डीडी साइंस और भारत विज्ञान

दूरदर्शन के साथ विज्ञान प्रसार (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का संस्थान) ने दो विज्ञान संचार पहल, डीडी साइंस और भारत विज्ञान का शुभारंभ किया है। डीडी साइंस दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर एक घंटे का स्लॉट है, जो सोमवार से शनिवार शाम 5 से 6 बजे तक प्रसारित किया जाएगा। भारत विज्ञान एक इंटरनेट आधारित विज्ञान चैनल है, जो किसी भी इंटरनेट-सक्षम डिवाइस पर उपलब्ध है। यह लाइव और वीडियो-ऑन-डिमांड सेवाएं प्रदान करेगा।

पृष्ठभूमि

अनुच्छेद 51ए (एच) में मौलिक कर्तव्यों में निहित है, ‘‘यह प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह वैज्ञानिक स्वभाव, मानवतावाद और जांच और सुधार की भावना को विकसित करे।” ‘वैज्ञानिक स्वभाव’शब्द विशिष्ट रूप से भारतीय है। यह जवाहरलाल नेहरू द्वारा विकसित किया गया था। उनकी पुस्तक द डिस्कवरी ऑफ इंडिया के अनुसार वैज्ञानिक स्वभाव का अर्थ है ‘‘जांच और परीक्षण के बिना कुछ भी स्वीकार करने से इनकार, नए साक्ष्यों के प्राप्त होने परपिछले निष्कर्षों को बदलने की क्षमता, पूर्व-निर्धारित सिद्धांतों पर नहीं, बल्कि पर्यवेक्षण किए गए तथ्य पर निर्भरता।”

महत्व

इंटरनेट आधारित भारत विज्ञान टीवी चैनल 24×7 उपलब्ध होगा जो वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

  • 1.3 बिलियन लोगों के देश में वैज्ञानिक स्वभाव विकसित करना एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। ये दोनों चैनल डीटीएच और इंटरनेट के माध्यम से इस उद्देश्य को पूरा करेंगे।
  • यह लोगों को विज्ञान के लाभों को समझने और इसे अपने दैनिक जीवन में एकीकृत करने में भी मदद करेगा।
  • यह विज्ञान के प्रति जागरुकता बढ़ाने और आम लोगों में वैज्ञानिक स्वभाव को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
  • इन चैनलों पर विज्ञान पर आधारित वृत्तचित्र, स्टूडियो-आधारित चर्चाएं, वैज्ञानिक संस्थानों के वर्चुअल वॉकथ्रू, साक्षात्कार और लघु फिल्में प्रसारित होंगी तथा वे पूरी तरह से मुफ्त होंगी।

प्रभाव

यह आम जनता के बीच वैज्ञानिक सोच को बढ़ाएगा, जो वैज्ञानिक धरातल पर राष्ट्र निर्माण में सहायता करेगा।

  • यह लोगों के बीच तर्कसंगत सोच को बढ़ावा देगा और समाज में पुरातन पक्षपात और पूर्वाग्रहों का मुकाबला करने में मदद करेगा। वैज्ञानिक सोच समाज में अंधविश्वासों से निपटने में मदद कर सकती है।
  • यह महिलाओं के उत्थान और सशक्तिकरण में भी मदद करेगा; क्योंकि यह समाज में प्रचलित लिंग आधारित पूर्वाग्रहों को दूर करेगा।
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास से समाज को साम्प्रदायिकता, कट्टरता आदि का मुकाबला करने में मदद मिलेगी।
  • यह जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग करने में मदद करेगा; क्योंकि युवा आबादी वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर उपयोगी लाभांश प्राप्त कर सके।