हैं। मैं उन्हें अपने वास्तविक उद्देश्य की ओर ध्यान केंद्रित करने हेतु प्रेरित करूंगा। चूंकि उनमें से कुछ लोग मिशन को बंद करने का अनुरोध कर रहे हैं इसलिए लोगों के साथ मैं कुछ पूर्व अनुभवों को साझा करके उनको भी तत्परता से कार्य निष्पादन हेतु सक्रिय करने का प्रयास करूँगा। मैं उन्हें समझाऊंगा और बताऊंगा कि जब महात्मा गांधी नोआखली के दंगा प्रभावित क्षेत्रों में नंगे पैर मार्च कर रहे थे, तब उनका मार्ग दंगों से प्रभावित लोगों द्वारा कांच के टुकड़ों और जानवरों के मल से पाट दिया गया था। बाद में, मानवता के प्रति उनके असीम प्रेम और सहस ने ऐसा प्रभाव डाला कि लोगों ने खुद उनका प्रतिरोध न करने वादा किया।
मैं उन लोगों की मदद लेने के लिए उन्हें मनाने की कोशिश करूँगा जो सहयोग करने के इच्छुक हैं, ऐसे अभ्यास में स्थानीय नेता भी मदद कर सकते हैं। इसके अलावा मैं अपनी टीम के सदस्यों की सुरक्षा के संबंध में सरकार से सहयोग प्राप्त करने की कोशिश करूंगा ताकि लोगों की मदद करने में उन्हें चोट न पहुंचे। ऐसी स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए आवश्यक योग्यताएं निम्न हैं-
सेवा की भावनाः चूंकि बचाव दल शारीरिक और मौखिक हमलों के लिए असुरक्षित है, ऐसे में सेवा भाव के उच्च आदर्श ही एक अधिकारी को समन्वित बचाव कार्य में आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं।
नेतृत्व कुशलताः ऐसी परिस्थितियों में, कोई भी निर्णय समूह के प्रमुख के ज्ञान पर ही केंद्रित होता है। उसे आगे आकर व्यक्तिगत साहस और दृढ़ विश्वास के साथ अपनी टीम का नेतृत्व करने की भी आवश्यकता होती है।
समानुभूति और भावनात्मक समझः एक अधिकारी को असंतुष्ट स्थानीय लोगों के व्यवहार को समझने के लिए समानुभूति और भावनात्मक बुद्धि की आवश्यकता होती है। बिना इन गुणों के कोई भी अधिकारी राहत मिशन को तुरंत बंद कर सकता है या बल प्रयोग का सहारा ले सकता है, जो केवल पीडि़त लोगों के क्रोध को बढ़ाएगा।
अनुनय की शक्ति: क्रोध से पीडि़त लोग प्रतिक्रियाशील और अदूरदर्शी होते हैं, जिससे उन्हें किसी बात के लिए सहमत करने हेतु अनुनय की शक्ति की आवश्यकता होती है। एक लोक सेवक ऐसी स्थितियों में सहज निर्णय लेने का जोखिम नहीं उठा सकता है। वह धैर्य और निरंतर अनुनय के साथ लोगों को अपने साथ जोड़ने का प्रयास करता है। उसके द्वारा किसी भी किये जाने वाले कार्य के परिणामों का मूल्यांकन किया जाना आवश्यक होता है।
इस प्रकार, हमें स्थिति की संवेदनशीलता को जानने की आवश्यकता होती है और लोगों को उनकी प्रतिक्रियाओं के लिए दोष नहीं देना चाहिए। समस्याओं में लोगों को बचाने के लिए सहानुभूति, समानुभूति और समर्थन महत्वपूर्ण हथियार है।
Question : बड़ी संख्या में महिला कर्मचारियों वाली एक परिधान उत्पादन कंपनी के अनेक कारणों से विक्रय में गिरावट आ रही थी। कंपनी ने एक प्रतिष्ठित विपणन अधिकारी को नियुक्त किया, जिसने अल्पावधि में ही विक्रय की मात्र को बढ़ा दिया। लेकिन उस अधिकारी के विरुद्ध कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न में लिप्त होने की कुछ अपुष्ट शिकायतें सामने आई हैं।
कुछ समय पश्चात एक महिला कर्मचारी ने कंपनी के प्रबंधन के पास विपणन अधिकारी के विरुद्ध यौन उत्पीड़न की औपचारिक शिकायत दायर की। अपनी शिकायत के प्रति कंपनी की संज्ञान लेने में उदासीनता को देखते हुए, महिला कर्मी ने पुलिस में प्राथमिकी दर्ज की।
परिस्थिति की संवेदनशीलता और गंभीरता को भांपते हुए कंपनी ने महिला कर्मी को वार्ता करने के लिए बुलाया। कंपनी ने महिला कर्मी को एक मोटी रकम देने के एवज में अपनी शिकायत और प्राथमिकी वापस लेने तथा यह लिख कर देने के लिए कहा कि, विपणन अधिकारी प्रकरण में लिप्त नहीं था।
इस प्रकरण में निहित नैतिक मुद्दों की पहचान कीजिए। महिला कर्मी के सामने कौन-कौन से विकल्प उपलब्ध हैं?
(2019)
Answer : उपर्युक्त केस में निम्नलिखित नैतिक मुद्दे शामिल हैं-
इसके अलावा इस केस में साधन और साध्य तथा व्यक्तिगत रुचि एवं व्यक्तिगत नैतिकता के बीच चयन से संबंधित नैतिक दुविधा भी शामिल है।
इस मामले में अनेक हितधारक शामिल हैं। महिला कर्मचारी के साथ-साथ कंपनी प्रबंधन और अन्य कर्मचारी भी शामिल हैं। यौन उत्पीड़न का मामला अत्यंत ही संवेदनशील मामला है और ऐसे मामले में प्रबंधन और अन्य कर्मचारियों का बर्ताव सन्तोष जनक नहीं है। महिला को मौद्रिक लाभ का लालच देकर मामले को सुलझाने का प्रयास महिला के आत्मसम्मान के साथ खिलवाड़ है।
ऐसी परिस्थिति में महिला कर्मचारी के लिए निम्नलिखित विकल्प उपलब्ध हैं-
सारे विकल्पों पर विचार करने पर देखा जाए तो विकल्प (1) स्थिति को संभालने का सही तरीका लगता है। महिला कर्मचारी नेतृत्व की भूमिका निभा सकती है। उसकी यौन शोषण के खिलाफ महिला आवाज अन्य महिला कर्मचारियों की वास्तविक चिंताओं को आवाज देगी। ऐसे में आगे आकर सबके लिये अनुकरणीय व्यवहार दिखाना उसकी नैतिक जिम्मेदारी हो जाती है। यह न केवल उसके लिए आत्म संतुष्टि लाएगा, बल्कि उसके आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति को भी बढ़ाएगा।
इसके अलावा, विपणन कार्यकारी को बचाने और कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के अनुसार आंतरिक शिकायत समिति का गठन नहीं करके लाभ के उद्देश्यों को प्राथमिकता देने में कंपनी प्रबंधन ने एक बड़ी गलती की है। गांधीजी ‘नैतिकता के बिना वाणिज्य’को सात सामाजिक पापों में से एक मानते थे। इस प्रकार, यह न केवल एक व्यक्ति की गलती है, बल्कि एक संगठन की कमी है, जिसमें महिला की गरिमा, कार्य-संस्कृति, नैतिकता और लैंगिक समानता जैसे मूल्यों का अभाव है।
Question : आधुनिक लोकतांत्रिक राज्य व्यवस्था में, राजनीतिक कार्यपालिका और स्थाई कार्यपालिका की संकल्पना होती है। निर्वाचित जन प्रतिनिधि राजनीतिक कार्यपालिका का गठन करते हैं और अधिकारी तंत्र स्थाई कार्यपालिका का गठन करती है। मंत्रीगण नीति निर्माण करते हैं और अधिकारी उन नीतियों को क्रियान्वित करते हैं।
स्वतंत्रता के पश्चात प्रारंभिक दशकों में, राजनीतिक कार्यपालिका और स्थाई कार्यपालिका के बीच अंतर्संबंध, एक-दूसरे के क्षेत्र में हस्तक्षेप किए बिना, परस्पर समझ, सम्मान और सहयोग पर आधारित थे।
लेकिन बाद के दशकों में स्थिति में परिवर्तन आया है। ऐसे प्रकरण आए हैं जहां राजनीतिक कार्यपालिका ने स्थाई कार्यपालिका पर अपनी कार्य सूची का अनुसरण करने का दबाव बनाया है। सत्य निष्ठा अधिकारियों के प्रति सम्मान और सराहना में गिरावट आई है। इस प्रवृत्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है कि राजनीतिक कार्यपालिका में नैत्यिक प्रशासनिक प्रसंगों में जैसे कि स्थानांतरण, प्रस्थापन आदि में अंर्तग्रस्त होने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। इस परिदृश्य में ‘‘अधिकारी तंत्र के राजनीतिकरण” की ओर एक निश्चित प्रवृत्ति है। सामाजिक जीवन में बढ़ती भौतिकवादी संग्रहवृत्ति ने राजनीतिक कार्यपालिका और स्थाई कार्यपालिका पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
‘‘अधिकारी तंत्र के इस राजनीतिकरण” के क्या-क्या परिणाम हैं ?
(2019)
Answer : यह केस स्टडी नौकरशाही में राजनीतिक हस्तक्षेप पर प्रकाश डालती है। इसके परिणामस्वरूप सरकार अपने लोगों को वरिष्ठ एवं संवेदनशील सार्वजनिक सेवा के पदों पर नियुक्त करती है। यह योग्यता आधारित मानदंडों के स्थान पर राजनीतिक मानदंडों के प्रतिस्थापन को संदर्भित करता है।
इस मामले में शासन में ईमानदारी, लोक प्रशासन में नैतिकता, हित संघर्ष एवं नैतिक कर्त्तव्य जैसे नैतिक मुद्दे शामिल हैं, साथ ही आचार संहिता बनाम नैतिक संहिता, कार्यालय की सत्यनिष्ठा, नैतिक कर्त्तव्य और राजनीतिक लाभ जैसी नैतिक दुविधाएं भी शामिल हैं।
नौकरशाही के राजनीतिकरण के परिणाम हैं
नौकरशाही का राजनीतिकरण नौकरशाही के नैतिक वातावरण के लिए हानिकारक है। इसमें राजनीतिक झुकाव वाले ईमानदार सिविल सेवकों को एक राजनीतिक समूह के पक्ष में पक्षपातपूर्ण फैसले लेने की मजबूरी है और ऐसे में लोककल्याण दुष्प्रभावित होता है। भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के बीच में दुविधा के भाव उत्पन्न होते हैं। भौतिक लाभ में लिप्त नौकरशाह को अपनी अंतरात्मा की आवाज के साथ समझौता करना पड़ता है। परिणामस्वरूप उसकी मानसिक शांति प्रभावित होती है और नैतिकता में खलल पड़ता है। व्यक्ति अपने परिवार और बच्चों के आत्मसम्मान और विश्वास को खो देता है।
नौकरशाही का राजनीतिकरण शासन प्रणाली पर अपना दुष्प्रभाव छोड़ता है। सिविल सेवकों के कामकाज में निष्पक्षता की कमी का दिन-प्रतिदिन के प्रशासन और उनके फैसलों पर, सार्वजनिक सेवा वितरण पर और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर दुष्प्रभाव पड़ता है। सिविल सेवकों का राजनीतिक रुख अराजक स्थितियों में अनेक समस्याएं उत्पन्न करता है। सांप्रदायिक दंगों जैसी कठिन परिस्थिति में सख्त राजनीतिक तटस्थता वाले अधिकारियों की जरूरत पड़ती है। पक्षपातपूर्ण फैसलों से जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है। इसलिए एक सिविल सेवक को ऐसी स्थितियों में अपने निर्णयों के लिए जवाबदेह होना चाहिए।
नौकरशाही के राजनीतिकरण के कारण प्रशासन में पॉलिसी पैरालिसिस की स्थिति उत्पन्न होती है। तटस्थ और ईमानदार अधिकारी बार-बार स्थानांतरण, पदोन्नति में देरी आदि के परिणामस्वरूप राजनीतिक प्रतिशोध के डर से उनके निर्णय लेने में लालफीताशाही और देरी दिखाई पड़ने लगती है। इसका नागरिक समाज पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सरकार में शीर्ष पदों पर काबिज सिविल सेवकों का निष्पक्ष रवैया बड़े पैमाने पर सामाजिक नैतिकता के लिए हानिकारक है।
इसलिए, एक सिविल सेवक को राजनीतिक रूप से तटस्थ होना चाहिए। सिविल सेवक के रूप में उसके पास जनता के प्रति अनेक जिम्मेदारी होती है और उसे अपनी अंतरात्मा की आवाज को ध्यान में रखते हुए संवैधानिक सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। उनका प्राथमिक काम निष्काम कर्म (निस्वार्थ कर्त्तव्य) करना है। उसे जनता के लिए तर्कसंगत, अनुकरणीय और प्रतिबद्ध होकर अपना कार्य निष्पादन करना चाहिए।
Question : एक सीमांत राज्य के एक जिले में स्वपकों (नशीले पदार्थों) का खतरा अनियंत्रित हो गया है। इसके परिणामस्वरूप काले धन का प्रचलन, पोस्त की खेती में वृद्धि, हथियारों की तस्करी, व्यापक हो गई है तथा शिक्षा व्यवस्था लगभग ठप्प हो गई है। संपूर्ण व्यवस्था एक प्रकार से समाप्ति के कगार पर है। इन अपुष्ट खबरों से कि स्थानीय राजनेता और कुछ पुलिस उच्चाधिकारी भी ड्रग्स माफिया को गुप्त संरक्षण दे रहे हैं, स्थिति और भी बदतर हो गई है।
ऐसे समय में, परिस्थिति को सामान्य करने के लिए, एक महिला पुलिस अधिकारी, जो ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए अपने कौशल के लिए जानी जाती है, को पुलिस अधीक्षक के पद पर नियुक्त किया जाता है।
यदि आप वही पुलिस अधिकारी हैं, तो संकट के विभिन्न आयामों को चिह्नित कीजिए। अपनी समझ के अनुसार, संकट का सामना करने के उपाय भी सुझायें।
(2019)
Answer : मादक पदार्थों और नशीली दवाओं का खतरा किसी भी समाज के लिए खतरा है और इससे किसी भी हाल में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। लेकिन कुछ अधिकारी, राजनेता, पुलिस अधिकारी आदि स्वयं व्यक्तिगत लाभ के लिए दवा वितरकों के साथ साठ-गाठ में लिप्त है। इस संकट के विविध आयाम निम्नलिखित हैं-
ऐसे विकट संकट से निपटने के उपाय
चूंकि समस्याओं को बने रहने में सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक प्रणाली ने काफी हद तक मदद की है, इसलिए एक महिला पुलिस अधीक्षक के रूप में मेरी प्रतिक्रिया अत्यंत, सटीक और तेज, लंबी अवधि के निहितार्थ को ध्यान में रखकर होगी। सबसे पहले पुलिस विभाग के भीतर गहन जांच की जाएगी तथा ऐसे लोगों के बारे में जानकारी जुटाने का प्रयास करूंगी जो पुलिस में रहते हुए ऐसी गतिविधियों में सहायक है और पुख्ता सबूत के आधार पर उन्हें कानून के तहत यथासंभव कड़ी सजा दिलाने का प्रयास करूंगी।
कानून प्रवर्तन हेतु मैं मौजूदा कानूनों की जांच और सख्त क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित करूंगी, और इसके लिए अन्य जिलों में उपयुक्त उदाहरणों से सीखकर उनको अपनाने का प्रयास करूंगी। चूंकि मेरा जिला एक सीमावर्ती राज्य में है; इसमें अंतरराष्ट्रीय तत्वों के शामिल होने की भी संभावना है। इसके लिए, पुलिस बल को सीमा सुरक्षाकर्मियों के साथ मिलकर काम करना होगा। इसके लिए अर्धसैनिक बलों और सेना की सहायता लेने का प्रयास किया जायेगा, ताकि कठोर गश्त और तलाशी अभियान के माध्यम से स्थानीय तत्वों को अलग किया जा सके।
कानून के प्रवर्तन से परे जाकर मैं जिलाधिकारी जैसे अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ समस्या के सामाजिक आयामों पर भी चर्चा करूंगी और गैर सरकारी संगठनों, पंचायत प्रमुखों आदि को भी शामिल करूंगी। लोगों को शिक्षित करने और जागरूक बनाने के लिए ठोस तरीके से कार्य करने का प्रयास करूंगीं ताकि लोगों को ऐसी समस्याओं के परिणामों के बारे में आभास हो सके। पोस्ते की खेती में शामिल होने वाले किसानों को नियमित करने का प्रयास किया जायेगा, ताकि पोस्ते का दुरुपयोग न हो सके।
जब पूरा सिस्टम भ्रष्ट हो जाता है तो कोई भी अधिकारी सिस्टम से नहीं लड़ सकता है। लेकिन अधिकारी अपनी आधिकारिक क्षमता के अंतर्गत सुधारात्मक कार्रवाई कर सकते हैं। वे नशीली दवाओं के खिलाफ जागरूकता को बढ़ावा दे सकते हैं तथा सिस्टम को सुधारने का प्रयास कर सकते हैं।
Question : राकेश जिला स्तर का एक जिम्मेदार अधिकारी है, जिस पर उसके उच्च अधिकारी भरोसा करते हैं। उसकी ईमानदारी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने उसे वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक स्वास्थ्य देखभाल योजना के लाभार्थियों की पहचान करने का दायित्व सौंपा है। लाभार्थी होने के लिए निम्नलिखित कसौटियां हैं:
एक दिन एक वृद्ध दंपति राकेश के कार्यालय में योजना के लाभ के लिए आवेदन-पत्र ले कर आया। वे उसके जिले के एक गांव में जन्म से रहते आए हैं। वृद्ध व्यक्ति की बड़ी आंत में एक ऐसे विरले विकार का पता लगा जिससे उसमें रुकावट पैदा होती है। परिणामस्वरूप, उसके पेट में बार-बार तीव्र पीड़ा होती है जिससे वह कोई शारीरिक श्रम नहीं कर सकता है। वृद्ध दंपति की देखरेख करने के लिए कोई संतान नहीं है। एक विशेषज्ञ शल्य चिकित्सक, जिससे वे मिले हैं, बिना फीस के उसकी शल्य चिकित्सा करने को तैयार है। फिर भी, उस वृद्ध दंपति को आकस्मिक व्यय, जैसे दवाइयां, अस्पताल का खर्च, आदि जो लगभग रु. 1 लाख होगा, स्वयं ही वहन करना पड़ेगा। दंपति मानक ‘ब’ के अलावा योजना का लाभ प्राप्त करने की सारी कसौटियां पूरी करता है। फिर भी, किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायकता निश्चित तौर पर उनके जीवन की गुणवत्त में काफी अंतर पैदा करेगी। राकेश को इस परिस्थिति में क्या अनुक्रिया करनी चाहिए?
