आधुनिक भारतीय राष्ट्रवाद में बुद्धिजीवियों की भूमिका

आधुनिक भारतीय राष्ट्रवाद का उदय 19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में हुआ, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण घटक था। इस राष्ट्रवाद के विकास में बुद्धिजीवियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी। उन्होंने न केवल राष्ट्रवाद के सिद्धांतों का निर्माण किया, बल्कि जनता को प्रेरित करने और संगठित करने का कार्य भी किया।

  • भारतीय बुद्धिजीवियों ने शिक्षा, साहित्य, समाज सुधार, और राजनीतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्रवाद के बीज बोए और उसे एक व्यापक आंदोलन का रूप दिया।
  • साहित्यिक और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद: साहित्य और संस्कृति भारतीय ....
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