इस मामले में उच्चतम न्यायलय द्वारा यह माना गया था कि फ्स्वास्थ्य और चिकित्सा का अधिकार एक मौलिक अधिकार हैय् और व्यक्ति की गरिमा की रक्षा करने के साथ-साथ यह कामगार के जीवन को सार्थक और उद्देश्यपूर्ण बनता है। संविधान के अनुच्छेद 39(C), 41 और 43 को अनुच्छेद 21 के साथ पढ़े जाने पर यह साफ हो जाता है कि इस मामले में अदालत द्वारा मुख्य रूप से कामगार/मजदूरों के स्वास्थ्य के अधिकार को मुख्य रूप से रेखांकित किया और इसके बाद के मामलों में अदालत ने इस अधिकार को सामान्य रूप से आम लोगों के लिए मौलिक अधिकार के रूप रेखांकित करने की शुरुआत की।