​ब्रिटिश भारत की प्रमुख साहित्यिक कृतियां

ब्रिटिश भारत का काल साहित्यिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण रहा है। इस अवधि में भारतीय साहित्य ने नई ऊँचाइयों को छुआ और साहित्यकारों ने अपने लेखन के माध्यम से सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक परिवर्तनों को प्रतिबिंबित किया। इस काल की प्रमुख साहित्यिक कृतियों ने भारतीय समाज में जागरूकता फैलाई और स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राजा राम मोहन राय की कृतियां

  • तुहफ़ात-उल-मुवाहिदीन (1803): राजा राम मोहन राय ने इस कृति में एकेश्वरवाद की वकालत की और धार्मिक अंधविश्वासों के खिलाफ तर्क दिए। यह कृति भारतीय समाज में धार्मिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी।

क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

प्रारंभिक विशेष