“पाल काल में विकसित कला की अपनी एक विशिष्टता थी, जिसका बौद्ध धर्म के साथ गहरा संबंध था|” इस कथन के आलोक में पाल कला की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए तथा बौद्ध धर्म के साथ इसके संबंध पर प्रकाश डालिए।

8वीं से 11वीं सदी के मध्य बिहार तथा बंगाल के क्षेत्र में पाल कला का विकास हुआ। पाल कला को बौद्ध धर्म के साथ अभिन्न रूप से जोड़कर देखा जाता है। पाल काल में विकसित हुए विभिन्न कलाओं और भवन निर्माण कला को उनकी विशेषताओं के आधार पर निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है-

1. मूर्तिकला: इस काल में मूर्तिकला की एक नई शैली का जन्म हुआ, जिसकी अपनी एक अलग विशेषता थी। इसके अंतर्गत कांसे, पत्थर तथा मृण मूर्तियां बनाई गई| इनकी विशेषताएं निम्लिखित हैं-

  • कांसे की मूर्ति: पालकालीन कांसे की मूर्तियां ढलवां किस्म की है यानी इन्हें सांचे में ....
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