जलवायु समस्या में मीथेन की भूमिका बढ़ती ही जा रही है। यह प्राकृतिक गैस का एक प्राथमिक घटक है और यह एक तुलनात्मक समय में वायुमंडलीय CO2 की तुलना में 80 गुना अधिक तेजी से पृथ्वी को गर्म करने की क्षमता रखती है। मीथेन एक अदृश्य गैस है, जो जलवायु संकट को पर्याप्त रूप से बढ़ा सकती है। यह एक हाइड्रोकार्बन है, जो प्राकृतिक गैस का प्रमुख घटक है और इसका उपयोग ईंधन के रूप में स्टोव जलाने, घरों को गर्म करने और उद्योगों को ऊर्जा प्रदान करने के लिये किया जाता है।
महत्त्व
मीथेन उत्सर्जन को रोकने के लिये वैश्विक पहलें
GMP: GMP की घोषणा 2021 में COP26 में की गई थी। इसका लक्ष्य 2030 तक वैश्विक मीथेन उत्सर्जन को 2020 के स्तर से कम-से-कम 30% तक कम करना है। भारत GMP का सदस्य नहीं है।
मीथेन अलर्ट एंड रिस्पांस सिस्टम (MARS): इसेमीथेन उत्सर्जन को ट्रैक करने के लिए COP27 में प्रस्तुत किया गया था। यह जनवरी, 2023 में आरम्भ हो गया।
समुद्री शैवाल आधारित पशु सूत्रीकरण योज्यः इसे केंद्रीय नमक और समुद्री रसायन अनुसन्धान द्वारा विकसित किया गया है। यह मवेशियों से होने वाले मीथेन उत्सर्जन को कम करता है तथा मवेशियों एवं कुकुट की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाता है।
मीथेनसैट (METHENESAT): मीथेनसैट एक अत्याधुनिक उपग्रह है। इसे सटीकता के साथ वैश्विक मीथेन उत्सर्जन का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया था ।