सरकार ने पुराने और खराब वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के उद्देश्य से वाहन स्क्रैपिंग नीति (Vehicle Scrapping Policy) की घोषणा की है।
मुद्दे
पुराने वाहन, नए वाहनों की तुलना में अधिक पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले गैस तथा PM 2.5 उत्पन्न करते हैं।
सड़क सुरक्षा के लिए अधिक खतरा।
नीति के उद्देश्य
अनफिट और पुराने वाहनों की आबादी को कम करना।
सड़क और वाहनों की सुरक्षा में सुधार करना।
आधुनिक ईंधन कुशल और पर्यावरण के अनुकूल टेक्नालॉजी युक्त वाहनों को अपनाना।
स्वच्छ, भीड़-भाड़ मुक्त और सुविधाजनक गतिशीलता को प्राप्त करना।
ऑटो और धातु क्षेत्र में आत्मनिर्भरता।
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन।
मानदंड
वाणिज्यिक वाहनों के लिए स्वचालित फिटनेस केंद्र और निजी वाहनों के पंजीकरण का नवीनीकरण नहीं करना।
फिटनेस परीक्षण में अयोग्य पाए जाने या पंजीकरण का नवीनीकरण नहीं होने पर वाहनों को हटा (Scrap) दिया जाएगा।
वाहन के फिटनेस का निर्धारण केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम, 1989 के तहत निर्धारित मानकों के आधार पर होगा।
प्रावधान
पुनः पंजीकरण कराने से पूर्व 15 वर्ष से अधिक पुराने वाणिज्यिक वाहनों और 20 वर्ष से अधिक पुराने निजी वाहनों का फिटनेस टेस्ट अंतरराष्ट्रीय मानकों पर, स्वचालित फिटनेस केंद्र पर किया जाएगा।
इस टेस्ट को पास करना अनिवार्य होगा, इसमें विफल रहने वाले वाहनों को हटा (Scrap) दिया जाएगा।
राज्य सरकारों को सलाह दी जाती है कि वे निजी वाहनों के लिये 25% तक और व्यावसायिक वाहनों हेतु 15% तक रोड-टैक्स में छूट प्रदान करें।
स्क्रैपिंग प्रमाण पत्र दिखाने पर, नए वाहन की खरीद के मूल्य में तथा पंजीकरण शुल्क में छूट।
चुनौतियां
आर.वी.एस.एफ. केंद्रों की स्थापना के लिये आधारभूत ढाँचे की कमी। विभिन्न स्क्रैपिंग तकनीकों के बीच समन्वय का अभाव।
स्क्रैपिंग सुविधा केंद्रों द्वारा पर्यावरण एवं प्रदूषण मानदंडों का अनुपालन करने के लिये निगरानी तंत्र का अभाव।