(2018)
Answer : एक जिम्मेदार अधिकारी होने के नाते मेरा दायित्व बनता है कि मैं संविधान एवं सेवा शर्तों के नियमों का पालन करते हुए अपने कार्य को अंजाम दे। किन्तु एक व्यक्ति होने के नाते मेरे कुछ सामाजिक दायित्व भी है जिनका मैं पूरी ईमानदारी से निर्वहन करू।
उपरोक्त केस अध्ययन में दुविधा योजना के लाभार्थियों के लिए निर्धारित की गयी कसौटियों के पालन और सामाजिक एवं व्यक्तिगत नैतिकता के मध्य देखने को मिलती है। यह सही है कि वृद्ध दंपत्ति योजना की 4 कसौटियों में से तीन को पूरा करते है केवल 1 कसौटी अर्थात आरक्षित समुदाय से होने वाली कसौटी को पूरा नहीं करते। यदि मैं इस कसौटी को नजर अंदाज करके वृद्ध दंपत्ति की सहायता करता हूं तो यह मेरी जिम्मेदार ईमानदारी अधिकारी की छवि, आचार संहिता एवं सेवा शर्तों के खिलाफ होगा। यदि मैं वृद्ध दंपत्ति की सहायता नहीं करता हूं तो यह व्यक्तिगत और सामाजिक नैतिकता के विरुद्ध होगा। इस स्थिति में मेरे पास निम्न विकल्प हैं-
प्रथम- यदि मेरे पास यह अधिकार है कि मैं अपनी अंतर आत्मा के आधार पर और लाभार्थी की कसौटियों में ढील देकर जरूरतमंदों की योजना में शामिल कर सकता हूं तो वृद्ध दंपत्ति की सहायता करूंगा।
द्वितीय- यदि मेरे पास प्रथम विकल्प नहीं होता है तो इस संदर्भ में वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा करते हुए उनके द्वारा सुझाए गए सुझावों का पालन करूंगा ताकि भविष्य में मेरी ईमानदारी पर प्रश्न चिह नहीं लगे।
तृतीय- यदि उपरोक्त दोनों विकल्प नहीं होते है तो मैं तीसरे विकल्प के रूप में उस गांव के अन्य लोगों डॉक्टर जैसे परमार्थी व्यक्तियों से वृद्ध दंपत्ति की आर्थिक सहायता की अपील करूंगा और यदि यह विकल्प भी कारगार नहीं होता है तो सरकार की अन्य योजनाओं के माध्यम से अपने सहकर्मियों या अधिकारियों के माध्यम से वृद्ध दंपत्ति की सहायता करने का प्रयास करूंगा क्योंकि एक अधिकारी के लिए सेवा शर्तों का पालन करने के साथ साथ सामाजिक हितो और लोगों का कल्याण सुनिश्चित करने का भी दायित्व होता है।
Question : अपने मंत्रालय में एक वरिष्ठ अधिकारी होने के नाते आपकी पहुंच महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों तथा आने वाली बड़ी घोषणाओं, जैसे सड़क निर्माण परियोजनाएं, तक जनता के अधिकार-क्षेत्र में जाने से पहले हो जाती है। मंत्रालय एक बड़ी सड़क निर्माण योजना की घोषणा करने वाला है जिसके लिए खाके तैयार हो चुके हैं। नियोजकों ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि सरकारी भूमि का अधिक-से-अधिक उपयोग किया जाए ताकि निजी भूमि का कम-से-कम हो इसका भी ध्यान रखा गया है। ऐसी आशा है कि परियोजना की घोषणा होते ही उस क्षेत्र आसपास के क्षेत्र की कीमतों में भारी उछाल आएगी।
इसी बीच, संबंधित मंत्री ने आपसे आग्रह किया कि सड़क का पुनःसंरेखण इस प्रकार किया जाए जिससे सड़क मंत्री के 20 एकड़ के फार्म हाउस के पास से निकले। इसके साथ ही मंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि वह आपकी पत्नी के नाम, प्रस्तावित बड़ी सड़क परियोजना के आसपास एक बड़ा भूखण्ड प्रचलित दरों पर जो कि नाममात्र की हैं, क्रय करने में सहायता करेंगे। मंत्री ने आपको यह भी विश्वास दिलाने का प्रयास किया कि इसमें कोई नुकसान नहीं है क्योंकि भूमि वैधानिक रूप से खरीदी जा रही है। वह आपसे यह भी वादा करता है कि यदि आपके पास पर्याप्त धनराशि नहीं है, तो उसकी पूर्ति में भी आपकी सहायता करेगा। लेकिन सड़क के पुनःसंरेखण में बहुत-सी कृषि-योग्य भूमि का अधिग्रहण करना पडे़गा, जिससे सरकार पर काफी वित्तीय भार पड़ेगा, तथा किसान भी विस्थापित होंगे। केवल यह ही नहीं, इसके चलते बहुत सारे पेड़ों को भी कटवाना पड़ेगा, जिससे पूरे क्षेत्र का हरित आवरण समाप्त हो जाएगा।
इस परिस्थिति का सामना होने पर आप क्या करेंगे? विभिन्न प्रकार के हित-द्वन्द्वों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए तथा स्पष्ट कीजिए कि एक लोक सेवक होने के नाते आपके क्या दायित्व हैं।
(2018)
Answer : इस परिस्थिति में मेरे निजी हित तथा सार्वजनिक हित के बीच द्वन्दात्मक स्थिति पैदा हो सकती है। अतः इस संबंध में मेरे निम्नलिखित कदम हो सकते है-
अतः उपर्युक्त परिस्थिति में मैं अपने 3 के दायित्व को पूरी ईमानदारी से निभाते हुए सार्वजनिक हित में फैसला करुंगा जिससे अधिकतम लाभ को सुनिश्चित किया जा सके। हो सकता है इस संबंध में मेरे निजी संबंध खराब हो किंतु वरीयता क्रम में मेरे सार्वजनिक दायित्व निजी दायित्व से ऊपर आते हैं। अतः इस प्रकरण में मैं पूरी ईमानदारी, सत्यनिष्ठा से सड़क योजना संरक्षण करुंगा जिससे अधिकतम सार्वजनिक हित सुनिश्चित हो सके।
Question : यह एक राज्य है जिसमें शराबबंदी लागू है। अभी-अभी आपको इस राज्य के एक ऐसे जिले में पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया गया है जो अवैध शराब बनाने के लिए कुख्यात है। अवैध शराब से बहुत मौतें हो जाती हैं, कुछ रिपोर्ट की जाती हैं और कुछ नहीं, जिससे जिला अधिकारियों को बड़ी समस्या होती है।
अभी तक इसे कानून और व्यवस्था की समस्या के दृष्टिकोण से देखा जाता रहा है और उसी तरह इसका सामना किया जाता रहा है। छापे, गिरफ्तारियां, पुलिस के मुकदमें, आपराधिक मुकदमें- इन सभी का केवल सीमित प्रभाव रहा है। समस्या हमेशा की तरह अभी भी गंभीर बनी हुई है।
आपके निरीक्षणों से पता चलता है कि जिले के जिन क्षेत्रों में शराब बनाने का कार्य फल-फूल रहा है, वे आर्थिक, औद्योगिक तथा शैक्षणिक रूप से पिछड़े हैं। अपर्याप्त सिंचाई सुविधाओं का कृषि पर बुरा प्रभाव पड़ता है। विभिन्न समुदायों में बार-बार होने वाले टकराव अवैध शराब निर्माण को बढ़ावा देते हैं। अतीत में लोगों के हालात में सुधार लाने के लिए न तो सरकार के द्वारा और न ही सामाजिक संगठनों के द्वारा कोई महत्वपूर्ण पहलें की गई हैं।
समस्या को नियंत्रित करने के लिए आप कौन-सा नया उपागम अपनाएंगे?
(2018)
Answer : एक पुलिस अधीक्षक होने के नाते शराबबंदी को पूरी तरह लागू करने और लोगों की समस्याओं का निवारण करना मेरा प्राथमिक दायित्व है। इसके लिए मैं दो स्तर पर कार्य करूंगा तथा प्रथम आपूर्ति स्तर पर द्वितीय मांग स्तर पर।
शराबबंदी या अवैध शराब के निर्माण को हतोत्साहित करने के लिए आवश्यक है कि शराब की आपूर्ति पर रोक लगायी जाए। इसके लिए शराब निर्माण के सभी ठिकानों को बंद किया जाएगा, अवैध शराब निर्माण में सम्मिलित लोगों को पहले चेतावनी दी जाएगी यदि इसके बाद भी वे अवैध शराब का निर्माण करते है तो कानून के अनुरूप कार्यवाही की जाएगी। साथ ही पड़ोसी राज्यों से भी होने वाली आपूर्ति पर रोक लगाने हेतु पड़ोसी राज्यों का सहयोग लिया जाएगा।
योग/मांग पक्ष को कम करने के लिए लोगों को शराब के दुष्प्रभावों के विषय में जानकारी प्रदान की जाएगी, इसमें महिलाओं का सहयोग लिया जाएगा, साथ ही नुक्कड़ नाटक, नौटंकी आदि स्थानीय रंगमंचों का सहारा लेकर शराब के सेवन पर लगाम लगाने का प्रयास करूंगा।
सबसे बढ़कर उस जिले में आजीविका के अन्य साधनों के विकास हेतु कार्य करने की आवश्यकता है। जिसके लिए वहां पर प्रधानमंत्री सिचाई योजना के माध्यम से सिचाई सुविधाओं का विकास किया जाएगा, औद्योगिक गतिविधियों के विकास हेतु, मुद्रा योजना आदि की सहायता ली जा सकती है। साथ ही उस में कानून व्यवस्था की स्थिति सुदृढ़ करके साम्प्रयायिक सौहार्द को बढावा दिया जाएगा। स्थानीय लोगों के कौशल विकास पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा। स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को विकास बल दिया जाएगा।
Question : एक बड़ा औद्योगिक परिवार बड़े पैमाने पर औद्योगिक रसायनों के उत्पादन में संलग्न है। यह परिवार एक अतिरिक्त इकाई स्थापित करना चाहता है। पर्यावरण पर दुष्प्रभाव के कारण अनके राज्यों ने इसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। किन्तु एक राज्य सरकार ने, सारे विरोध को दरकिनार करते हुए, औद्योगिक परिवार की प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और एक नगर के समीप इकाई स्थापित करने की स्वीकृति प्रदान कर दी।
इकाई को 10 वर्ष पूर्व स्थापित कर दिया था और अभी तक बहुत सुचारु रूप से चल रही थी। औद्योगिक बहिःस्रावों से पैदा हुए प्रदूषण से क्षेत्र में भूमि, जल और फसलों पर दुष्प्रभाव पड़ रहा था। इससे मनुष्यों तथा पशुओं में गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी आ रही थीं। परिणामस्वरूप, इकाई को बंद करने की मांग को ले कर शृंखलाबद्ध आंदोलन होने लगे। अभी-अभी एक आंदोलन में हजारों लोगों ने भाग लिया जिससे पैदा हुई गंभीर कानून और व्यवस्था की समस्या से निपटने के लिए पुलिस को सख्त कदम लेने पड़े। जनाक्रोश के पश्चात राज्य सरकार ने फैक्ट्री को बंद करने का आदेश दे दिया।
फैक्ट्री के बंद होने के परिणामस्वरूप न केवल वहां काम करने वाले श्रमिक ही बेरोजगार हुए अपितु सहायक इकाइयों के कामगार भी बेरोजगार हो गए। इससे उन उद्योगों पर भी बुरा प्रभाव पड़ा जो उस इकाई द्वारा उत्पादित रसायनों पर निर्भर थे।
इस मुद्दे को संभालने के उत्तरदायित्व सौंपे गए एक वरिष्ठ अधिकारी होने के नाते, आप इस उत्तरदायित्व का निर्वहन किस प्रकार करेंगे?
(2018)
Answer : इस प्रकरण में मैं अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन निम्न प्रकार से करुंगा-
अतः उपर्युक्त कार्यों के द्वारा फैक्ट्री के सुचारू होने के साथ ही प्रकरण में उल्लेखित समस्याओं का बेहतर निराकरण किया जा सकता है तथा बेरोजगारों का काम तथा बंद पड़े सहायक फैक्ट्री के कार्यों का भी निष्पादन बेहतरी के साथ हो सकेगा और विकासात्मक कार्यों में गतिशीलता आएगी।
Question : डॉ. ‘एक्स’शहर के एक प्रतिष्ठित चिकित्सक हैं। उन्होंने एक धर्मार्थ न्यास स्थापित कर लिया है जिसके माध्यम से समाज के सभी वर्गों की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए, वे एक उच्च-विशेषज्ञता अस्पताल स्थापित करना चाहते हैं। संयोग से, राज्य के उस क्षेत्र की वर्षों से उपेक्षा रही है। प्रस्तावित अस्पताल उस क्षेत्र के लिए एक वरदान साबित होगा।
आप उस क्षेत्र की कर अन्वेषण इकाई के प्रमुख हैं। डॉक्टर के क्लीनिक के निरीक्षण के दौरान आपके अधिकारियों को कुछ बड़ी अनियमितताएं ज्ञात हुई हैं। उनमें से कुछ बहुत गंभीर हैं जिनके कारण बड़ी मात्र में करों से प्राप्य धनराशि रुकी रही, जिसका भुगतान डॉक्टर को अब करना चाहिए। डॉक्टर सहयोग के लिए तैयार है। वे तुरंत कर की राशि को अदा करने का वायदा करते हैं।
लेकिन उनके कर भुगतान में कुछ और भी खामियां हैं जो पूर्ण रूप से तकनीकी हैं। यदि अभिकरण द्वारा इन तकनीकी खामियों का पीछा किया जाता है, तो डॉक्टर का बहुत सारा समय और उसकी ऊर्जा कुछ ऐसे मुद्दों की तरफ मुड़ जाएगी जो न तो बहुत गंभीर हैं, न ही अत्यावश्यक और न ही कर भुगतान कराने में सहायक हैं। इसके अतिरिक्त, पूरी संभावना है कि इसके कारण अस्पताल के खोले जाने की प्रक्रिया भी बाधित होगी।
आपके समक्ष दो विकल्प हैंः
(2018)
Answer : 1. मैं विकल्प एक के प्रथम भाग से सहमत हूं क्योंकि कर अभिकरण के प्रमुख होने के नाते मेरा यह दायित्व बनता है कि मैं अत्यधिक कर संग्रह कर सकूं, जिससे सरकार के द्वारा संग्रहण में वृद्धि हो और सरकारी कामकाज सुचारू रूप से चलते रहे।
किंतु विकल्प के दूसरे भाग से असहमत हूं क्योंकि कमी चाहे बड़ी हो या छोटी उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कभी तकनीकी प्रकृति होने के बावजूद भी यह आश्वस्त करुंगा कि इसका निस्तारण किया जाए जिससे भविष्य में किसी खामी की गुंजाइश न रहे।
2. मैं दूसरे विकल्प से सहमत हूं तथा यह सुनिश्चित करुंगा कि मैं सभी पहलुओं पर आगे बढ़ सकूं तथा सभी पहलुओं की गंभीरता को देखते हुए अपने निर्णय लूंगा। अनावश्यक बढ़ती भी अपरिहार्य होगी क्योंकि उपर्युक्त प्रकरण में डॉक्टर सहयोग के लिए तैयार है तथा घर आकर करने का वायदा करता है।
अतः मैं उपर्युक्त प्रकरण में सर्वप्रथम यह सुनिश्चित करुंगा कि अधिकाधिक कर संग्रहण किया जा सके तथा भविष्य में ऐसी अनियमितताओं से बचा जा सके। इसके लिए डॉक्टर को सक्त निर्देश दूंगा किंतु तकनीकी खामियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता इसलिए मैं यह आश्वास्त करुंगा कि वेवजह शक्ति न दिखाई जाए तथा डॉक्टर को पूरा सहयोग करते हुए मैं इस भाग का जल्द से जल्द निराकरण करुंगा, किंतु इसमें अनावश्यक देरी से बचुंगा क्योंकि अगर डॉक्टर इसमें व्यस्त रहेगा तो अस्पताल खुलने में देरी होगी जो जनकल्याण के लिए बेहतर विकल्प नहीं है क्योंकि मैं भी एक लोक सेवक हूं, जिसका अंततः कार्य जनकल्याण ही है। अतः मैं डॉक्टर को यह सुनिश्चित करुंगा कि वह अस्पताल के प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाए तथा साथ ही अनियमितताओं को पूरा करने में सहयोग करे। वह इस कार्य में अपने किसी सहकर्मी, जो इस मामले की सही जानकारी रखता हो, साथ देने के लिए आगे भेजे। अतः तकनीकी खामियों में जरूरत पड़ने पर ही डॉक्टर की मदद ली जाए अन्यथा उसे परेशान नहीं किया जाना चाहिए जिससे वह अपना ध्यान अस्पताल के प्रोजेक्ट को पूरा करने में लगा सके।
Question : एडवर्ड स्नोडन, एक कंप्यूटर विशेषज्ञ तथा सी.आई.ए. के पूर्व व्यवस्था प्रशासक, ने सरकार के निगरानी कार्यक्रमों के अस्तित्व के बारे में गोपनीय सरकारी दस्तावेजों का खुलासा प्रेस को कर दिया। अनेक विधि विशेज्ञषों और अमेरिकी सरकार के अनुसार, उसके इस कार्य से गुप्तचर्या अधिनियम, 1917 का उल्लंघन हुआ है, जिसके अंतर्गत राज्य गुप्त बातों का सार्वजनीकरण राजद्रोह माना जाता है। इसके बावजूद कि स्नोडन ने कानून तोड़ा था, उसने तर्क दिया कि ऐसा करना उसका एक नैतिक दायित्व था। उसने अपने ‘‘जानकारी सार्वजनिक करने को (व्हिसल ब्लोइंग)’’ यह कह कर उचित ठहराया कि ‘‘जनता को यह सूचना देना कि उसके नाम पर क्या किया जाता है और उसके विरुद्ध क्या किया जाता है”, बताना उसका कर्तव्य है।
स्नोडन के अनुसार, सरकार द्वारा निजता के उल्लंघन को वैधानिकता की परवाह किए बिना उसको उजागर करना चाहिए क्योंकि इसमें सामाजिक क्रिया तथा सार्वजनिक नैतिकता के अधिक महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं। अनेक व्यक्ति स्नोडन से सहमत थे। केवल कुछ ने यह तर्क दिए कि स्नोडन ने कानून तोड़ा है और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता किया है, जिसके लिए उसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
क्या आप इससे सहमत हैं कि स्नोडन का कार्य कानूनी रूप से प्रतिबंधित होते हुए भी नैतिकता की दृष्टि से उचित था? क्यों या क्यों नहीं? इस विषय में परस्पर स्पर्धी मूल्यों को तोलते हुए अपना तर्क दीजिए।
(2018)
Answer : उपर्युक्त प्रकरण कानून तथा नैतिकता के बीच द्वन्दात्मक स्थिति को दर्शाता है-
मैं इस बात से सहमत हूं कि स्नोडन द्वारा किया गया कृत्य कानूनी रूप से प्रतिबंधित है तथा उसने ‘गुप्तचर्या अधिनियम 1917’ का उल्लंघन किया है, किंतु अगर नैतिकता की दृष्टि से देखा जाए तो स्नोडन का कृत्य उचित ठहरता है क्योंकि व्यक्ति को इस बात की पूरी स्वतंत्रता है कि सरकार उसके नाम क्या करती है तथा उसके विरूद्ध क्या किया जाता है।
अतः इन प्रतिस्पर्द्धा मूल्यों को तौलते हुए निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किए जा सकते हैं-
अतः निजता का अधिकार व्यक्ति का मौलिक अधिकार है अतः राज्य को उसकी निजता का सम्मान करना चाहिए किंतु राष्ट्रीय सुरक्षा का भी दायित्व राज्य पर है।
अतः महत्वपूर्ण जानकारी रखना भी राज्य का अधिकार है, जिसमें नागरिक को पूर्ण सहयोग करना चाहिए।
Question : आप एक ईमानदार और जिम्मेदार सिविल सेवक हैं। आप प्रायः निम्नलिखित को प्रेक्षित करते हैं-
उपर्युक्त कथनों की उनके गुणों और दोषों सहित जांच कीजिए।
(2017)
Answer : नौकरशाही इस देश का इस्पाती ढांचा है। नौकरशाह सरकार और जनता के मध्य सेतु कार्य करते हैं। नौकरशाह न केवल कल्याणकारी नीतियों के निर्माण में अपना योगदान देते हैं बल्कि उन नीतियों का उचित क्रियान्वयन सुनिश्चित करने में भी नौकरशाहों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चूंकि वर्तमान समय में भ्रष्टाचार सभी जगह अपनी गहरी पैठ बना चुका है अतः नौकरशाही भी इससे अछूती नहीं रह गयी है। यही कारण है कि जब एक ईमानदार एवं जिम्मेदार नौकरशाह अपना दायित्व संभालता है तो वह आसपास की परिस्थितियों को देखकर अक्सर कुछ सवालों का सामना करता है। प्रश्न में दिए गए प्रत्येक कथन एवं उनके गुणों एवं दोषों की जांच निम्नलिखित रूप में की गयी है-
