समान नागरिक संहिता: आवश्यकता एवं औचित्य

समान नागरिक संहिता की अवधारणा पूरे देश के लिए एक कानून का प्रावधान करती है, जोकि सभी धार्मिक समुदायों पर उनके व्यक्तिगत मामलों जैसे विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने आदि में लागू होगी।

  • संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि राज्य भारत के सम्पूर्ण क्षेत्र में नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा।
  • वर्तमान में देश हर धर्म के लोग विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने आदि से सम्बंधित मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के अधीन करते हैं। फिलहाल मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का पर्सनल लॉ है जबकि हिन्दू सिविल लॉ के तहत हिन्दू, ....
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