गगनयानः अंतरिक्ष में भारत का पहला मानवयुक्त मिशन

गगनयान एक भारतीय अंतरिक्ष यान है, जो 2022 तक अंतरिक्ष यात्रियों को सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में ले जाएगा। यह भारतीय मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम का हिस्सा है।

गगनयान, 400 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करेगा, जिसमें तीन व्यक्ति सात दिनों तक अंतरिक्ष में रहेंगे। इसे जीएसएलवी एमके-III के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा। जीएसएलवी एमके-III एक तीन-चरणीय लॉन्च वाहन है, जिसमें दो ठोस स्ट्रैप-ऑन, एक कोर तरल बूस्टर और एक क्रायोजेनिक ऊपरी चरण शामिल हैं।

जीएसएलवी एमके-III 4 टन के उपग्रहों को जीटीओ या लगभग 10 टन के उपग्रहों को निम्न पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit-LEO) में ले जा सकता है।

महत्व

यह भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा, जो उभरती हुई अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के लिए अंतरिक्ष का क्षेत्र खोलेगा।

  • मानव चालक दल को अंतरिक्ष में भेजने वाला भारत चौथा देश होगा।
  • इसरो प्रक्षेपण और उपग्रह प्रौद्योगिकी में उच्च विश्वसनीयता हासिल करेगा।
  • 15,000 लोगों को रोजगार मिलेगा।

अंतरिक्ष यात्रियों के समक्ष चुनौतियां

1.गुरुत्वाकर्षण क्षेत्रः एक गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से दूसरे में संक्रमण मुश्किल होता है। नासा के अनुसार बिना गुरुत्वाकर्षण की स्थिति में हड्डियों में खनिजों की कमी हो जाती है। एक अंतरिक्ष मिशन से लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्री को ऑस्टियोपोरोसिस से संबंधित फ्रैक्चर का खतरा हो सकता है। यदि वह व्यायाम नहीं करता है और ठीक से भोजन नहीं करता है तो वह मांसपेशियों की ताकत खो देगा और उसमें दृष्टि संबंधी समस्याएं भी विकसित हो सकती हैं।

2.अलगावः व्यवहार संबंधी समस्याओं के उत्पन्न होने की आशंका बनी रहती है। अलगाव के कारण उसे अवसाद, थकान, नींद और मानसिक विकारों का सामना करना पड़ सकता है।

3.विकिरणः अंतरिक्ष स्टेशनों में अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की तुलना में दस गुना अधिक विकिरण प्राप्त होता है। विकिरण के कारण कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। विकिरण से मतली, उल्टी, क्षुधा-अभाव (anorexia) और थकान जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

4.रॉकेटः रॉकेट में यात्रा करना एक विस्फोट करने वाले बम पर बैठने जैसा है, जो 30 मिनट से भी कम समय में आपकी गति को 0 किमी प्रति घंटे से 29,000 किमी प्रति घंटे तक बढ़ा सकता है। प्रक्षेपण के दौरान कई चीजें गलत हो सकती हैं, जिसमें रॉकेट में विस्फोट होना भी शामिल है। जीवन की हानि की संभावना को कम करने के लिए रॉकेट प्रणाली में कई सुरक्षा सुविधाओं का निर्माण किया गया है।

5.प्रतिकूल वातावरणः अंतरिक्ष का वातावरण प्रतिकूल होता है, जहां गुरुत्वाकर्षण की कमी और विकिरण के खतरे के अलावा वायुमंडल भी नहीं होता है। गगनयान के भीतर पृथ्वी जैसा वातावरण बनाने के िलए यह सुनिश्चित करना होगा कि पूरे मिशन में ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति, कार्बन-डाइऑक्साइड निष्कासन तथा तापमान और आर्द्रता के आरामदायक स्तर को बनाए रखा जाए।

सुझाव

प्रथम गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने से पहले इसरो को निम्नलिखित कार्य करने होंगेः

  • चुनौतीपूर्ण वातावरण के लिए अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण।
  • ह्यूमनॉइड डमी के साथ मानव रहित परीक्षण मिशनों का संचालन करना होगा; ताकि किसी भी तकनीकी खराबी को बेहतर तरीके से समझा जा सके।
  • बाहरी अंतरिक्ष के बेहतर अनुकरण और तकनीकी गड़बडि़यों को दूर करने के लिए सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण से सम्बंधित प्रयोगों को करना।
  • आवश्यक तकनीकी सलाह के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस जैसे अनुभवी देशों के साथ सहयोग। उदाहरण के लिए, रूस ने अंतरिक्ष सूट के निर्माण और अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण में सहयोग की घोषणा की है।