(a) गुणः नैतिक आचरण अर्थात ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, प्रतिबद्धता आदि का पालन करने से सिविल सेवक स्वयं तथा परिवार दोनों के लिए कठिनाई उत्पन्न कर सकता है क्योंकि इससे वरिष्ठ और कनिष्ठ भ्रष्ट अधिकारी आपके साथ कार्यों में अपेक्षित सहयोग नहीं करेंगे जिससे आपका कार्य लंबित होगा साथ ही आप अनैतिक कार्यों से मिलने वाले लाभो से भी वचित हो जाएंगे जिसका असर आपके परिवार की आर्थिक स्थिति पर भी पड़ सकता है। इतना ही नहीं यदि नौकरशाह बाहुबली खनन माफिया, ठेकेदारों एवं गुण्डों का पर्दाफाश करने या उसके कार्यों में रूकावट डालने का कारण बनता है तो स्वंय तथा अपने परिवार की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। जबकि अनुचित आचरण नौकशाह को उपर्युक्त सभी समस्याओं से निजात दिला सकता है। नौकरशाह का यह कदम तात्कालिक तौर पर तो सही हो सकता है किन्तु दीर्घकालिक तौर पर यह कदम न तो नैतिक रूप से उचित होगा और न ही समाज एवं देश के हित में होगा।
दोषः इस विकल्प को अपनाने पर निम्नलिखित दोष नजर आते हैं- प्रथम, नौकरशाह के द्वारा अपने दायित्वों की उपेक्षा करने और सार्वजानिक हित के बजाय निजी हित को महत्व देने से नौकरशाह की छवि एक बेईमान, भ्रष्ट सिविल सेवक की बनेगी। दूसरा, अनैतिक मार्ग अनुसरण भले ही प्रारंम्भिक तौर पर लाभकारी हो सकता है किंतु इस मार्ग के अनुसरण से न सिर्फ नौकरशाह की सत्यनिष्ठा एवं ईमानदारी संदेह के घेरे में आ जायेगी बल्कि इससे उसके भविष्य में भी कई प्रकार की समस्याएं आ सकती है।
अतः हम कह सकते हैं कि नैतिक आचरण का पालन करे प्रारम्भ में भले ही कुछ कठिनाइयाँ उत्पन्न होगी, किन्तु अतंतः इसका परिणाम सुखद होता है और अनुचित आचरण का परिणाम उतना ही दुखद होता है।
(b) गुणः यदि किसी संस्थान में अधिकांश लोग अनैतिक रास्ते पर अग्रसर हैं तो उस संस्थान के उन लोगों को हमेशा विरोध का सामना करना होगा जो नैतिकता एव सत्य का पालन करते हैं। इस प्रकार यदि नैतिकता एवं सत्य के मार्ग पर अग्रसर व्यक्ति भी अन्य लोगों के समान अनैतिक मार्ग का समर्थन करते हैं तो उन्हे विरोध का सामना नहीं करना पड़ेगा। साथ ही इससे व्यक्ति भ्रष्ट अफसरों एवं नेताओं का प्रिय बन जाता है जिससे उसे आथिर््ाक लाभ के साथ प्रोन्नति के अवसर भी प्राप्त होते हैं।
दोषः इतिहास साक्षी रहा है कि भीड़ (बहुसंख्या) कोई भी नया या सत्य कार्य आरम्भ नहीं करती है। इसका आगाज कोई एक व्यक्ति ही करता है। कालान्तर में बहुसंख्यक उसी का अनुसरण करने लगते हैं। महात्मा गाँधी ने सत्य के मार्ग पर अडिग रहकर ही ब्रिटिश साम्राज्य को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। भले ही नैतिक साधन अपनाने वाले अल्पसंख्यक हैं, किन्तु यही प्रशासन का एक मानदण्ड स्थापित करते हैं तथा प्रशासन को एक नयी दिशा भी देते हैं। सबसे बढ़कर, कर्तव्यों को ईमानदारी से करने, सार्वजनकि हित से जो आत्म संतुष्टि प्राप्त होती है उसका जीवन में विशेष महत्व होता है। कहने का तात्पर्य यह है कि एक अकेला व्यक्ति ही नैतिक एवं सत्य के मार्ग का अनुशरण करके परिवर्तन लाने में सक्षम हो सकता है।
(c) गुणः इस कथन का विश्लेषण करने के पश्चात जब हम इसके गुण पर विचार करते हैं तो पाते हैं कि नैतिक तरीकों से विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति में बाधा भी पहुँच सकती है, क्योंकि आप ईमानदारी, सत्यनिष्ठा एवं प्रतिबद्धता के साथ लक्ष्य प्राप्त करने की कोशिश करेंगे तो इससे भ्रष्ट अफसरों, नेताओं आदि को प्राप्त होने वाले लाभों से वंचित होना पड़ेगा जिससे आपके कार्यों में अनावश्यक बाधाएं पैदा हो सकती हैं इतना ही नही इससे निर्णय लेने में भी देरी हो सकती है जिसका नकारात्मक प्रभाव राष्ट्र की विकास परियोजना पर भी पड़ सकता है।
दोषः वृहद विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि नैतिक मार्ग का पालन किया जाए क्योंकि नैतिकता का मार्ग न सिर्फ वृहद विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होता है वरन यह सतत विकासात्सक लक्ष्यों का मार्ग भी प्रशस्त करता है क्योंकि उचित साधन से ही उचित साध्य की प्राप्ति की जा सकती है।
(d) गुणः बड़े घोटालों या बड़े अनैतिक आचरण में शामिल न होते हुए भी सिविल सेवक छोटे मोटे उपहार ले सकते हैं। इसका फायदा यह होगा कि इससे एक तो लोग आपसे खुश रहेंगे, दूसरा आप अपना कार्य भी सरलता से करने में सक्षम होगे। छोटे मोटे उपहार आपकी सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, दायित्व एवं प्रतिबद्धता को वृहद स्तर पर प्रभावित नही करेंगे।
दोषः छोटे मोटे उपहारो एवं आर्थिक लाभ का सबसे बड़ा अवगुण यह है कि कभी भी ये लालसाएं वृहद स्वरूप धारण कर सकती हैं क्योंकि यह सर्वमान्य सत्य है कि मानव की इच्छायें असीमित होती है तथा इनका कभी अंत नही होता है। साथ ही छोटे-मोटे उपहारों के पीछे मंशा अनुचित कार्य की मौन स्वीकृति के लिए होती है इसलिए ऐसे उपहारों को ग्रहण करते समय उपहारदाता की मंशा को जानना जरूरी है। सबसे बढ़कर इस प्रकार के छोटे-मोटे लाभ प्राप्त करने को सिविल सेवा की आचार संहिता के विरुद्ध भी माना गया है।
Question : आप आई.ए.एस. अधिकारी बनने के इच्छुक हैं और आप विभिन्न चरणों को पार करने के बाद व्यक्तिगत साक्षात्कार के लिए जब आप साक्षात्कार स्थल की ओर जा रहे थे तब आपने एक दुर्घटना देखी जहाँ एक माँ और बच्चा जो कि आपके रिश्तेदार थे, दुर्घटना के कारण बुरी तरह से घायल हुए थे। उन्हें तुरंत सहायता की आवश्यकता थी। आपने ऐसी परिस्थिति में क्या किया होता? अपनी कार्यवाही का औचित्य समझाए।
(2017)
Answer : उपरोक्त केस अध्ययन में दी गयी परिस्थिति सार्वजनिक हित बनाम निजी हित से संबंद्ध है। निजी हित यह है कि एक तरफ मेरी सालों की मेहनत के बाद सिविल सेवा में अंतिम चयन से एक कदम की दूरी पर हूँ वहीं दूसरी ओर सार्वजनिक हित यह है कि सामाजिक प्राणी होने के नाते समाज, समुदाय एवं परिवार के प्रति अपने दायित्वों का पूरी ईमानदारी के साथ निर्वहन करूं अर्थात दुर्घटना में घायल दोनों रिश्तेदारों के जीवन की रक्षा के लिए आगे आऊं।
सार्वजानिक हित और निजी हित के मध्य द्वन्द्व की स्थिति में मेरे द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए जाएंगे-
इस प्रकार उपर्युक्त कदमों के माध्यम से मैं अपने निजी हित एवं सामाजिक हित के बीच सामंजस्य बैठा सकूंगा और अपनी दोनों जिम्मेदारियों का निर्वहन समुचित तरीके से कर सकूंगा।
Question : आप किसी संगठन के मानव संसाधन विभाग के अध्यक्ष हैं। एक दिन कर्मचारियों में से एक का डॅयूटी करते हुए देहांत हो गया। उसका परिवार मुआवजे की मांग कर रहा था किंतु कंपनी ने इस कारण से मुआवजा देने से इंकार कर दिया है क्योकि कंपनी की जॉच द्वारा ज्ञात हुआ कि कर्मचारी दुर्घटना के समय नशे में था। कम्पनी के कर्मचारी मृतक कर्मचारी के परिवार को मुआवजा देने की मांग करते हुए हड़ताल पर चले गये। प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष ने आपसे इस संबध में सलाह देने को कहा। प्रबंधन मंडल को आप क्या सलाह देंगे? अपनी दी गई सलाहों में से प्रत्येक के गुणों और दोषों की चर्चा कीजिए।
(2017)
Answer : उपर्युक्त केस अध्ययन कॉरपोरेट एथिक्स से जुड़ा हुआ है। कॉरपोरेट एथिक्स के अन्तर्गत भी संगठन और कर्मचारियों के मध्य संबंधों के द्वन्द्ध पर आधारित है। इस केस अध्ययन में दुविधा एक तरफ मृतक कर्मचारी के परिवार के भविष्य की है तो दूसरी तरफ कंपनी के नियम की है। अर्थात एक ओर जहाँ मृतक कर्मचारी के परिवार एवं कंपनी के अन्य कर्मचारी मुआवजे की मांग कर रहे है वही दूसरी ओर कपंनी मृतक कर्मचारी के परिजनों को इसलिए मुआवजा नहीं देना चाहती क्योकि मृतक कर्मचारी नशे में था।
इस दुविधा के समाधान हेतु कंपनी के प्रबंधन मंडल को मेरे द्वारा निम्न विकल्प दिये जा सकते हैं-
इस प्रकार चारों विकल्पों के गुण-दोषों का मूल्यांकन करने पर चतुर्थ विकल्प सर्वाधिक उपयुक्त प्रतीत होता है क्योंकि इससे मृतक के परिवार को न्याय मिलने के साथ-साथ कंपनी को अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों लाभ प्राप्त होंगे। सबसे बढ़कर मानव संसाधन विकास का अध्यक्ष होने के नाते मैं अपने दायित्वों को सफलतापूर्वक निभाने में सफल हो जांऊगा।
Question : आप एक स्पेयर पार्ट कंपनी के मैनेजर हैं और आपको एक बड़ी उत्पादक कंपनी ‘बी’ के मैनेजर से सौदे के लिए बातचीत करनी है। सौदा अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धात्मक है तथा आपकी कंपनी के लिए यह सौदा प्राप्त करना बहुत महत्वपूर्ण है। डिनर पर सौदा किया जा रहा है। डिनर के पश्चात् उत्पादक कंपनी ‘बी’के मैनेजर ने आपको होटल अपनी गाड़ी से छोड़ने का प्रस्ताव किया। होटल जाते समय कंपनी ‘बी’के मैनेजर से एक मोटर साइकिल पर सवार व्यक्ति बुरी तरह से घायल हो गया। आप जानते हैं कि मैनेजर तीव्र गति से गाड़ी चला रहा था और वह गाड़ी पर नियंत्रण खो बैठा था। विधि-प्रवर्तन अधिकारी इस घटना की जांच करने के लिए आते हैं और आप इस घटना के एकमात्र प्रत्यक्ष साक्षी हैं। सड़क दुर्घटना के कड़े कानूनों को जानते हुए आप इस बात से अवगत हैं कि आपके इस घटना के सच्चे बयान से कंपनी ‘बी’के मैनेजर पर अभियोग चलाया जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप सौदा होना खतरे में पड़ सकता है और यह सौदा आपको कंपनी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आप किस प्रकार की दुविधाओं का सामना करेंगे? इस परिस्थिति के बारे में आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी?
(2017)
Answer : यह मामला व्यावसायिक हितों एंव नैतिक तथा कानूनी दायित्व के बीच द्वंद्व से संबधित है। एक ओर जहां स्पेयर पार्ट कपंनी के मैनेजर के रूप में मेरा दायित्व कंपनी "B" से सौदा प्राप्त करना है वहीं दूसरी ओर दुर्घटना में घायल व्यक्ति को न्याय दिलवाना एवं उसके पक्ष में गवाही देना मेरा नैतिक एवं कानूनी दायित्व है। चूंकि इस मामले के संबंध में मैं ही एकमात्र ग्वाह हूँ अतः ऐसी परिस्थिति में मेरे द्वारा निम्नलिखित दुविधाओं का सामना करना पड़ेगा-
Question : एक मकान जिसे तीन मंजिल बनाने की अनुमाति मिली थी उसे अवैध रूप से निर्माणकर्ता द्वारा छह मंजिला बनाया जा रहा था और वह ढह गया। इसके कारण कई निर्दाेष मजदूर जिनमें महिलाए एवं बच्चे भी शामिल थे, मारे गये। सभी मृतक परिवारों को नकद-मुआवजा घोषित किया गया और निर्माणकर्ता को गिरफ्रतार कर लिया गया। देश में होने वाली इस प्रकार की घटनाओं के कारण बताइए। इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए अपने सुझाव दीजिए।
(2017)
Answer : यह मामला नियमों के स्पष्ट उल्लंघन एवं प्रशासनिक लापरवाही से जुड़ा हुआ है। एक तरफ जहा निर्माणकर्ता के द्वारा अनुमति न होने के बावजूद भी नियमों का उल्लंघन करते हुए अवैध रूप से निर्माण कार्य किया गया वहीं दूसरी ओर जांच अधिकारियों के द्वारा अपने उत्तरदायित्वों का सही से निर्वहन नहीं किया गया। देश में होने वाली इस प्रकार की घटनाओं के लिए एक से अधिक कारण उत्तरदायी हैं-
इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं-
Question : आप एक सरकारी विभाग में सार्वजनिक जनसूचना अधिकारी (पी.आई.ओ.) हैं। आप जानते हैं कि 2005 का आर.टी.आई. अधिनियम प्रशासनिक पारदर्शिता एवं जबावदेही की परिकल्पना करता है। अधिनियम आमतौर पर कदाचित मनमाना प्रशासनिक व्यवहार एवं कार्यों पर रोक लगाने में कार्यरत है। किन्तु एक पी.आई.ओ. के स्वरूप में आपने देखा है कि कुछ ऐसे नागरिक हैं जो अपने लिए याचिका फाइल करने की बजाय इसके द्वारा अपने स्वार्थ को आगे करते हैं। साथ-साथ ऐसे आर.टी.आई. भरने वाले कुछ लोग भी हैं जो नियमित रूप से आर.टी.आई. याचिकाएँ भरते रहते हैं और निर्णयकर्ताओं से पैसा निकलवाने का प्रयास करते है। इस प्रकार की आर.टी.आई. गतिविधियों ने प्रशासन के कार्यकलापों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और संभवतः विशुद्ध याचिकाओं को जोखिम में डाल दिया है जिनका लक्ष्य न्याय प्राप्त करना है। वास्तविक और अवास्तविक याचिकाओं को अलग करने के लिए आप क्या उपाय सुझाएंगे? अपने सुझावों के गुणों एव दोषों का वर्णन कीजिए।
(2017)
Answer : भारत सरकार द्वारा शासन एवं प्रशासन में जवाबदेहिता, पारदर्शिता, उत्तरदायित्व, सत्यनिष्ठा, कर्तव्यपरायणता सुनिश्चित करने के लिए 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम लाया गया। इस कानून ने प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ाने, गलत कार्य करने वाले अधिकारियों को जेल में भेजने, जनता को सशक्त करने के साथ-साथ लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने का भी कार्य किया है। इन उपलब्धियों के बावजूद भी इस कानून का कुछ लोग अपने स्वार्थ सिद्धि हेतु दुरुपयोग कर कमजोर करने की कोशिश में लगे हुए हैं। इस कानून को मजबूत बनाने के लिए वास्तविक और अवास्तविक याचिकाओं को अलग करना आवश्यक है। इसके लिए निम्न सुझाव दिए जा सकते हैं जिनके अपने गुण और दोष हैं-
उपरोक्त सभी विकल्पों के गुण-दोषों को जानने के बाद इसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि इनमें से कुछ या सभी विकल्पों को अपनाकर अवास्तविक याचिकाओं पर प्रभावी नियंत्रण लगाया जा सकता है। सबसे बेहतर विकल्प यही होगा कि शासन, प्रशासन स्वतः सूचनाओं को उद्घाटित करने की अभिवृत्ति पैदा करे।
Question : इंजीनियरी की एक नई स्नातक (ग्रेजुएट) को एक प्रतिष्ठावान रासायनिक उद्योग में नौकरी मिली है। वह कार्य को पसंद करती है। वेतन भी अच्छा है। फिर भी कुछ महीनों के पश्चात इत्तफाक से उसने पाया कि उच्च विषाक्त अवशेष को गोपनीय तरीके से नजदीकी नदी में प्रवाहित किया जा रहा है। यह अनुप्रवाह में रहने वाले ग्रामीणों, जो पानी की आवश्यकता के लिए नदी पर निर्भर हैं, के स्वास्थ्य की समस्याओं का कारण बनता जा रहा है। वह विचलित है और वह अपनी चिंता सहकर्मियों को प्रकट करती है, जो लंबे समय से कंपनी के साथ रहे हैं। वे उसे चुप रहने की सलाह देते हैं क्योंकि जो भी इस विषय का उल्लेख करता है, उसको नौकरी से निकाल दिया जाता है। वह अपनी नौकरी खोने का खतरा नहीं ले सकती क्योंकि वह अपने परिवार की एकमात्र जीविका चलाने वाली है तथा उसे अपने बीमार माता-पिता एवं भाई-बहनों का भरण-पोषण करना होता है। प्रथमतः वह सोचती है यदि उसके वरिष्ठ चुप हैं, तो वह ही क्यों अपनी गर्दन बाहर निकाले। परंतु उसका अंतःकरण नदी को एवं नदी पर निर्भर रहने वाले लोगों को बचाने के लिए कुछ करने की प्रेरणा देता है। अंतःकरण से वह महसूस करती है कि उसके मित्रों द्वारा चुप रहने का दिया गया परामर्श उचित नहीं है, यद्यपि वह उसके कारण नहीं बता सकती है। वह सोचती है कि आप एक बुद्धिमान व्यक्ति हैं तथा वह आपका परामर्श पूछती है।
(2016)
ऊच्च विषाक्त पदार्थों को नदी में प्रवाहित करने वाले तथ्यों तथा समाज पर उनके प्रभाव की रिपोर्ट तैयार करने के बाद कंपनी प्रबंधन से मिलकर उन्हें मुद्दे की गम्भीरता को बताया जाए क्योंकि हो सकता है कि कंपनी ने इन पदार्थों के समाज पर प्रभाव को ठीक से समझा न हो तथा कम आंका हो। मुद्दे की गम्भीरता को समझने के बाद भी अगर कंपनी ऐसा करना बंद नहीं करती है तो वो रिपोर्ट व तथ्य भारत सरकार के संबंधित अधिकारी को दिए जा सकते हैं व जरूरत पड़ने पर उच्चतम न्यायालय में पी.आई.एल. याचिका भी दायर की जा सकती है।
क्योंकि इंजीनियर योग्य, संवेदनशील तथा जागरूक है इसलिए वह कहीं भी आसानी से नौकरी पा सकती है ऐसा वह कंपनी को रिपोर्ट दिखाने से पहले या बाद में कभी भी कर सकती है।
Question : खनन, बांध एवं अन्य बड़े पैमाने की परियोजनाओं के लिए आवश्यक भूमि अधिकांशतः आदिवासियों, पहाड़ी निवासियों एवं ग्रामीण समुदायों से अर्जित की जाती है। विस्थापित व्यक्तियों को कानूनी प्रावधानों के अनुरूप मौद्रिक मुआवजा दिया जाता है। फिर भी, भुगतान प्रायः धीमी गति से होता है। किसी भी हालत में विस्थापित परिवार लम्बे समय तक जीवनयापन नहीं कर पाते। इन लोगों के पास बाजार की आवश्यकतानुसार किसी दूसरे धंधे में लगने का कौशल भी नहीं होता है। वे आखिरकार कम मजदूरी वाले आवर्जिक (प्रवासी) श्रमिक बन जाते हैं। इसके अलावा, उनके सामुदायिक जीवन के परम्परागत तरीके अधिकांशतः समाप्त हो जाते हैं। अतः विकास के लाभ उद्योगों, उद्योगपतियों एवं नगरीय समुदायों को चले जाते हैं, जबकि विकास की लागत इन गरीब असहाय लोगों पर डाल दी जाती है। लागतों एवं लाभों का यह अनुचित वितरण अनैतिक है।
यदि आपको ऐसे विस्थापित व्यक्तियों के लिए अच्छे मुआवजे एवं पुनःवास की नीति का मसौदा बनाने का कार्य दिया जाता है तो आप इस समस्या के संबंध में क्या दृष्टिकोण रखेंगे एवं आपके द्वारा सुझाई गई नीति के मुख्य तत्व कौन-कौन से होंगे?
