राष्ट्रीय कामधेनु आयोग

अंतरिम बजट 2019-20 में सरकार ने घोषणा की थी कि देश में गायों के कल्याण के लिए एक राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की स्थापना की जाएगी। इस आयोग का उद्देश्य गायों के सतत अनुवंशिक उन्नयन, उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाना है। आयोग गायों के लिए कानूनों और कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन की निगरानी भी करेगा।

पृष्ठभूमि

अनुच्छेद 48 के अनुसार राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत कहता हैं कि राज्य आधुनिक एवं वैज्ञानिक तरीके से कृषि और पशुपालन को व्यवस्थित करने का प्रयास करेगा तथा विशेष रूप से नस्लों के संरक्षण एवं सुधार के लिए कदम उठाएगा। यह गायों, बछड़े और अन्य दुधारू पशुओं व मवेशियों के वध पर प्रतिबंध लगाता है। इस आलोक में सरकार ने एक सर्वोच्च सलाहकार निकाय राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का गठन किया है, जो देश में गौ संरक्षण एवं विकास कार्यक्रमों के लिए नीतिगत ढांचा और दिशा प्रदान करेगा। यह गायों के कल्याण के संबंध में कानूनों का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगा।

प्रभाव

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की स्थापना से देश में मवेशियों की आबादी का संरक्षण और विकास होगा, जिसमें देशी नस्लों का विकास और संरक्षण भी शामिल है।

  • इससे पशुधन क्षेत्र की वृद्धि होगी, जो अधिक समावेशी है, क्योंकि यह महिलाओं, छोटे और सीमांत किसानों को लाभान्वित करेगा।
  • राष्ट्रीय कामधेनु आयोग इस क्षेत्र से सम्बंधित विभिन्न हितधारकों के साथ मिल कर कार्य करेगा। यथाः गाय के प्रजनन और पालन, जैविक खाद, बायोगैस आदि के क्षेत्र में अनुसंधान के कार्य में लगे पशु चिकित्सा, पशु विज्ञान या कृषि विश्वविद्यालय।

निष्कर्ष

यह शहरी क्षेत्रों में आवारा पशुओं के खतरे और गाय आश्रयों के निर्माण के लिए धन की कमी को दूर करने के लिए करेगा। किसानों के लिए गाय को अधिक उत्पादक बनाया जाएगा तथा आर्थिक उपयोग न होने पर उन्हें गाय को न छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करेगा।