सीमा प्रबंधान में समुदाय की भूमिका

हाल ही में, प्रधानमंत्री ने सीमा के नजदीक बसे हर गांव को देश का पहला गांव और सीमा के पास रहने वाले लोगों को देश का मजबूत रक्षक बताया है। इस प्रकार उन्होंने सीमा प्रबंधन में स्थानीय आबादी की भूमिका को रेखांकित किया है।

महत्व

मजबूत और सुरक्षित सीमा सुनिश्चित करनाः इससे स्थानीय लोगों का देश से भावनात्मक जुड़ाव और मजबूत होगा। साथ ही, सीमाओं की बेहतर सुरक्षा और विकास करने में मदद भी मिलेगी।

बेहतर स्थितिपरक जागरुकताः सीमावर्ती क्षेत्रें में रहने वाले लोगों के पास क्षेत्र, इलाके की विशेषताओं आदि के बारे में बहुत अधिक जानकारी होती है।

निगरानी में बढ़ोतरीः तटीय क्षेत्रें में नियमित आधार पर निगरानी में बहुत अधिक कमियां हैं। इन कमियों को दूर करने के लिए स्थानीय मछुआरों से मिलकर बने निगरानी समूहों का गठन किया जा सकता है। वे सशस्त्र बलों के लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य कर सकते हैं।

भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक (ICG) बल नियमित रूप से तटीय गांवों में मछुआरों के लिए सामुदायिक संवाद कार्यक्रम (CIPs) आयोजित करते हैं। इसमें उन्हें रक्षा और सुरक्षा के मुद्दों की संवेदनशीलता के बारे में बताया जाता है।

मानवाधिकारों को बनाए रखने के लिएः सीमा प्रबंधन में सामुदायिक भागीदारी से यह सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी कि सुरक्षा प्रतिक्रियाओं के कारण मानवाधिकारों से समझौता नहीं किया जा सकता। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि ये प्रतिक्रियाएं वस्तुओं और लोगों की मुक्त आवाजाही को अनुचित रूप से बाधित नहीं करेंगी।

सामुदायिक तंत्र का उपयोगः स्थानीय आबादी के साथ बेहतर संपर्क, सीमा प्रबंधन हेतु एक नई समुदाय आधारित पुलिस व्यवस्था के दृष्टिकोण के क्रमिक विकास को आगे बढ़ाएगा।

सीमावर्ती क्षेत्र के विकास के लिए की गई पहले

  • जीवंत ग्राम कार्यक्रम (Vibrant Villages Programme:-VVP)
  • सीमावर्ती क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BADP) 100
  • सीमा अवसंरचना और प्रबंधन (BIM)107 योजना

चुनौतियां

राज्य की क्षमता का अपर्याप्त होनाः नृजातीय एकरूपता के कारण कई स्थानीय समुदायों को सीमाओं के पार एक-दूसरे से मिलने की अनुमति दी गई है। हालांकि, इस प्रक्रिया को प्रबंधित करने की राज्य की क्षमता बहुत कमजोर है।

सीमावर्ती समुदायों का अलगावः भारत की सीमावर्ती आबादी आमतौर पर अक्सर असंतुष्ट और अलग-थलग महसूस करती है। साथ ही, कई लोग सीमा सुरक्षा बलों के प्रति विरोधी व्यवहार भी दिखाते हैं।

उनका ऐसा व्यवहार सीमा सुरक्षा बलों द्वारा किए जाने वाले कार्यों की प्रतिबंधात्मक प्रकृति के कारण होता है। ये प्रतिबंध आम तौर पर स्थानीय आबादी के हितों के खिलाफ होते हैं।

कम संपर्क होना (Communication Gap): कई क्षेत्रें में, सीमा सुरक्षा बलों को तस्करों और अन्य अपराधियों के साथ स्थानीय लोगों की मिलीभगत को रोकना होता है। इस कारण, ये समुदाय इन कार्मिकों के साथ बहुत कम संपर्क रखते हैं।