(2016)
Answer : भूमि का अनिवार्य रूप से अधिग्रहण आमतौर पर उद्योगों, डैम या अन्य विकासात्मक प्रोजेक्ट के लिए किए जाते हैं। ये जमीनें आमतौर पर आदिवासी क्षेत्रों, पहाड़ी क्षेत्र के लोगों तथा ग्रामीणों को विस्थापित कर सरकार द्वारा अधिग्रिहित किए जाते हैं। ऐसे में इन लोगों के सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्र व परम्परा तो बिखर ही जाती है साथ में इनकी जिविका के साधन, इनकी जमीनें तथा जंगल पर इनके अधिकार भी इनके हाथ से चले जाते हैं। इसके अलावे विस्थापित होने के कारण इन पर घातक मनोवैज्ञानिक असर भी पड़ता है।
इनके इस तरह विस्थापित होने के बदले इन्हें आर्थिक मुआवजा दिया जाता है जो अक्सर इनकी जरूरतों के हिसाब से काफी कम पड़ता है और इसके कारण इन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों की समस्या के निदान के लिए इन्हें पर्याप्त मुआवजा देने के साथ-साथ इनके पुनःस्थापन संबंधी नीति का भी निर्माण होना चाहिए ताकि इन्हें पुनः अपना जीवन नए सिरे से शुरू करने का पूर्ण अवसर मिल सके। पर्याप्त मुआवजा और पुनः स्थापन संबंधी नीतियों में निम्नलिखित बातें शामिल करना जरूरी है-
Question : कल्पना करें कि आप एक सामाजिक सेवा योजना की क्रियान्विती के कार्यप्रभारी हैं, जिससे बूढ़ी एवं निराश्रय महिलाओं की सहायता प्रदान करनी है। एक बूढ़ी एवं अशिक्षित महिला योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आपके पास आती है। यद्यपि, उसके पास पात्रता के मानदंडों को पूरा करने वाले कागजात दिखाने के लिए नहीं हैं। परंतु उससे मिलने एवं उसे सुनने से आप यह महसूस करते हैं कि उसे सहायता की निश्चित रूप से आवश्यकता है। आपकी जांच में यह भी आया है कि वास्तव में वह दयनीय दशा में निराश्रित जीवन व्यतीत कर रही है। आप इस धर्मसंकट में हैं कि क्या किया जाए। उसे बिना आवश्यक कागजात के योजना में सम्मिलित किया जाना, नियमों का स्पष्ट उल्लंघन होगा। उसे सहायता के लिए मना करना भी निर्दयता एवं अमानवीय होगा।
(2016)
Answer : a. यह सच है कि कानून लोगों की सुविधा और सहुलियत के लिए बनाए जाते हैं तथा कानून का पालन समाज में व्यवस्था और अनुशासन बनाए रखने के लिए आवश्यक है। प्रस्तुत केस स्टडी में सामाजिक सेवा योजना की चर्चा की गई है जिसके अंतर्गत योजनानुरूप अर्हता प्राप्त व्यक्ति को ही सरकार की योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। एक बूढ़ी महिला भले ही इस योजना का लाभ पाने के योग्य है परंतु उसके पास अपनी पहचान के लिए कोई दस्तावेज नहीं है जिससे वो अपनी अक्षमता साबित कर सरकारी योजना का लाभ ले सके।
ऐसे में एक उपाय यह हो सकता है कि ऑफिसर उस महिला से संबंधित दस्तावेज बनवाने और उसकी प्रामाणिकता के लिए संबंधित कर्मचारी से जांच पड़ताल के लिए कह कर उस महिला को उस कर्मचारी के पास भेज दे।
जांच पड़ताल के बाद उस महिला की पहचान तथा उसका दस्तावेज उस कर्मचारी के माध्यम से बनवाया जा सकता है। एक बार दस्तावेज बन जाने के बाद महिला सरकारी योजना का लाभ लेने योग्य बन जाएगी और उसे भविष्य में किसी अड़चन का सामना नहीं करना पड़ेगा।
b. ऑफिसर इंचार्ज चाहता तो उस महिला को यह कहकर लौटा सकता था कि दस्तावेज (Document) न होने के कारण उसे सामाजिक सेवा योजना का लाभ नहीं मिलेगा। ऐसा करते हुए वह सिविल सेवक कानून का पालन ही करता। परंतु भारत जैसे देश में अभी भी अशिक्षा है तथा लोगों में स्वयं के बारे में तथा सरकारी योजनाओं के लाभ के बारे में जानकारी और जागरूकता कम है।
ऐसे में ऑफिसर इनचार्ज सिर्फ कानून और नियम के अनुरूप चलकर किसी जरूरतमंद को उसके अधिकार से सिर्फ इसलिए वंचित कर देता है क्योंकि उसके पास पर्याप्त पहचान हेतु दस्तावेज नहीं है तो यह प्रशासनिक तंत्र की उदासीनता कहलाएगी।
एक सफल सिविल सेवक वही है जो नियमों का पालन तो करे साथ ही आवश्यकता और परिस्थिति के अनुरूप अपने कार्य निष्पादन के दौरान अपनी अभिवृत्ति में करूणा, सहानुभूति और समानुभूति जैसे मूल्यों का भी अवलंबन करे। अतः उस ऑफिसर इनचार्ज द्वारा उस गरीब महिला की स्थिति को देखते हुए उसके लिए संबंधित कम्रचारी से कहकर उसके लिए यथोचित दस्तावेज तैयार करवाना ज्यादा उचित प्रतीत होता है।
Question : आप एक सरकारी कार्यालय में अपने विभाग के निदेशक के सहायक के रूप में कार्यरत एक युवा, उच्चाकांक्षी एवं निष्कपट कर्मचारी हैं। जैसा कि आपने अभी पद ग्रहण किया है, आपको सीखने एवं प्रगति की आवश्यकता है। भाग्यवश आपका उच्चस्थ बहुत दयालु एवं आपको अपने कार्य के लिए प्रशिक्षित करने के लिए तैयार है। वह बहुत बुद्धिमान एवं पूर्ण जानकार व्यक्ति है, जिसे विभिन्न विभागों का ज्ञान है। संक्षेप में, आप अपने बॉस का सम्मान करते हैं तथा उससे बहुत कुछ सीखने के उत्सुक हैं।
जैसा कि आपके साथ बॉस के संबंध अच्छे हैं, वह आप पर निर्भर करने लगा है। एक दिन खराब स्वास्थ्य के कारण उसने आपको कुछ आवश्यक कार्य पूरा करने के लिए घर पर बुलाया।
आप उसके घर पहुंचे एवं घंटी बजाने से पूर्व आपने जोर-जोर से चिल्लाने का शोर सुना। आपने कुछ समय प्रतीक्षा की। घर में प्रवेश करने पर बॉस ने आपका अभिनंदन किया तथा कार्य के बारे में बतलाया। परंतु आप एक औरत के रोने की आवाज से निरंतर व्याकुल रहे। अंत में आपने अपने बॉस से पूछा परंतु उसने संतोषप्रद जवाब नहीं दिया।
अगले दिन आप कार्यालय में इसके बारे में आगे जानकारी करने को उद्वेलित हुए एवं मालूम हुआ कि उसका घर में अपनी पत्नी के साथ व्यवहार बहुत खराब है। वह अपनी पत्नी से मारपीट भी करता है। उसकी पत्नी ठीक से शिक्षित नहीं है तथा अपने पति की तुलना में एक सरल महिला है। आप देखते हैं कि आपका बॉस कार्यालय में अच्छा व्यक्ति है परंतु घर पर वह घरेलू हिंसा में संलिप्त है। इस स्थिति में आपके सामने निम्नलिखित विकल्प बचे हैं। प्रत्येक विकल्प का परिणामों के साथ विश्लेषण कीजिए।
(2016)
Answer : प्रस्तुत संदर्भ में घरेलू हिंसा का मुद्दा स्पष्ट है। प्रस्तुत केस स्टडी में जो अधिकारी है वह अपने कर्तव्य निष्पादन में गंभीर है तथा अपने मातहत स्टॉफ के प्रति भी मानवीय व्यवहार रखता है परंतु घरेलू संबंधों में वह अपनी पत्नी के प्रति हिंसात्मक गतिविधियों में लिप्त हैं। अतः इस संबंध में निम्नांकित तरीके से विचार किया जा सकता है-
इस प्रयास के दौरान बॉस के निकट के साथियों जो ऑफिस में कार्यरत हों, को भी शामिल किया जा सकता है ताकि बॉस की मनोवृत्ति में बदलाव लाकर पत्नी के प्रति उसके व्यवहार में बदलाव लाया जा सकता है।
Question : ए.बी.सी. लिमिटेड एक बड़ी पारराष्ट्रीय कंपनी है जो विशाल शेयरधारक के आधार पर विविध व्यापारिक गतिविधियां संचालित करती है। कंपनी द्वारा निरंतर विस्तार एवं रोजगार सृजन हो रहा है। कंपनी ने अपने विस्तार एवं विविधता कार्यक्रम के अंतर्गत विकासपुरी, जो एक अविकसित क्षेत्र है, में एक नया संयंत्र स्थापित करने का निर्णय किया है। नया संयंत्र ऊर्जा दक्ष प्रौद्योगिकी के प्रयोग के अनुरूप प्रारूपित किया गया है जो कंपनी के उत्पादन लागत को 20% बचाएगी। कंपनी के निर्णय सरकार की अविकसित क्षेत्रों के विकास के लिए निवेश को आकर्षित करने की नीति के अनुरूप हैं। सरकार ने उन कंपनियों को पांच वर्ष के लिए करों में छूट (टेक्स होलीडे) की घोषणा की है जो अविकसित क्षेत्र में निवेश करती हैं। फिर भी नया संयंत्र विकासपुरी क्षेत्र के शांतिप्रिय निवासियों के लिए अव्यवस्था पैदा कर देगा। नए संयंत्र के परिणामस्वरूप जीवनयापन की लागत बढ़ेगी, क्षेत्र में विदेशी प्रवसन से सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था प्रभावित होगी। कंपनी को संभावित विरोध का आभास होने पर उसने विकासपुरी क्षेत्र के लोगों एवं जनता को यह बताने की कोशिश की कि कंपनी की निगमीय सामाजिक उत्तरदायित्व की नीति विकासपुरी क्षेत्र के निवासियों की संभावित कठिनाइयों को रोकने में मददगार रहेगी। इसके बावजूद भी विरोध प्रारंभ होता है तथा कुछ निवासी न्यायपालिका जाने का इस आधार पर निर्णय करते हैं कि इससे पूर्व सरकार के सामने दिए गए तर्कों का कोई परिणाम नहीं निकला था।
(2016)
Answer : कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व की अवधारणा कारपोरेट शासन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण आयाम है जो कि कॉरपोरेट क्षेत्र के समाज के प्रति उत्तरदायित्व को समझता है। कारपोरेट क्षेत्र समाज में ही अपनी गतिविधियों को संचालित कर समाज से लाभ अर्जित करता है। अतः कारपोरेट क्षेत्र से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने लाभ का कुछ हिस्सा समाज और पर्यावरण के हित में भी खर्च करे।
Question : सरस्वती यू.एस.ए. में सूचना प्रौद्योगिकी की एक सफल पेशेवर थी। अपने देश के लिए कुछ करने की राष्ट्र-भावना से प्रेरित होकर वह वापस भारत आई। उसने गरीब ग्रामीण समुदाय के लिए एक पाठशाला निर्माण के लिए एक जैसे विचारों वाले कुछ मित्रों के साथ मिलकर एक गैर-सरकारी संगठन बनाया।
पाठशाला का लक्ष्य नाममात्र की लागत पर उच्च स्तरीय आधुनिक शिक्षा प्रदान करना था। उसने जल्दी ही पाया कि उसे कई सरकारी ऐजेन्सियों से अनुमति लेनी होगी। नियम एवं प्रक्रियाएं काफी अस्पष्ट एवं जटिल थीं। अनावश्यक देरियों, अधिकारियों की कठोर प्रवृत्ति एवं घूस की लगातार मांग से वह सबसे ज्यादा हतोत्साहित हुई। उसके एवं उस जैसे दूसरों के अनुभव ने लोगों को सामाजिक सेवा परियोजनाओं को लेने से रोका हुआ है।
स्वैच्छिक सामाजिक कार्य पर सरकारी नियंत्रण के उपाय आवश्यक हैं। परंतु इन्हें बाध्यकारी या भ्रष्टरूप में प्रयोग में नहीं लिया जाना चाहिए। आप क्या उपाय यह सुनिश्चित करने के लिए सुझाएंगे कि जिससे आवश्यक नियंत्रण के साथ नेक इरादों वाले ईमानदार गैर-सरकारी संगठन के प्रयासों में बाधा नहीं आए ?
