ब्रिटिश काल में संवैधानिक विकास

ब्रिटिश काल में भारत में संवैधानिक विकास एक दीर्घकालिक और क्रमिक प्रक्रिया थी, जिसमें ब्रिटिश शासन के दौरान विभिन्न अधिनियमों और सुधारों के माध्यम से भारतीय समाज को कानूनी और राजनीतिक ढांचे के अंतर्गत लाया गया।

  • रेगुलेटिंग एक्ट, 1773: ब्रिटिश संसद द्वारा पारित एक महत्वपूर्ण कानून था, जिसका उद्देश्य ईस्ट इंडिया कंपनी के भारतीय क्षेत्रों पर शासन को नियंत्रित करना था। यह अधिनियम कंपनी के व्यापार और प्रशासनिक गतिविधियों में ब्रिटिश सरकार के सीधे हस्तक्षेप का पहला प्रयास था। इस एक्ट के तहत बंगाल के गवर्नर को गवर्नर-जनरल बनाया गया, जिससे मद्रास और बंबई के गवर्नर उसके अधीनस्थ हो गए।
    • इस ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

प्रारंभिक विशेष