किशोर न्याय बोर्ड

जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, हत्या जैसे जघन्य अपराधों के आरोपी 16 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों पर वयस्कों की तरह मुकदमा चलाया जा सकता है या नहीं- यह तय करना ‘अत्यंत संवेदनशील’ (Very Sensitive) और ‘अति निपुणता’ (Extreme Skill) का कार्य है।

  • सुप्रीम कोर्ट के अनुसार उपर्युक्त को तय करने का कार्य देश भर में ‘किशोर न्याय बोर्डों’ (Juvenile Justice Boards-JJBs) और बाल-न्यायालयों (Juvenile Courts) के विवेक और ‘अधूरे ज्ञान’ (Incomplete Knowledge) पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए बल्कि इसका निर्धारण ‘सावधानीपूर्वक मनोवैज्ञानिक जांच’ (Careful Psychological Examination) के आधार पर किया जाना चाहिए।

महत्वपूर्ण बिंदु

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