(2016)
Answer : गैर सरकारी संगठन आमतौर पर सामुदायिक सेवा के प्रति समर्पित होते हैं और शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि के लिए सरकारी फंड का इस्तेमाल कर समाज की सेवा करते हैं। परंतु ऐसे कई प्रमाण हैं जहां इन गैर-सरकारी संगठनों द्वारा सरकारी फंडों का दुरूपयोग किया जाता है जिस पर नियंत्रण लगाना आवश्यक है।
इसके लिए सर्वप्रथम उन गैर-सरकारी संगठनों के लिए सरकार द्वारा एक दिशा निर्देश जारी किया जाना चाहिए। पुनः यह भी स्पष्ट किया जा सकता है कि जो एनजीओ झूठी सूचनाओं के आधार पर सरकारी फंड प्राप्त करता है उसे काली सूची में डाल दी जाएगी।
सरकार द्वारा यह भी अनिवार्य किया जाना चाहिए कि सभी एनजीओ के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराना जरूरी है। पुनः इन एनजीओ को एक यूनिक आईडी भी मिलनी चाहिए ताकि इनकी पहचान सुरक्षित रहे और इनसे आसानी से संपर्क किया जा सके।
सरकार द्वारा यह स्पष्ट कर देना होगा कि सभी एनजीओ को ऑडिट एकाउंट, इनकम टैक्स रिटर्न के अलावा काम करने के क्षेत्र और मुख्य कार्यकर्ताओं की जानकारी देनी होगी। पुनः एक उपाय यह भी हो सकता है कि उसके अंदरूनी कामकाज और नैतिक स्टैंडर्ड के मूल्यांकन के बाद ही मान्यता दी जाए। मान्यता मिलने के बाद एनजीओ को मिलने वाले फंड की कई स्तरों पर जांच करना भी जरूरी है। फंड का दुरूपयोग करनेवाले एनजीओ और स्वैच्छिक संस्थाओं के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई के द्वारा भी फर्जी एनजीओ पर नियंत्रण लगाया जा सकता है।
अगर सरकार किसी एनजीओ के प्रोजेक्ट से संतुष्ट नहीं होती या उसे लगे कि गाइडलाइन (दिशा-निर्देश) की उल्लंघन हो रहा है तो तुरंत प्रभाव से फंड पर रोक लगाना उचित होगा।
इस प्रकार स्थापित एनजीओ के कार्यों में रूकावट नहीं आएगी और फर्जी एनजीओ पर भी नियंत्रण लगाना संभव होगा।
Question : एक निजी कंपनी अपनी दक्षता, पारदर्शिता और कर्मचारी कल्याण के लिए विख्यात है। यद्यपि कंपनी का मालिक एक निजी व्यक्ति है, तथापि उसका एक सहकारिता वाला आचरण है जहाँ कर्मचारी स्वामित्व की भावना रखते हैं। कंपनी में लगभग 700 कार्मिक नियुक्त हैं और उन्होनें स्वेच्छापूर्वक संघ न बनाने का निर्णय लिया है।
अचानक एक दिन सुबह एक राजनीतिक पार्टी के 40 आदमी जबरदस्ती फैक्ट्री में नौकरी मांगने लगे। उन्होंने प्रबंधन और कर्मचारियों को धमकियाँ और गालियाँ भी दी। कर्मचारियों का मनोबल गिरा। यह स्पष्ट था कि जो लोग जबरदस्ती घुस आए थे, वे कंपनी के वेतन-पत्रक में होना चाहते थे और साथ ही साथ पार्टी के स्वयंसेवक/सदस्य बने रहना चाहते थे।
कंपनी ईमानदारी के उच्च मानकों को बनाए रखती है और सिविल प्रशासन, जिसमें कानून प्रवर्तन अभिकरण भी शामिल हैं, का कोई अनुग्रह नहीं करती। इस प्रकार के प्रसंग सार्वजनिक क्षेत्रक में भी घटते है।
(2015)
Answer : a. उपर्युक्त स्थिति में चूकि वे लोग जबरदस्ती कम्पनी में घुस आए हैं, अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे हैं तथा प्रबंधन को धमकी दे रहे हैं अतः किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सर्वप्रथम पुलिस को बुलाते हुए उनसे निवेदन करूंगा की वे उग्र भीड़ को कम्पनी से बाहर ले जाएं क्योंकि उनके द्वारा नौकरी मांगने का तरीका अवैधानिक तथा गैर-कानूनी है।
तत्पश्चात तत्काल ही कम्पनी की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाते हुए कर्मचारियों की सुरक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करूंगा ताकी आगे से ऐसी कोई गम्भीर परिस्थिति उत्पन्न ना हों।
b. इस प्रकार की स्थिति से निपटने तथा कर्मचारियों के मनोबल को वापिस लाते हुए कम्पनी की कार्य संस्कृति को बनाए रखने के लिए में कम्पनी का सीईओ होने के नातें अनेक सकारात्मक कदम उठाऊंगा। चूंकि 40 लोगों की जबरदस्ती कम्पनी में घुस आई भीड़ को राजनैतिक पार्टी का संरक्षण प्राप्त है अतः इस प्रकार उनके बिना इजाजत के कम्पनी में घुस आने से कम्पनी के कर्मचारियों का मनोबल गिरा है तथा बाजार में कम्पनी की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नकारात्मक संदेश गया है।
कम्पनी के 700 कर्मचारियों ने किसी प्रकार का संघ न बनाने का निर्णय लेकर कम्पनी के प्रति अपनी आस्था जाहिर की है अतः आवश्यक है की उनकी जान एवं माल की समुचित सुरक्षा अब कम्पनी द्वारा की जाए ताकि व्यवसायिक नैतिकता बनी रहे। इस हेतु कम्पनी का सीईओ होने के नाते मैं कम्पनी की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करूंगा तथा भविष्य में ऐसी कोई घटना घटित न हो, इस बात का पुलिस से आश्वासन लेकर कर्मचारियों को संतुष्ट करूंगा। मैं यह भी सुनिश्चित करूंगा की आगे से कम्पनी के प्रबंधन एवं नीति निर्माण की प्रक्रिया में कर्मचारियों का भी पक्ष सुना जाए एवं उनकी शिकायतों का त्वरित निपटारा हों।
मैं राजनैतिक पार्टी से भी शिकायत करूंगा क्योंकि मुझे पूरा विश्वास है की राजनैतिक पार्टी अवश्य ऐसे उग्र एवं हिसंक कार्यकर्ताओं के विरूद्ध उचित कार्यवाही करेगी। इस प्रकार की परिस्थिति में सरकार की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
अतः मैं कानूनी तौर-तरीकों एवं श्रमिक अधिनियमों के अन्तर्गत अपनी कम्पनी के कर्मचारियों की सुरक्षा एवं कल्याण सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश करूंगा।
c. 1. उनकी मांगें मानने से मना करनाः कम्पनी में जबरन घुस आए लोगों की मांगे ना मानते हुए पुलिस को सूचित करना यह दिखाता है की कम्पनी में व्यवसायिक नैतिकता तथा ईमानदारी जैसे मूल्य आज भी बने हुए हैं तथा इस प्रकार का निर्णय कम्पनी के सीइओ की एक कर्तव्यनिष्ठ एवं ईमानदार छवि पेश करता है।
उनकी मांगों को ना मानकर कम्पनी सही अर्थों में अपने 700 कर्मचारियों की सुरक्षा एवं कल्याण के कार्य भी सुनिश्चित करती है जो उसके सामाजिक उत्तरदायित्व को दर्शातें हैं तथापि उग्र भीड़ की मांगों को ना मानना कम्पनी परिसर में भारी जान-माल की हानि करवा सकता है।
2. उनकी मांगे स्वीकार करनाः राजनैतिक पार्टी के कार्यकर्त्ताओं की अवैध मांगों को स्वीकार करना कम्पनी तथा सीईओ की नकारात्मक छवि पेश होती है जो दबाव में अपनी व्यवसायिक नैतिकता खो देता है।
उनकी मांगें मान लेने से कम्पनी के 700 कर्मचारियों की सत्यनिष्ठा तथा आत्मबल पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उनकी मांगें मान लेने से अन्य राजनैतिक पार्टी या गुटबंद लोगों को भी नौकरी प्राप्त करने के लिए दबाव की राजनीति करने का मार्ग मिल जाएगा जो किसी भी प्रकार से कम्पनी के हित में नहीं होगा।
Question : आप एक पंचायत के सरपंच हैं। आपके क्षेत्र में सरकार द्वारा चलाया जा रहा एक प्राइमरी स्कूल है। स्कूल में उपस्थित होने वाले बच्चों को दिवस-मध्य भोजन (मिड-डे-मील) दिया जाता है। हेडमास्टर ने अब भोजन तैयार करने के लिए एक नया रसोइया नियुक्त कर दिया है। परंतु जब यह पता चलता कि रसोइया दलित समुदाय का है, उच्च जातियों के बच्चों में से लगभग आधे को उनके मां-बाप भोजन करने की इजाजत नहीं देते है। फलस्वरूप स्कूल में बच्चों की उपस्थिति तेजी से घट गई। इसके परिणामस्वरूप दिवस-मध्य भोजन की योजना को समाप्त करने और उसके बाद अध्ययन स्टाफ को हटाने और बाद में स्कूल को बंद कर देने की संभावना पैदा हो गई।
(2015)
Answer : a. सरपंच गांव के लोगों द्वारा निर्वाचित मुखिया है और ऐसे में उसका प्रमुख कार्य संविधान के अनुसार कार्य संचालन करते हुए अधिकतम लोगों का अधिकतम कल्याण सुनिश्चित करना होना चाहिए। परन्तु हाल ही में गांव के सरकारी स्कूल में दलित रसोइये की नियुक्ति को लेकर उभरे विवाद से हमें समाज में प्रचलित सामाजिक अश्पृश्यता एवं धार्मिक भेदभाव का पता चलता है जिससे निपटने के लिए दो प्रकार की कार्यवाहियां की जा सकती है- 1. नैतिक, 2. वैधानिक।
नैतिक कार्यवाही के अन्तर्गत सर्वप्रथम उच्च वर्ण अथवा जाति के लोगों की एक आम सभा बुलाकर उन्हें दलित रसोइयों के बहिष्कार ना करने के पक्ष में तार्किक तरीकों के माध्यम से यथा संविधान, समाज सुधारकों, मानवता तथा देश-विदेश के उदाहरण देकर समझाना चाहिए। साथ ही उनके द्वारा किए जाने वाले इस प्रकार के व्यवहार से गांव के आपसी सोहार्द्र व सामंजस्य को पहुंचने वाली क्षति को भी रेखांकित करना चाहिए।
नैतिकता सम्बन्धी दूसरी कार्यवाही के अन्तर्गत गांव के शिक्षित एवं प्रतिशिक्षित लोगों का एक समूह बनाकर सामाजिक जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जाना चाहिए। इतने पर भी यदि हालात न सुधारे तो वैधानिक कार्यवाही का सहारा लेना चाहिए जिसके अन्तर्गत लोगोंको पुलिस तथा अनुसूचित जाति तथा जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम-1976 के प्रावधान बताते हुए सख्ती से पेश आने की बात कहनी चाहिए तथा जिला प्रशासन को एक वैध-दस्तावेज जारी करते हुए यह सूचना देनी चाहिए की उस विद्यालय से निकाले गए विद्यार्थियों को जिले के और किसी स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इस प्रकार उपयुक्त तात्कालिक कार्यवाहियाँ करते हुए दीर्घकालिक सुधार की रूपरेखा भी तय की जानी चाहिए ताकि निकट भविष्य में फिर कभी ऐसी दुविधा उत्पन्न न हो। इसके लिए गांव में शिक्षा का प्रचार-प्रसार करते हुए सामुदायिक सार्वजनिक स्थलों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए जैसे- वाचनालय, पेयजल-स्थल तथा मन्दिर इत्यादि।
गांव के लोगों के मध्य आपसी सामजंस्य उत्पन्न करने में खेलकूद महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते है। अतः वार्षिक आधार पर खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित की जानी चाहिए। अन्य उपायों में ग्राम पंचायतों का सशक्तीकरण तथा जन-जागरूकता फैलाने सम्बन्धी कार्यक्रमों को गिनाया जा सकता है जिनसे अन्ततः समाज का सर्वागीण एवं समावेशी विकास सुनिश्चित होगा।
b. विभिन्न सामाजिक अभिकरणों को उनके कर्तव्यों सहित हम मोटे तौर पर निम्न भागों में बांटकर विश्लेषित कर सकते हैं-
सरकारी तथा प्रशासनिक अभिकरणः इसके अन्तर्गत गांव के निर्वाचित प्रतिनिधि तथा सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी आते हैं, चूंकि वे भी समाज का ही एक अंग होते हैं अतः उन्हें राजनैतिक एवं आर्थिक लाभ से परे जाकर समाज के सर्वांगीण विकास की नीति अपनानी चाहिए। उक्त दोनों वर्ग जनता से सीधे तौर पर जुड़े होते हैं तथा इनके हाथ में ही समाज को संविधान व न्याय एवं कानून व्यवस्था के अनुसार चलाने एवं आगे बढ़ाने का न केवल नैतिक दायित्व होता है बल्कि वैधानिक कर्तव्य भी होता है।
धार्मिक एवं सामाजिक नेताः उक्त दोनों प्रकार के लोगों से समाज आज भी अत्यधिक प्रभावित रहता है। भारतीय जनता हमेशा से ही धर्मभीरु रही है अतः इन वर्गों का ये नैतिक कर्तव्य है कि वे समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करते हुए उसमें वैज्ञानिक सोच तथा नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना करें।
शिक्षकः प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग में हमारे सामने सुकरात से लेकर अय्यादुरे सोलेमन तक ऐसे अनगिनत शिक्षकों की कहानियां मौजूद हैं जिन्होंने अपने शिष्यों में नैतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा राजनैतिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार करके उन्हें स्वयं से भी महान बना दिया। अतः भविष्य के निर्मात्ता कहे जाने वाले शिक्षकों को छात्रों कि बाल्यावस्था में ही प्रस्तर की शिला पर रस्सी की भांति निरंतर अध्यापन एवं उदाहरण देकर नैतिक मूल्यों की छाप छोड़नी चाहिए ताकि आगे चलकर वे देश की एकता व अखण्डता की रक्षा करते हुए एक सभ्य समाज का निर्माण कर सके।
परिवारः परिवार व्यक्ति की प्रथम पाठशाला होती है। अभिभावकों को बचपन से ही बच्चों में सकारात्मक मनोवृत्ति को बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि बच्चों के सुकोमल मन पर पारिवारिक सदस्यों के रहन सहन, खान-पान तथा आचार-विचार का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है तथा यहीं से व्यक्ति में सर्वप्रथम संस्कारों की नींव पड़ती है। अतः पारिवारिक स्तर से ही व्यक्ति में नैतिक मूल्यों का विकास किया जाना चाहिए।
Question : एक प्रमुख भेषजिक कंपनी की अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला में कार्यरत एक वैज्ञानिक ने खोजा कि कंपनी की सर्वाधिक बिक्री होने वाली पशुचिकित्सकीय दवाइयों में से एक दवाई ठ में वर्तमान में असाध्य लीवर रोग, जो जनजातीय क्षेत्रों में फैला हुआ है, का इलाज करने की संभाव्यता है। परंतु मानवों के लिए उपयुक्त रूपांतर का विकास करने के लिए बहुत अनुसंधान और विकास की जरूरत थी, जिसमें 50 करोड़ रुपए तक का खर्च आ सकता था। इसकी संभावना कम थी कि कंपनी अपनी लागत को वसूल कर पाएगी क्योंकि रोग केवल निर्धनताग्रस्त क्षेत्र में फैला हुआ था, जिसका बाजार बहुत थोड़ा था।
यदि आप सी.ई.ओ. होते, तो-
(2015)
Answer : a.
b.
Question : एक आपदा प्रवण राज्य है, जिसमें अक्सर भूस्खलन, दावानल, मेघ विस्फोट, आकस्मिक बाढ़ और भूकंप आदि आते रहते हैं। इनमें से कुछ मौसमी और अक्सर अननुमेय हैं। आपदा का परिमाण हमेशा अप्रत्याशित होता है। एक मौसम के दौरान, एक मेघ विस्फोटक के कारण विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन हुए जिनसे अत्यधिक दुर्घटनाएं हुई। सड़कों, पुलों और विद्युत् उत्पाद यूनिटों जैसी बुनियादी संरचना को बृहत् क्षति पहुंची। इसके फलस्वरूप 100000 से ज्यादा तीर्थयात्री, पर्यटक और अन्य स्थानीय निवासी विभिन्न भागों और स्थानों पर फंस गए। जिम्मेदारी के आपके क्षेत्र में फंसे हुए लोगों में वरिष्ठ नागरिक, अस्पतालों में मरीज, महिलाएं और बच्चे, पदयात्री, पर्यटक, शासित पार्टी के प्रादेशिक अध्यक्ष अपने परिवार सहित, पड़ोसी राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव और जेल मे कैदी शामिल थे।
राज्य के एक सिविल सेवा अधिकारी के तौर पर आपका आदेश क्या होगा जिसमें आप इन लोगों को बचाएंगे और क्यों? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
(2015)
Answer : उक्त आपदा प्रवण राज्य का एक जिम्मेदार सिविल सेवा अधिकारी होने के नाते मेरा प्रयास जान तथा माल की हानि को न्यूनत्तम करते हुए यथासम्भव शीघ्रतिशीघ्र सभी फंसे हुए लोगों को वहां से सुरक्षित यथास्थान पहुंचाने का होगा। तथापि मैं आपातकालीन परिस्थितियों को देखते हुए सकारात्मक भेदभाव का सहारा लेते हुए क्रमशः मरीजों, वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों, महिलाओं, पर्यटक, शासक पार्टी के प्रादेशिक अध्यक्ष व उनका परिवार, पड़ोसी राज्य के मुख्य सचिव, पदयात्री तथा जेल के कैदियों को निकालने का प्रयास करूंगा।
लोगों से शान्ति बनाएं रखने व अफवाहों पर ध्यान ना देने की प्रार्थना करते हुए सर्वप्रथम मरीजों के लिए दवाओं तथा सभी फंसे हुए लोगों के लिए स्वच्छ पेयजल एवं भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित करने का प्रयास करते हुए उन्हें सुरक्षित स्थान पर अस्थायी रूप से स्थानान्तरित करने का प्रयास करूंगा। सभी के लिए अस्थायी रूप से रहने के लिए कैम्पों की व्यवस्था करते हुए वहां पर बैटरी, रेडियो, कपड़े तथा चिकित्सकीय सुविधाएं पहुंचाने का प्रयास करूंगा। उक्त कार्य करने के साथ-साथ ही मैं अपने अधीनस्थों को आदेश दूंगा की वे फंसे हुए लोगों को वैकल्पिक आवागमन के रास्तों के द्वारा वहां से निकालने का प्रयास करते हुए उक्त आपात स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करें ताकि लोगों की घबराहट के कारण भगदड़ जैसी परिस्थिति उत्पन्न न हो। तत्पश्चात् मैं स्थानीय निवासियों की क्षति का आकलन करते हुए उन्हें यथासम्भव शीघ्रतिशीघ्र मदद पहुंचाने का प्रयास करूंगा। सरकारी स्तर पर क्षेत्र विशेष की संरचनाओं यथा; पुलों, सड़कों, विद्युत-प्रणाली तथा संचार एवं परिवहन प्रणाली को पुनः स्थापित करने का प्रयास करूंगा।
Question : आप एक विशेष विभाग में जिला प्रशासन के शीर्षाधिकारी हैं। आपका वरिष्ठ अधिकारी आपको राज्य मुख्यालय से फोन करता है और आपको कहता है कि रामपुर गांव में एक भूखंड पर स्कूल के लिए एक भवन का निर्माण किया जाना है। दौरे की समयावली बना दी जाती है जिसके दौरान वह मुख्य इंजीनियर और वरिष्ठ वास्तुकार के साथ स्थल का दौरा करेगा। वह चाहता है कि आप उससे संबंधित सभी कागजातों की जाँच कर लें और सुनिश्चित कर लें कि दौरे की व्यवस्था उचित रूप से की गई है। आप इस फाइल को जांचते हैं, जो आपके विभाग में कार्यभार संभालने से पूर्व की है। भूखंड को स्थानीय पंचायत से, नाममात्र की लागत पर, उपार्जित किया गया था और कागजात दर्शाते हैं कि जिन तीन प्राधिकारियों को भूखंड की उपयुक्ता का प्रमाणपत्र देना होता है, उनमें से दो के दिए हुए अनुमति प्रमाणपत्र उपलब्ध है। वास्तुविद् का कोई प्रमाणपत्र फाइल में उपलब्ध नहीं है। आप जैसा कि फाइल पर कहा गया है कि सब कुछ ठीक हालत में है, यह सुनिश्चित करने के लिए रामपुर जाने का निर्णय लेते हैं। जब आप रामपुर जाते हैं तब आप देखते हैं कि उल्लेख के अधीन भूखंड ठाकुरगढ़ किले का एक भाग है और कि दिवारें, परकोटे आदि उसके आर-पार बिछे हुए हैं। किला मुख्य गांव से काफी दूर है, इसलिए वहाँ पर स्कूल, बच्चों के लिए गंभीर असुविधा होगा, परंतु गांव के नजदीक के क्षेत्र के विस्तार का एक बड़े स्थल के प्रश्न की ओर ध्यान नहीं दिया गया है। परंतु भूखंड के अधिग्रहण के समय सरपंच आपके पूर्वाधिकारी का एक रिश्तेदार था। समस्त कार्य-संपादन कुछ निहित स्वार्थ के साथ किया गया प्रतीत होता है।
a. सरोकार रखने वाले पक्षों के संभावित निहित स्वार्थों की सूची बनाइए।
b. आपको उपलब्ध कार्रवाई के कुछ विकल्प नीचे दिए गए हैं। प्रत्येक विकल्प के गुणों-अवगुणों पर चर्चा कीजिएः
क्या आप कोई अन्य विकल्प उचित तर्कों के साथ सुझा सकते हैं?
(2015)
Answer : a. रामपुर का सरपंच इस वाद में मुख्य पक्ष माना जाना चाहिए जिसके इर्द-गिर्द जांच करने से पता चलता है की गांव के किले के पास वाली भूमि पर स्कूल बनाने का निर्णय वहां के पास की जमीनों के भाव बढ़ाने के लिए लिया गया होगा क्योंकि लोग कालान्तर में स्कूल के पास ही मकान बनाना पसंद करेंगे। वहीं दूसरी तरफ हो सकता है कि इसमे मेरे पूर्व के अधिकारी ने रिश्तेदारी या धन के लालच में किले की जमीन के पास स्कूल बनाने की अनुमति प्रदान की हो। यह भी हो सकता है की गांव के पास पड़ी भूमि को गांव वाले निहित स्वार्थ यथा; उपजाऊ मृदा, नजदीकी जमीन इत्यादि कारणों से न देना चाहते हों और इसके पश्चात ही किले के पास विरान पड़ी जमीन को चुना गया हो।
b.
अन्य विकल्पः अन्य विकल्प के रूप में हो सकता है कि मैं पूरे मामले की जांच शुरू करते हुए गांव के पास ही जमीन का कोई ऐसा टुकड़ा ग्रामीणों के दान तथा सरकारी अनुदान इत्यादि से प्राप्त करने की कोशिश करूंगा जिस पर स्कूल बनाया जा सके। उक्त कार्यवाही को यथाशीघ्र पुरी करने के पश्चात में शीघ्रतीशीघ्र अपने वरिष्ठ अधिकारी के स्थल पर आने के लिए कहुंगा एवं इससे पूर्व भी अगर मुझे जरूरत हुई तो मैं उनके अनुभवी मार्गदर्शन को जरूर प्राप्त करूंगा।
Question : हाल में आपको एक जिले के जिला विकास अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया है। उसके बाद जल्दी ही आपने पाया कि आपके जिले के ग्रामीण इलाकों में लड़कियों को स्कूल भेजने के मुद्दें पर काफी तनाव है।
गांव के बड़े महसूस करते हैं कि अनेक समस्याएँ पैदा हो गई हैं क्योंकि लड़कियों को पढ़ाया जा रहा है और वे घर के सुरक्षित वातावरण के बाहर कदम रख रही हैं। उनका विचार यह है कि लड़कियों की न्यूनतम शिक्षा के साथ जल्दी से शादी कर दी जानी चाहिए। शिक्षा के बाद लड़कियाँ नौकरी के लिए भी स्पर्द्धा कर रही हैं, जो परंपरा से लड़कों का अनन्य क्षेत्र रहा है, और पुरुषों में बेरोजगारी में वृद्धि कर रही है।
युवा पीढ़ी महसूस करती है कि वर्तमान युग मे लड़कियों को शिक्षा और रोजगार तथा जीवन-निर्वाह के अन्य साधनों के समान अवसर प्राप्त होने चाहिए। समस्त इलाका वयोवृद्धों और युवाओं के बीच तथा उससे आगे दोनों पीढि़यों में स्त्री-पुरूषों के बीच विभाजित है। आपको पता चलता है कि पंचायत या अन्य स्थानीय निकायों में या व्यस्त चौराहों पर भी, इस मुद्दे पर गरमागरम वाद-विवाद हो रहा है।
एक दिन आपको सूचना मिलती है कि एक अप्रिय घटना हुई है। कुछ लड़कियों के साथ छेड़खानी की गई जब वे स्कूलों के रास्ते में थीं। इस घटना के फलस्वरूप कई सामाजिक समूहों के बीच झगड़े हुए और कानून तथा व्यवस्था की समस्या पैदा हो गई। गरमागरम वाद-विवाद के बाद बड़े-बूढ़ों ने लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति न देने और जो परिवार उनके हुक्म का पालन नहीं करते हैं, ऐसे सभी परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने का संयुक्त निर्णय ले लिया।
(2015)
Answer : a.
निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए प्रकरणों को ध्यानपूर्वक पढि़ए और उनके पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
Question : आजकल समस्त विश्व में आर्थिक विकास पर अधिक जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही साथ, विकास के कारण पैदा होने वाले पर्यावरणीय क्षरण के संबंध में चिन्ता भी बढ़ रही है। अनेक बार हमारे सामने वैकासिक कार्यकलापों और पर्यावरणीय गुणता के बीच सीधा विरोध दिखाई पड़ता है। वैकासिक प्रक्रम को रोक देना या उसमें कांट-छांट कर देना भी साध्य नहीं है और न ही पर्यावरण क्षरण को बढ़ने देना उचित है, क्योंकि यह तो हम सबके जीवन के लिए ही खतरा है।
ऐसी कुछ साध्य रणनीतियों पर चर्चा कीजिए, जिसको इस द्वंद्व का शमन करने के लिए अपनाया जा सकता हो और जो हमे धारणीय (सस्टेनेबल) विकास की ओर ले जा सकती हो।
(2014)
Answer : पिछले 30 वर्षों में सामाजिक-आर्थिक विकास में अविश्वसनीय प्रगति देखी गई है। विकासशील देशों में जीवन प्रत्याशा में पहले के मुकाबले 20 वर्षों का इजाफा हुआ है। शिशु मृत्यु दर भी इन देशों में पहले के मुकाबले आधा हो गया है तथा स्कूलों में नामांकन कराने की दर अब पहले से दो गुनी हो चुकी है।
इतना ही नहीं जनसंख्या में वृद्धि दर के मुकाबले खाद्य उत्पादन तथा उपभोग में भी पहले के मुकाबले 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। औद्योगिक देशों के मुकाबले विकासशील देशों में आय के स्तर में भी वृद्धि देखी गई है। साथ ही, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भी अप्रत्याशित सुधार हुआ है। इस सुखद प्रगति के बावजूद इन देशों के संपोषणीय विकास के समक्ष असंख्य चुनौतियां अभी भी विद्यमान हैं। इन चुनौतियों का स्थानीय, राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर समाधान करना जरूरी है। इस उद्देश्य के लिए निम्नलिखित उपागम अपनाए जा सकते हैं:
Question : मान लीजिए कि आपके निकट मित्रों में से एक, जो स्वयं सिविल सेवा में जाने के लिए प्रयत्नशील हैं, वह लोक सेवा में नैतिक आचरण से संबंधित कुछ मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आपके पास आता है। वह निम्नलिखित बिन्दुओं को उठाता हैः
उपरोक्त दृष्टिकोणों का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। इस विश्लेषण के आधार पर अपने मित्र को आपकी क्या सलाह रहेगी।
(2014)
Question : आप अनाप-शनाप न सहने वाले, ईमानदार अधिकारी हैं। आपका तबादला एक सुदूर जिले में एक ऐसे विभाग के प्रमुख के रूप में कर दिया गया है, जो अपनी अदक्षता और संवेदनहीनता के लिए कुख्यात है। आप पाते हैं कि इस घटिया कार्य-स्थिति का मुख्य कारण कर्मचारियों के एक भाग में अनुशासनहीनता है। वे स्वयं तो कार्य करते नहीं हैं और दूसरों के कार्यों में भी गड़बड़ी पैदा करते हैं। सबसे पहले आपने उत्पातियों को सुधर जाने की, अन्यथा अनुशासनिक कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी। जब इस चेतावनी का न के बराबर असर हुआ, तब आपने नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। इसके बदले के रूप में उन्होंने अपने बीच की एक महिला कर्मचारी को आपके विरुद्ध महिला आयोग में यौन-उत्पीड़न की एक शिकायत दायर करने के लिए भड़का दिया। आयोग ने तुरंत आपका स्पष्टीकरण मांगा। आपको इससे आगे भी लज्जित करने के लिए मामला मीडिया में भी प्रसारित किया गया। इस स्थिति से निपटने के विकल्पों में से कुछ निम्नलिखित हो सकते हैं-
कोई अन्य विकल्प सुझाइए। सभी का मूल्यांकन कीजिए और अपने कारण बताते हुए सबसे अच्छा विकल्प स्पष्ट कीजिए।
(2014)
Question : मान लीजिए कि आप ऐसी कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सी.ई.ओ.) हैं, जो एक सरकारी विभाग के द्वारा प्रयुक्त विशेषीकृत इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाती है। आपने विभाग को उपस्कर की पूर्ति के लिए अपनी बोली पेश कर दी है। आपके ऑफर की गुणता और लागत दोनों आपके प्रतिस्पर्धियों से बेहतर है। इस पर भी संबंधित अधिकारी टेंडर पास करने के लिए मोटी रिश्वत की मांग कर रहा है। ऑर्डर की प्राप्ति आपके घर और आपकी कंपनी दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। ऑर्डर न मिलने का अर्थ होगा उत्पादन रेखा का बंद कर देना। यह आपके स्वयं के कैरियर को भी प्रभावित कर सकता है। फिर भी, मूल्य सचेत व्यक्ति के रूप में आप रिश्वत देना नहीं चाहते हैं।
रिश्वत देने और ऑर्डर प्राप्त कर लेने, तथा रिश्वत देने से इंकार करने और ऑर्डर को हाथ से निकल जाने- दोनों के लिए वैध तर्क दिए जा सकते हैं। ये तर्क क्या हो सकते हैं? क्या इस धर्म संकट से बाहर निकलने का कोई बेहतर रास्ता हो सकता है? यदि हां, तो इस तीसरे रास्ते की अच्छाइयों की ओर इंगित करते हुए उसकी रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए।
(2014)
सबसे बेहतर विकल्प तो यह होगा कि आप रिश्वत तो बिल्कुल ही न दें, साथ ही रिश्वत मांगने वाले के खिलाफ बिगुल बजाएं (Whiste blow)। इससे सरकारी दफ्तर के अंदर का माहौल बदलेगा और लोग रिश्वत जैसी बातों से परहेज करेंगे। पुनः आपको अपनी क्षमता पर भरोसा होना चाहिए तथा परिश्रम के द्वारा आप दूसरा ऑर्डर प्राप्त कर सकते हैं जहां आपके उत्पाद की गुणवत्ता तथा स्तर को समझा व पहचाना जा सके और इसी आधार पर ऑर्डर प्राप्त हो। पुनः आपको अन्य कर्मचारियों से भी ये बातें साझा करनी चाहिए ताकि इन परिस्थितियों में उनका विश्वास न डगमगाए और कठिन परिश्रम के द्वारा नया और बेहतर ऑर्डर प्राप्त करने में वे आपका सहयोग कर सकें।
Question : रामेश्वर ने गौरवशाली सिविल सेवा परीक्षा को सफलतापूर्वक पास कर लिया और वह ऐसे सुअवसर से अभिभूत था जो सिविल सेवा के माध्यम से देश की सेवा करने के लिए उसको मिलने वाला था। परन्तु, सेवा का कार्यग्रहण करने के शीघ्र बाद उसने महसूस किया कि वस्तुस्थिति उतनी सुन्दर नहीं है जितनी उसने कल्पना की थी।
उसने अपने विभाग में व्याप्त अनेक अनाचार पाए। उदाहरण के रूप में, विभिन्न योजनाओं और अनुदानों के अधीन निधियां दुर्विनियोजित की जा रही थीं। सरकारी सुविधाओं का अक्सर अधिकारियों और स्टॉफ द्वारा व्यक्तिगत आवश्यकताओं के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। कुछ समय के बाद उसने यह भी देखा कि स्टॉफ को भर्ती करने की प्रक्रिया भी दोषपूर्ण थी। भावी उम्मीदवारों को एक परीक्षा लिखनी होती थी जिसमें काफी नकलबाजी चलती थी। कुछ उम्मीदवारों को परीक्षा में बाह्य सहायता भी प्रदान की जाती थी। रामेश्वर ऐसी घटनाओं को अपने वरिष्ठों की नजर में लाया। परन्तु, इस पर उसको अपनी आंखें, कान और मुख बंद रखने और इन सभी चीजों को नजरअंदाज करने की सलाह दी गई। यह बताया गया कि सब उच्चतर अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा था। इससे रामेश्वर का भ्रम टूटा और वह व्याकुल रहने लगा। वह सलाह के लिए आपके पास आता है।
ऐसे विभिन्न विकल्प सुझाइए, जो आपके विचार में, ऐसी परिस्थिति में रामेश्वर के लिए उपलब्ध है। इन विकल्पों का मूल्यांकन करने और सर्वाधिक उचित रास्ता अपनाने में आप उसकी किस प्रकार सहायता करेंगे?
(2014)
Answer : रामेश्वर को कुछ उचित विकल्प प्रदान किए जा सकते हैं जो इस प्रकार के हैं-
परंतु रामेश्वर के समक्ष सबसे बेहतर विकल्प यह हो सकता है कि वह भ्रष्टाचार निरोधी सेल में अपने दफ्तर में हो रहे भ्रष्टाचार के विरुद्ध शिकायत करे। इसके अलावा वह परीक्षा में हो रहे कदाचार को साबित करने वाले कुछ प्रमाण/सबूत भी इकट्टा कर उसे पुलिस को सौंप सकता है। रामेश्वर को किसी भी हालत में अपने से ऊपर के अधिकारियों के समक्ष भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नतमस्तक नहीं होना चाहिए प्रत्येक दबाव का विरोध करना चाहिए। उसे हमेशा अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर काम करना चाहिए तथा नैतिक-मूल्यों व मान्यताओं को ध्यान में रखकर ही कोई निर्णय लेना चाहिए क्योंकि यही उद्देश्य है जिसके लिए उसने सिविल सेवा ज्वाईन किया था।
Question : हमारे देश में, ग्रामीण लोगों का कस्बों और शहरों की ओर प्रवसन तेजी के साथ बढ़ रहा है। यह ग्रामीण और नगरीय, दोनों क्षेत्रों में विकट समस्याएं पैदा कर रहा है। वास्तव में, स्थिति यथार्थ में अप्रबंधनीय होती जा रही है। क्या आप इस समस्या का विस्तार से विश्लेषण कर सकते हैं और इस समस्या के लिए जिम्मेदार न केवल सामाजिक-आर्थिक, वरन् भावनात्मक और अभिवृत्तिक कारकों को बता सकते हैं? साथ ही, स्पष्ट रूप से उजागर कीजिए कि क्यों-
आप कौन-से साध्य कदम सुझा सकते हैं, जो हमारे देश की इस गंभीर समस्या का नियंत्रण करने में प्रभावी होंगे?
(2014)
Answer : प्रवजन वस्तुतः स्थानीय, राष्ट्रीय अथवा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक स्तर पर हो रहे बदलावों का संकेत देने वाला संकेतक है। इसके अलावा सामाजिक एवं आर्थिक स्तर पर विद्यमान असमानताएं आव्रजन द्वारा परिलक्षित होती हैं।
आव्रजन द्वारा यह स्पष्ट हो जाता है कि किन्हीं दो क्षेत्रों के बीच किस हद तक सामाजिक आर्थिक व विकास के स्तर पर असमानता व्याप्त है।
ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में पलायन को रोकने हेतु कुछ इस प्रकार के उपागम अपनाए जा सकते हैं-
Question : एक जन सूचना अधिकारी (PIO) को सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के अंतर्गत एक आवेदन मिलता है। सूचना एकत्र करने के बाद उसे पता चलता है कि वह सूचना स्वयं उसी के द्वारा लिए गए कुछ निर्णयों से सम्बन्धित है, जो पूर्णरूप से सही नहीं थे। इन निर्णयों में अन्य कर्मचारी भी सहभागी थे। सूचना प्रकट होने पर स्वयं उसके तथा उनके अन्य मित्रों के विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही हो सकती है, जिसमें दंड भी संभावित है। सूचना प्रकट न करने या आंशिक सूचना उपलब्ध कराने पर कम दंड या दंड-मुक्ति भी मिल सकती है।
PIO अन्यथा एक ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति है पर यह विशिष्ट निर्णय, जिसके सम्बन्ध में RTI आवेदन दिया गया है, गलत निकला वह अधिकारी आपके पास सलाह के लिए आया है।
नीचे सुझावों के कुछ विकल्प दिए गए हैं। प्रत्येक विकल्प का गुण-दोष के आधार पर मूल्यांकन कीजिएः
(2013)
Answer : सेवा शर्तों के अनुसार प्रत्येक सरकारी कर्मचारी ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ होगा, जब सरकारी कर्मचारी ऐसा नहीं करते तो यह अशोभनीय होता है।
उपरोक्त विकल्प सही है उसे अपने वरिष्ठ अधिकारी को बात बताकर उसकी सलाह के अनुसार कार्य करना चाहिए।
सलाहः PIO को अपने वरिष्ठ अधिकारियों व सहकर्मियों से सलाह करनी चाहिए और वरिष्ठ अधिकारी को क्षमायाचना पत्र भेज देना चाहिए तथा मामले को उसके विवेक पर छोड़ देना चाहिए। यह निर्णय PIO को उसकी सत्यनिष्ठा बनाए रखने में सहायक होगा। लेकिन उसे सूचनायाची को सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सही सूचना प्रदान करनी चाहिए।
Question : आप नगरपालिका परिषद के निर्माण विभाग में अधिशासी अभियंता पद पर तैनात हैं और वर्तमान में एक ऊपरगामी पुल (flyover) के निर्माण-कार्य के प्रभारी हैं। आपके अधीन दो कनिष्ठ अभियंता है, जो प्रतिदिन निर्माण-स्थल के निरीक्षण के उत्तरदायी हैं तथा आपको विवरण देते हैं और आप विभाग के अध्यक्ष, मुख्य अभियंता को रिपोर्ट देते हैं। निर्माण-कार्य पूर्ण होने को है और कनिष्ठ अभियंता नियमित रूप से यह सूचित करते रहे हैं कि निर्माण-कार्य परिकल्पना के विनिर्देशों के अनुरूप हो रहा है। लेकिन आपने अपने आकस्मिक निरीक्षण में कुछ गंभीर विसंगतियां व कमियां पाईं, जो आपके विवेकानुसार पुल की सुरक्षा को प्रभावित कर सकती हैं। इस स्तर पर इन कमियों को दूर करने में काफी निर्माण-कार्य को गिराना और दोबारा बनाना होगा जिससे ठेकेदार को निश्चित हानि होगी और कार्य-समाप्ति में विलम्ब भी होगा। क्षेत्र में भारी ट्रैफिक जाम के कारण परिषद पर निर्माण शीघ्र पूरा करने के लिए जनता का बड़ा दबाव है। जब आप स्थिति मुख्य अभियंता के संज्ञान में लाए, तो उन्होंने अपने विवेकानुसार इसको बड़ा गम्भीर दोष न मानकर इसे उपेक्षित करने की सलाह दी। उन्होंने परियोजना को समय से पूरा करने हेतु कार्य को आगे बढ़ाने के लिए कहा। परन्तु आप आश्वस्त हैं कि यह गम्भीर प्रकरण है जिससे जनता की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है और इसको बिना ठीक कराए नहीं छोड़ा जा सकता।
ऐसी स्थिति में आपके करने के लिए कुछ विकल्प निम्नलिखित हैं। इनमें से प्रत्येक विकल्प का गुण-दोष के आधार पर मूल्यांकन कर अन्ततः सुझाव दीजिए कि आप क्या कार्यवाही करना चाहेंगे और क्यों।
(2013)
सही कदमः सभी तथ्यों व विश्लेषण को दिखाते हुए स्थिति की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें। कनिष्ठ अभियन्ताओं को उनके कार्यों के लिए उत्तरदायी बनाया जाना चाहिए व उनके खिलाफ सरकारी कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए। उसके पश्चात निर्माण लागत को कम करने तथा समय से प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कदम उठाये जाने चाहिए।
Question : तमिलनाडु में शिवकासी पटाखा और दियासलाई के समूहों के लिए प्रसिद्ध है। वहां की स्थानीय अर्थव्यवस्था अधिकांशतः पटाखा उद्योग पर निर्भर है। इसी से इस क्षेत्र का आर्थिक विकास हुआ है और रहन-सहन का स्तर भी सुधरा है।
जहां तक पटाखा उद्योग जैसे खतरनाक उद्योगों के लिए बाल श्रमिक नियमों का प्रश्न है, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने श्रम हेतु न्यूनतम आयु-सीमा 18 वर्ष निर्धारित की है। जबकि भारत में यह आयु-सीमा 14 वर्ष है।
पटाखों के औद्योगिक क्षेत्र की इकाइयों को पंजीकृत तथा अपंजीकृत दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है। घरों पर आधारित कार्यशालाएं एक विशिष्ट इकाई है। यद्यपि पंजीकृत/अपंजीकृत इकाइयों में बाल श्रमिक रोजगार के विषय में कानून स्पष्ट है, घरों पर आधारित कार्य उसके अंतर्गत नहीं आते। ऐसी इकाइयों में माना जाता है कि बालक अपने माता-पिता व सम्बन्धियों की देख-रेख में कार्य कर रहे हैं। बाल श्रमिक मानकों से बचने के लिए अनेक इकाइयां अपने को घरों पर आधारित कार्य बताती है और बाहरी बालकों को रोजगार देती हैं। यह कहने की आवश्यकता नहीं कि बालकों की भर्ती से इन इकाइयों कीे लागत बचती है जिससे उनके मालिकों को अधिक लाभ मिलता है।
आपने शिवकासी में एक इकाई का दौरा किया, जिसमें 14 वर्ष से कम आयु के लगभग 10-15 बालक काम करते हैं। उसका मालिक आपको इकाई परिसर में घुमाता है। मालिक आपको बताता है कि घर-आधारित इकाई में वे बालक उसके सम्बन्धी हैं। आप देखते हैं कि जब मालिक यह बता रहा है, तो बालक खीस निपोरते हैं। गहन पूछताछ में आप जान जाते हैं कि मालिक और बालक परस्पर कोई सम्बन्ध संतोषजनक रूप से सिद्ध नहीं कर पाए।(300 शब्द) (सिविल सेवा मुख्य परीक्षा, 2013)
(2013)
Answer : a. उपरोक्त मामले के अध्ययन से स्पष्ट है कि पटाखा उद्योगों में राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय बालश्रम कानूनों का उल्लंघन हो रहा है। बच्चों से बलपूर्वक कार्य कराना मानसिक, शारीरिक, सामाजिक व नैतिक रूप से उनके लिए खतरनाक है।
इससे वे शिक्षा के हक से वंचित रह जाते हैं और बच्चों को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
b. पटाखा उद्योग में कार्यरत बच्चों को वहां से हटाकर तत्काल उनकी अच्छी शिक्षा का प्रबन्ध किया जाना चाहिए।
Question : आप देश के एक प्रमुख तकनीकी संस्थान के अध्यक्ष हैं। संस्थान, प्रोफेसरों के पद के चयन हेतु आपकी अध्यक्षता में साक्षात्कार पैनल का आयोजन शीघ्र ही करने वाले हैं। साक्षात्कार से कुछ दिन पहले आपके पास एक ज्येष्ठ शासकीय अधिकारी के निजी सचिव का फोन आता है जिसमें आपसे उक्त पद के लिए उस अधिकारी के एक निकट सम्बन्धी के पक्ष में चयन करने की अपेक्षा की जाती है। निजी सचिव यह भी बताते हैं कि आपके संस्थान के आधुनिकीकरण के लिए बहुत समय से लम्बित महत्वपूर्ण वित्तीय अनुदान के प्रस्तावों का उन्हें ज्ञान है जिनकी अधिकारी द्वारा स्वीकृति की जानी है। वे आपको उन प्रस्तावों को अनुमोदन कराने का आश्वासन देते हैं।
(2013)
Answer : विकल्प-1: सचिव के अनुरोध को मान लेना लेकिन यह कदम अनैतिक व असंवैधानिक होगा, क्योंकि इसमें उम्मीदवारों के बीच विभेद किया जा रहा है।
विकल्प-2: निजी सचिव को विनम्रता-पूर्वक समझायेंगे कि साक्षात्कार पूरे पैनल द्वारा लिया जायेगा अतः वह कोई सहायता नहीं कर सकता।
विकल्प-3: निजी सचिव को सीधे मना कर देना चाहिए क्योंकि यह मानदण्डों के अनुरूप नहीं है। निजी सचिव को कहेंगे कि यदि उनका रिश्तेदार योग्य है तो वह निश्चित रूप से प्रोफेसर पद के लिए बिना किसी सिफारिश के नियुक्त होगा। जहां तक संस्था के लिए धन के अनुदान का प्रश्न है यह एक आधिकारिक कार्य है इसके लिए कानूनी कार्यवाही की जायेगी।
Question : वित्त मंत्रालय में वरीय अधिकारी होने के नाते, सरकार द्वारा घोषित किए जाने वाले कुछ नीतिगत निर्णयों की गोपनीय एवं महत्वपूर्ण सूचना की आपको जानकारी मिलती है। इन निर्णयों के भवन एवं निर्माण उद्योग पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं। यदि भवन निर्माताओं को पहले ही वह जानकारी मिल जाती है, तो वे उससे बड़े लाभ उठा सकते हैं। निर्माताओं में से एक ऐसा है जिसने सरकार के लिए अच्छी गुणवत्ता का काफी काम किया है और वह आपके आसन्न वरिष्ठ अधिकारी का घनिष्ट है जिन्होंने आपको उक्त सूचना का उस निर्माता को अनावृत करने के लिए संकेत भी दिया है।
(2013)
Answer : a. विकल्प-1: अधिकारी बिल्डर के समक्ष सूचना को अनावृत्त कर देगा। लेकिन यह अनैतिक व अनाधिकारिक कार्य होगा। सरकारी रिपोर्ट और फाइलें गोपनीय होती हैं। और उनकी गोपनीयता बनाए रखना सेवा शर्तों में शामिल रहता है। आधिकारिक कार्यों में भाई-भतीजावाद व पक्षपात करना गलत होता है।
विकल्प-2: अधिकारी, अपने वरिष्ठ अधिकारी से बिल्डर को सूचना के अनावृत्त करने हेतु लिखित अनुमति ले सकता है। क्योंकि सेवा शर्तों के अनुसार वरिष्ठ अधिकारी द्वारा दिये गये निर्देश लिखित होने चाहिए। अधीनस्थों को मौखिक आदेशों से जहां तक संभव हो सके बचना चाहिए।
विकल्प-3: अधिकारी सूचना अनावृत्त करने के लिए सीधे मना कर दे और कह दे कि ऐसा करना संगठन के मानदण्डों के अनुरूप नहीं है।
b. सही कदमः अधिकारी को सूचना अनावृत्त नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसका सरकार के राजकोष पर प्रभाव पडे़गा। उसे अपने वरिष्ठ को सम्मानपूर्वक ‘‘ना” कह देना चाहिए।
Question : आप उभरती हुई एक ऐसी सूचना तकनीकी कम्पनी के कार्यकारी निदेशक हैं जो बाजार में नाम कमा रही है।
कम्पनी के नायक कर्ता, क्रय-विक्रय दल के प्रमुख श्री A हैं। एक वर्ष की अल्पावधि में उन्होंने कम्पनी के राजस्व को दुगुना करने में योगदान दिया है और कम्पनी के शेयर को उच्च मूल्य वर्ग में स्थापित किया है, जिसके कारण आप उन्हें पदोन्नत करने पर विचार कर रहे हैं। परन्तु आपको कई स्रोतों से महिला सहयोगियों के प्रति उनके रवैये की, विशेषकर महिलाओं पर असंयत टिप्पणियां करने की आदत की, सूचना मिल रही है। इसके अतिरिक्त वह दल के अन्य सदस्यों, जिनमें महिलाएं भी सम्मिलित हैं, को नियमित रूप से अभद्र SMS भी भेजते हैं।
एक दिन देर शाम श्री A के दल की एक सदस्या श्रीमती X आपके पास आती है जो बहुत परेशान दिखती है, और श्री A के सतत दुराचरण की शिकायत करती है, जो उनके प्रति अवांछनीय प्रस्ताव रखते रहते हैं और अपने कक्ष में उन्हें अनुपयुक्त रूप से स्पर्श करने की चेष्टा तक की है।
यह महिला अपना त्याग-पत्र देकर कार्यालय से चली जाती है।
(2013)
Answer : विकल्प-1: शिकायत मिलने के पश्चात कार्यकारी निदेशक को श्री A के खिलाफ तुरन्त कार्यवाही करनी चाहिए। कार्यस्थल पर यौन शोषण अधिनियम के तहत उसे तीन सदस्यीय समिति गठित कर देनी चाहिए।
विकल्प-2: कार्यकारी निदेशक, श्री A से त्यागपत्र देने को कह सकता है लेकिन श्री A को सुनवाई का उचित अवसर दिया जाना चाहिए।
सही कदमः शिकायत की जांच के लिए एक समिति का गठन करें और भविष्य में ऐसे मामलों से बचने के कदम उठाए जाने चाहिए।
Question : आप एक राज्य के गृह सचिव पद पर कार्यरत हैं। हाल ही में आपके राज्य में दलित एवं अन्य पिछड़ी जातियों को पीटने, उनके साथ भेदभाव एवं सामाजिक बहिष्कार की घटनाएं सामने आयी हैं। ये घटनाएं निरंतर बढ़ती जा रही हैं; जिसके परिणामस्वरूप समाज में तनाव का माहौल है तथा कुछ जगहों पर अक्सर कफ्रर्यू लगाना पड़ता है। भारतीय संसद ने दलितों एवं अन्य जनजातियों के खिलाफ होने वाले अपराधों से निपटने के लिए एक कानून भी बनाया है। इस कानून के होते हुए भी जहां एक तरफ दलितों के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं; वहीं दूसरी तरफ अन्य रिपोर्टों से यह भी तथ्य सामने आते हैं कि संसद द्वारा 1989 में बने एस.सी. और एस.टी. अधिनियम का दुरुपयोग सामान्य लोगों को फंसाने में ज्यादा किया जाता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम के खिलाफ एक निर्णय दिया कि इस अधिनियम के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना जांच के गिरफ्तार नहीं किया जायेगा; जिसका दलित समाज के लोग विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि आरोपियों को तुरन्त गिरफ्रतार करने का प्रावधान समाप्त कर दिया जाता है तो इस कानून की प्रभावशीलता समाप्त हो जायेगी। वहीं ऊंची जातियों के लोग इस प्रावधान को हटाने वाले सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पक्ष में हैं। सवर्ण समुदाय ने भी दलितों के आन्दोलन की प्रतिक्रिया स्वरूप एक सप्ताह के लिए देशव्यापी बन्द का ऐलान किया है। बढ़ते हुए आन्दोलन एवं बन्दी से अर्थव्यवस्था की गति प्रभावित हो जाती है एवं सामान्य जन जीवन भी प्रभावित होता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार इस सम्बन्ध में कानून में संशोधन करने वाली है तथा गृह मंत्रलय ने एक साथ सभी राज्यों के गृह सचिवों से उनके सुझाव मांगे हैं।
Answer : (A) भारत एक स्वतंत्र एवं लोकतांत्रिक कल्याणकारी गणराज्य है। भारतीय संविधान द्वारा इसके सभी नागरिकों को कुछ मूल अधिकारों की गारंटी दी जाती है; जिसमें स्वतंत्रता, समानता एवं शोषण के विरुद्ध अधिकार है। एक सभ्य समाज में किसी भी व्यक्ति के खिलाफ होने वाले जातीय या धार्मिक भेदभाव अपराध की श्रेणी में आते हैं। अतः दलित एवं अन्य जनजातियों के खिलाफ होने वाले किसी भी प्रकार के अपराध निन्दनीय हैं तथा एक सभ्य समाज के रूप में देश के ऊपर कलंक हैं। उपर्युक्त केस स्टडी में निम्न मुद्दे शामिल हैं—
(B) मेरे द्वारा एक सचिव के रूप में दिये गये सुझाव—
Question : आप उत्तर-भारत के एक जिले की तहसील में उपजिलाधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। आपके क्षेत्रधिकार में कई बालिका सुधार गृह चल रहे हैं। अभी हाल ही में एक स्वतंत्र संस्थान द्वारा किये गये सर्वे एवं निरीक्षण की रिपोर्ट में आपके क्षेत्रधिकार के दो बालिका सुधार गृहों की स्थिति काफी खराब बताई गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ बालिकाएं डरी हुई एवं चुपचाप रहती हैं। दो दिन पहले उन्हीं दोनों सुधार गृहों में से एक से कुछ बालिकाएं चुपके से भागकर आपको जानकारी देती हैं कि उनके साथ शारीरिक शोषण, प्रताड़ना तथा अन्य कई प्रकार के दुष्कर्म संस्था चलाने वाले व्यक्ति एवं पुलिस की मिलीभगत से किया जा रहा है। वे बालिकायें अपनी जान को बचाने के लिए आपसे गुहार लगाती हैं; क्योंकि यदि सुधार गृह वालों या स्थानीय पुलिस को पता चला तो वे उन्हें फिर सुधार गृह भेज देंगे, जहां उनकी पिटाई और शोषण फिर किया जायेगा। वे आपसे अपनी अन्य सहेलियों को वहां से छुड़ाने की प्रार्थना करती हैं। वह बताती हैं कि उनके साथ रोजाना दुष्कर्म किया जाता है। जब आप उस संस्था के मालिक के बारे में पता लगाते हैं तो आपको पता चलता है कि वह राज्य के मुख्यमंत्री का बहुत ही करीबी व्यक्ति है तथा उसका भाई महिला एवं बाल विकास मंत्री है। वह एक दबंग व्यक्ति है तथा उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि के कारण कोई उसके खिलाफ नहीं बोलता। स्थानीय पुलिस को डरा-धमका कर एवं पैसे देकर अपने अनुसार कार्य करने पर मजबूर कर देता है। उस व्यक्ति की आपके जिले के जिलाधिकारी से भी अच्छे सम्बन्ध हैं। यदि आप उसके खिलाफ कार्यवाही करते हैं तो शायद आपका तबादला तुरन्त कर दिया जाय। ऐसी स्थिति में आपकी क्या कार्यवाही होगी? आपके पास क्या-क्या विकल्प उपलब्ध हैं?
Answer : एक सिविल सेवक होने के नाते मेरा यह कर्त्तव्य बनता है कि मैं संविधान एवं सेवा शर्तों के नियमों का पालन करते हुए अपने कार्य को अंजाम दूं। चूंकि मामला एक उच्च वर्ग के ऐसे व्यक्ति का है, जो कि समाज की अनाथ बालिकाओं के लिए सुधार गृह चलाने का नाटक कर उनके साथ निरंतर दुष्कर्म कर रहा है। यह अत्यंत ही जघन्य ममला है, वह भी नाबलिक बालिकाओं के साथ।
उपर्युक्त परिस्थिति में मेरे पास तीन विकल्प हैं—
Question : आप एक प्रसिद्ध टूरिस्ट पहाड़ी जिले के जिलाधीश हैं। ग्रीष्म ऋतु है, ऐसे में उस जिले के एक प्रसिद्ध शहर में पर्यटकों की काफी संख्या पर्यटन के लिए आती है। इसमें विदेशी पर्यटकों की भी संख्या काफी अधिक होती है। पर्यटन से प्राप्त आय उस जिले के राजस्व का प्रमुख स्रोत है। इस बार गर्मी में आस-पास के दो पहाड़ी शहरों में पानी की किल्लत के कारण आपके जिले के शहर में पर्यटक अत्यधिक संख्या में अपने वाहनों के साथ आने लगे हैं। परिणामस्वरूप शहर में क्षमता से कई गुना अधिक वाहन आने से पार्किंग की कमी पड़ गयी है। सड़कें गाडि़यों से भरी पड़ी हैं। जाम से जनजीवन त्रस्त हो गया है। पानी एवं अन्य पर्यावरणीय संसाधनों पर काफी दबाव है। ऐसे में शहर के जनजीवन एवं आस-पास के परितंत्र को आने वाले पर्यटकों की संख्या से खतरा हो सकता है। इसलिए शहर में बिना प्री रजिस्ट्रेशन एवं बुकिंग के पर्यटकों के 15 दिन तक आगमन को आपने आदेश देकर वर्जित कर दिया। वैसे आपका आदेश शहर के जनजीवन, यातायात, प्रशासन संचालन एवं पारितंत्र के हित में लिया गया है; परन्तु स्थानीय होटल व्यापारी, रिक्शा चालक तथा पर्यटन क्षेत्र में लगे लोग विरोध कर रहे हैं। उनका व्यापार ठप्प होने की कगार पर है, परिणामस्वरूप उनको परिवार पालना मुश्किल हो सकता है। आपके इस आदेश से जिले की आर्थिक गतिविधि एवं राजस्व से प्राप्त आय भी प्रभावित होगी। आपके आदेश से प्रभावित ऑटो चालक, रिक्शा चालक तथा पर्यटन एवं होटल व्यवसायियों ने हड़ताल कर दी है तथा शहर बन्दी की घोषणा की है, जब तक कि आप अपना आदेश वापस नहीं लेते। उनको स्थानीय विधायक एवं नेताओं का भी भरपूर साथ मिल रहा है।
Answer : एक जिले के जिलाधीश होने के नाते जिले की जनता का कल्याण एवं वहां के प्रशासन का सुचारु रूप से संचालन सुनिश्चित करना मेरा प्राथमिक उत्तरदायित्व है। साथ ही शहर में आये हुए एवं आने वाले पर्यटकों की सुविधा का दायित्व भी बनता है। उपर्युक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मेरे द्वारा लिया गया निर्णय केवल प्रशासन की एवं जनता की सुविधा के लिए लिया गया एकतरफा निर्णय प्रतीत होता है। इसमें पर्यटन उद्योग पर आश्रित लोगों एवं पर्यटकों की सुविधा तथा उनके कल्याण पर ध्यान नहीं दिया गया है। ऐसे परिस्थिति से निपटने हेतु मेरे पास निम्नांकित विकल्प उपलब्ध हैं—
1.चूंकि पहले से ही वाहनों एवं पर्यटकों की संख्या क्षमता से कई गुना शहर में मौजूद है; इसलिए उनको शहर से निकालना, उनकी सुरक्षा एवं आने वाली किसी आपदा से उनको बचाने के लिए मैं अपने आदेश पर कायम रहूं। जब स्थिति सामान्य होगी, तभी आदेश को वापस लूं।
2.मैं अपने आदेश तथा पर्यटकों के अत्यधिक आगमन से उत्पन्न कठिनाइयों से प्रभावित सभी विभागों, संस्थाओं एवं जुड़े हुए लोगों के प्रतिनिधि मण्डल से बात करूंगा। उन्हें यह समझाने का प्रयास करूंगा कि उठाया गया कदम दीर्घकालिक नहीं है और इसमें आवश्यकतानुसार बदलाव किया जायेगा। मैं उन्हें कुछ उदाहरण भी दूंगा कि ऐसी विकट परिस्थितियों के लिए ऐसे कदम जरूरी होते हैं। अन्यथा प्राकृतिक एवं मानव जनित आपदाओं के परिणामस्वरूप और भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। पर्यटन उद्योग में लगे लोगों के हित से आदेश में तत्काल बदलाव करने का आश्वासन दूंगा; ताकि हड़ताल एवं शहर बंदी से लोगों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।
मेरे द्वारा उठाये गये कदम
A. अल्पावधि
B. दीर्घकालिक प्रयास
Question : आप भारत सरकार के गृह विभाग में एक सचिव के पद पर कार्यरत हैं। पूरे भारत में पिछले कुछ वर्षों से भीड़ द्वारा हत्या पर भारत सरकार एवं प्रशासन को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में इंटरनेट और सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर अफवाहों का तंत्र मजबूत कर ऐसी दुर्दान्त घटनाओं को अन्जाम दिया जा रहा है। मीडिया और सिविल सोसायटी द्वारा धार्मिक कट्टरता के कारण अफवाहों का सहारा लेकर की जा रही हत्याओं की काफी आलोचना की जा रही है। ऐसी घटनाओं से देश की छवि बाहरी मुल्कों में भी खराब हो रही है। ऐसी घटनाओं के लिये जिम्मेदार पक्ष कौन-कौन से हैं तथा ऐसी घटनाओं के निदान में आपका उन पक्षों के लिए क्या सुझाव होगा। (200 शब्द)
Answer : इंटरनेट और सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर होने वाली हत्याएं हमारे समाज पर एक शर्मनाक कलंक है। इस मुद्दे के लिए जिम्मेदार पक्ष निम्न हैं–
सुझाव
Question : देश के विकास के लिए आधारभूत ढांचे का विकास करना अति आवश्यक होता है। इसके लिए पर्याप्त मात्र में जमीन की आवश्यकता होती है। जमीन अधिकांशतः आदिवासियों, पहाड़ी निवासियों एवं ग्रामीण समुदायों से प्राप्त की जाती है। विस्थापितों को न तो पर्याप्त और न ही समय पर मुआवजा मिल पाता है; जिससे इनका जीवन अधिक कष्टकर हो जाता है। वे आखिरकार कम मजदूरी वाले प्रवासी श्रमिक बन जाते हैं; जिससे उनका परम्परा एवं संस्कृति से कटाव भी हो जाता है। आधारभूत ढांचे के विकास से होने वाले लाभ विस्थापितों को नहीं, शहरी लोगों को मिलते हैं जबकि विकास की लागत इन गरीब असहाय लोगों पर डाल दी जाती है। लागतों एवं लाभों का यह अनुचित वितरण अनैतिक है। यदि आपको ऐसे विस्थापित व्यक्तियों के लिए अच्छे मुआवजे एवं पुनर्वास नीति का मसौदा बनाने का कार्य दिया जाता है तो आप इस समस्या के संबंध में क्या दृष्टिाकेण रखेंगे एवं आपके द्वारा बनाई गई नीति के मुख्य तत्व कौन-कौन से होंगे? (250 शब्द)
Answer : उपर्युक्त समस्या का हल निकालने में मेरे द्वारा बनायी गई नीति का दृष्टिकोण तथा तत्व निम्नलिखित होंगे-
I. दृष्टिकोणः मेरे दृष्टिकोण में इन आदिवासियों की तरफ लाभ का हस्तांतरण की नीति परिचालित होनी चाहिए। हमें इसमें संवैधानिक प्रावधानों का ध्यान रखते हुए अनुच्छेद 46 के माध्यम से अनुसूचित जनजातियों के शोषण को कम तथा आर्थिक स्थिति को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए। मेरी नीति प्रस्तावना के सामाजिक न्याय के साथ-साथ समता के सिद्धांत पर बल देगी तथा वहीं इनके वन अधिकारों को सुदृढ़ करने वाले प्रावधानों को महत्व देगी।
II.नीति के मुख्य तत्व
इस प्रकार इन लोगों के संवैधानिक अधिकारों को पूरा किया जा सकेगा, साथ ही राज्य अपने कर्तव्यों का भी पालन कर सकेगा।
Question : Mr. X पुलिस अधीक्षक के पद पर पदस्थापित हैं। सामान्यतः यह ज्ञात है कि पुलिसिंग से सम्बन्धित सेवाएं ऐसी अनिवार्य/बाध्यकारी सेवाएं हैं, जिसमें नागरिकों के पास किसी दूसरे से सेवा प्राप्त करने का विकल्प उपलब्ध नहीं होता है। ऐसी परिस्थिति में सामान्यतः गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जाता है। जिले में पुलिसिंग से सम्बंधित सेवाओं में, ट्रैफिकिंग, वाहन सुरक्षा, महिलाओं, बच्चों, गन्दी बस्तियों की सुरक्षा, विभिन्न लाभ हितभोगी समुदाय अर्थात नये रोजगार प्राप्त करने वाले, पासपोर्ट, वीजा प्राप्त करने वाले समुदाय को पहचानना तथा नागरिकों के बीच विवाद निवारण इत्यादि। Mr. X अपने जिले में इन सभी विषय वस्तुओं पर दी जाने वाली सेवाओं से सन्तुष्ट नहीं हैं और इन सभी विषयों पर गुणवत्ता में सुधार करना चाहते है। ऐसी परिस्थिति में Mr. X को क्या-क्या पहल करने का सुझाव आप देना चाहेंगे।
Answer : दी गयी परिस्थिति ऐसे सेवा प्रदाता/केन्द्र के बारे में है, जिसका विकल्प नहीं होता है अर्थात् यहां ग्राहकों/नागरिकों की जागरुकता एवं उनके दूसरे विकल्प के रास्ते गुणवत्तायुक्त सेवा प्राप्त करने की सम्भावना नहीं है। ऐसी परिस्थिति में सेवा प्रदाता संगठन के प्रभाव अर्थात X को निम्नांकित प्रयास करना चाहिएः
(क)कॉलेज के विद्यार्थियों को मोटर वाहन अधिनियम 1988 का सामान्य प्रशिक्षण एवं उन्हें स्वैच्छिक रूप में ‘ट्रैफिक मित्र’ के रूप में सेवा देने के लिए जागरुक बनाना, CCTV कैमरे, टमीपबसम ज्तंबामत एवं परिवहन नियमों से सम्बंधित जागरुकता के लिए पैम्पलेटिंग, Wall Painting किया जाना।
(ख)मोहल्ले के Soft Target की सुरक्षा के लिए नागरिक भागीदारी से Community Policingको विकसित करना और नागरिकों के दल के माध्यम से सुरक्षा मुहैया कराना तथा इसकी Monitoring स्वतः किया जाना।
(ग)नागरिकों के विवाद को दूर करने के लिए सभी Police Circle में Police -Public Participation (PPP) से Counciling Centre विकसित करना, जिसमें स्थानीय-जातीय भाषायी समुदाय इत्यादि से सम्बंधित नागरिक उपलब्ध होंगे और कोर्ट के बाहर विवाद निपटारे के लिए मध्यस्थ के रूप में कार्य करेंगे। ऐसे विवाद निपटान की जानकारी पैम्पलेट प्रचार के माध्यम से करना और ऐसे नागरिकों को सम्मानित करना।
(घ)सभी विषयों पर शिकायत प्रस्तुत करने के लिए Mr. Xको अलग टेलीफोन एक्सचेंज विकसित करना चाहिए, जिसमें नागरिकों की शिकायतें रिकॉर्ड की जाएं और उनके आइपैड, टैबलेट/फोन पर उपलब्ध करायी जाएं, जिससे अपनी सामान्य दिनचर्या के साथ शिकायत निवारण भी किया जा सके।
उपर्युक्त हेतु Mr. X को च्वसपबम के पूरे संगठनात्मक (Organisational)वातावरण को बदलकर सक्रिय व संवेदनशील कार्य संस्कृति को विकसित करना होगा।
Question : आप एक वरिष्ठ सिविल सेवक हैं। Mr. X आपके कार्यालय के वरिष्ठ कर्मी हैं और अपने प्रबन्धकीय कौशल के लिये विख्यात हैं। कार्यालय की किसी भी चुनौती या प्रबन्धन करने में उनका कोई मुकाबला नहीं है। व्यवहारिक स्थिति यह है कि उनका कार्यालय उन्हीं के कारण चलता है।
एक दिन जब Mr. X किसी दूसरे शहर की सरकारी यात्र पर गये हुए थे तो उनकी पत्नी और बच्चे आपसे मिलने के लिए आये। पत्नी ने बताया कि Mr. X न केवल घर में बुरा व्यवहार करते हैं बल्कि उसे और बच्चों को गालियां देना तथा मारना-पीटना भी उनकी सामान्य आदत है। उसने अपने घर के बड़ों से जब यह बात कही तो सबने Mr. X के रुतबे को देखते हुए यही सलाह दी कि वह चुप रहे और स्थितियों को सहन करे।
आपने बातचीत के दौरान महसूस किया कि बच्चे भी काफी डरे हुए हैं और उन्हें यह भय भी है कि जब उनके पिता को इस बात का पता चलेगा कि उनकी शिकायत की गई है तो वे गुस्से में क्या सजा देंगे?
Mr. X की पत्नी ने आपसे सलाह मांगी है कि ऐसी स्थिति में उसे क्या करना चाहिए? उसकी यह इच्छा भी है कि आप मानवीय आधार पर उसकी मदद करें। वह कानूनी विकल्प पर भी विचार करने को तैयार है और चाहती है कि आप उसे बताएं कि उसके पास कौन से कानूनी रास्ते उपलब्ध हैं।
बतायें कि आप इस परिस्थिति में कौन से कदम उठायेंगे और क्यों?
Answer : इस परिस्थिति में मैं सबसे पहले Mr. X की पत्नी को समझाने का प्रयास करूंगा कि कानूनी विकल्प तो उसके पास है ही, किन्तु बेहतर होगा कि उससे पहले ऐसे विकल्पों को इस्तेमाल किया जाए, जिनसे उनके बीच एक स्वस्थ पारिवारिक सम्बन्ध बन सकता हो। मैं उन्हें आश्वस्त करूंगा कि उनकी मुझसे सलाह करने की जानकारी Mr. X को नहीं मिलेगी, ताकि वे समाधान की प्रक्रिया में लगातार मेरा सहयोग निर्भय होकर ले सकें। इस समस्या के समाधान के लिए मैं निम्नलिखित विकल्पों को आजमाऊंगा—
(वैसे भी मानव संसाधन प्रबन्धन में यह माना जाता है कि संगठन को लगातार इस बात के लिए सचेत रहना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति अप्रतिस्थापनीय न होने पाये)
Question : आप एक कार्यालय के प्रमुख हैं, जहां लगभग 20 कर्मचारी आपके अधीनस्थ हैं; इनमें से 19 पुरफ़ष हैं और एक महिला। महिला कर्मचारी प्रायः देर से ऑफिस पहुंचती हैं और निर्धारित समय से एक घंटा पहले ऑफिस छोड़ देती हैं। कुछ पुरफ़ष कर्मचारियों में भी यह प्रवृत्ति है; लेकिन अधिकांश पुरफ़ष कर्मचारी आने और जाने के मामले में समय के पाबन्द हैं।
एक दिन कुछ पुरुष कर्मचारी आपके पास शिकायत करते हैं कि वह महिला कार्यालय को पूरा समय नहीं देती है; अतः उसके विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही की जाए। जब आपने इस मामले का अध्ययन किया तो कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आईं। पहली यह कि वह महिला भले ही कम समय देती हो, किन्तु कार्य की गुणवत्ता की दृष्टि से अत्यन्त श्रेष्ठ है। इसके अलावा वह एक तलाकशुदा महिला है और उसके दो छोटे बच्चे हैं, जो स्कूल में पढ़ते हैं। जब आपने उससे सफाई मांगी तो उसने बताया कि उसे समय की समस्या सिर्फ अपने बच्चों को स्कूल से लाने, ले जाने जैसे कार्यों के लिए होती है। आपने यह भी पाया कि उसकी बातों में ईमानदारी दिखती है और वह प्रायः अपना सारा काम निपटाकर ही ऑफिस छोड़ती है।
जब आपने शिकायत करने वाले कर्मचारियों से बात की तो आपको महसूस हुआ, शिकायत की बातों में बदले की भावना जैसा कुछ है; लेकिन क्योंकि लिखित शिकायत की जा चुकी है, इसलिए यह सम्भव नहीं है कि आप कोई कार्यवाही न करें।
निम्नलिखित सभी विकल्पों पर विचार कीजिए और अपनी राय बताइए—
निर्देशः आपके लिए आवश्यक नहीं है कि इनमें से कोई विकल्प चुनें। इन सभी पर विचार रखते हुए, आप किसी एक या एक से अधिक के संयोजन को चुन सकते हैं और अपनी ओर से नये विकल्प भी प्रस्तुत कर सकते हैं।
Answer : दी गई परिस्थिति में मूल चुनौती यह है कि अधिकारी को सिर्फ नियमों पर ध्यान देना चाहिए या कर्मचारी की योग्यता और निष्पादन को महत्व देते हुए नियमों के स्तर पर लचीला रुख अपनाना चाहिए। मेरी राय यह है कि कुशल-प्रबंधन के लिए नियमों का यान्त्रिक प्रयोग करने के बजाए, कर्मचारियों की स्थितियों का ध्यान रखा जाना चाहिए। यदि कर्मचारियों को विश्वास हो कि प्रबंधन सुख-दुख में उनका साथ देता है तो उनकी प्रतिबद्धता बढ़ जाती है और निष्पादन बेहतर हो जाता है।
इस दृष्टिकोण के अनुसार दिये गये 6 विकल्पों पर विचार यह होगा—
Question : आपकी उम्र 27 वर्ष है और आप एक अच्छी सरकारी नौकरी में हैं। आपके माता-पिता खुद निरक्षर हैं और एक पुराने शहर के पारम्परिक मोहल्ले में रहते हैं, जहां हिन्दू और मुस्लमानों के सम्बन्धों में तनाव होता रहता है। आप हिन्दू परिवार से हैं। आपकी छोटी बहन जिसकी उम्र 21 वर्ष है, एक दिन आपके पास आती है और बताती है कि पड़ोस में रहने वाले एक मुस्लिम युवक से उसे प्रेम हो गया है। वह जानती है कि माता-पिता इस रिश्ते को स्वीकार नहीं कर पायेंगे और समाज में तनाव भी होगा; किन्तु आपसे उम्मीद है कि आप उसका साथ जरूर देंगे। ऐसी स्थिति में आपके पास क्या-क्या विकल्प हैं? आप उनमें से किसे चुनेंगे और क्यों?
Answer : सर्वप्रथम मैं दो-तीन तथ्यों को दिमाग में रखकर चलूंगा। पहला यह कि चूंकि दोनों वयस्क हैं और मेरी सहमति के बिना भी विवाह कर सकते हैं, इसलिए मैं कोई आक्रामक कदम उठाने या कथन कहने से बचूंगा। भले ही मुझे किसी बिन्दु पर नाराजगी हो। दूसरा मैं इसे सिर्फ धर्म का मामला न मानकर इस रूप में देखूंगा कि क्या इन दोनों व्यक्तियों के लिए यह विवाह उचित होगा; क्योंकि किसी भी फैसले से सबसे अधिक प्रभाव इन दोनों के जीवन पर ही पडे़गा।
इस मामले में निम्नलिखित क्रम में मैं विभिन्न कदम उठाऊंगा—
Question : आप IAS की तैयारी कर रहे हैं और एक होस्टल में रहते हैं। आपकी उम्र 25 वर्ष है तथा आपके रूममेट की भी 25 वर्ष है। एक दिन आपको आपके रूममेट ने बताया कि उसका रुझान समलैंगिकता में है और निवेदन किया कि यह बात किसी को न बताएं। ऐसी स्थित में आपके सामने क्या-क्या नैतिक विकल्प हैं और उनमें से किन्हें चुनना चाहेंगे?
Answer : इस स्थिति में मेरे सामने एक से ज्यादा प्रश्न उठ खड़े हो जायेंगे और हर प्रश्न के साथ कुछ नैतिक विकल्प जुडे़ होंगे।
पहला प्रश्न है कि क्या मुझे उसकी सूचना को गोपनीय रखनी चाहिए? चूंकि मेरे साथ उसका एक निजी सम्बन्ध है (सार्वजनिक नहीं) और इस सम्बन्ध की बुनियाद यही है कि दोनों दोस्त एक-दूसरे के राज को राज बनाए रखें; इसलिए मैं उसकी गोपनीयता का पूरा ध्यान रखूंगा। इस नियम से विचलन तब होगा, जब मुझे लगेगा कि इस राज के कारण किसी और व्यक्ति या समूह के अधिकार खतरे में हैं। उदाहरण के लिए-अगर मेरा दोस्त किसी अन्य व्यक्ति के प्रति आकर्षित है और उसे अन्धेरे में रखकर उसके साहचर्य से किसी प्रकार का लैंगिक सुख हासिल करने का प्रयास कर रहा है तो मेरा कर्त्तव्य बनता है कि ‘‘मैं उस अन्य व्यक्ति को सावधान कर दूं; ऐसा करने से पहले मैं अपने दोस्त को चेतावनी अवश्य दूंगा।”
दूसरा प्रश्न है कि क्या इस जानकारी से अपने दोस्त के प्रति या मेरा दृष्टिकोण बदलेगा या नहीं? समलैंगिक या विषमलैंगिक होना व्यक्तिगत प्राकृतिक, रुचि का मामला है; इसलिए उसके प्रति मेरा नजरिया नहीं बदलेगा। जैसे विषमलैंगिक होना मेरी प्रकृति है; वैसे ही समलैंगिक होना उसकी प्रकृति है; जिससे मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है। लेकिन हां, इतना जरूर है कि मेरे मन में उसके लिए सम्मान थोड़ा-सा बढ़ जायेगा; क्योंकि उसने न सिर्फ सामाजिक दबावों के सामने झुकने से मना किया है, बल्कि इसलिए भी उसने इतना गहरा राज बताने के लिए मुझ पर विश्वास किया।
अंतिम प्रश्न है कि क्या इस जानकारी के बाद उसके प्रति मेरा व्यवहार बदलेगा या नहीं? सामान्य प्रसंगों में मेरा व्यवहार वैसा ही रहेगा जैसा पहले था, यथा पढ़ाई से सम्बंधित, भोजन से सम्बंधित, कमरे के रख-रखाव के सम्बंध में। किन्तु जिन खुशियों का सम्बंध यौन रुचियों से हो सकता है, उनमें मैं सजग रहूंगा कि सम्बंधों में आवश्यक दूरी बनी रहे। जैसे मैं कोशिश करूंगा कि स्पर्श जैसी स्थितियां कम हो, क्योंकि ये उसके लिए अलग हो सकता है। इसी प्रकार किसी यौन विषय में हंसी मजाक करते समय मैं सावधानी रखूंगा; क्योंकि जो विषय मेरे लिए हंसी का हो सकता है, उसके लिए वह तनाव का हो सकता है।