विश्व के प्रथम मलेरिया टीके को मंजूरी

अक्टूबर, 2021 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने RTS,S/AS01 मलेरिया वैक्सीन को मंजूरी दी। इसे मॉस्क्विरिक्स (Mosquirix) भी कहा जाता है। इस वैक्सीन की सिफारिश घाना, केन्या और मलावी में चल रहे एक पायलट कार्यक्रम के नतीजों पर आधारित है, जिसकी साल 2019 में शुरुआत हुई थी।

मुख्य बिंदुः मॉस्क्विरिक्स टीका, सबसे घातक मलेरिया परजीवी ‘पी- फाल्सीपेरम’ (Plasmodium falciparum) के खिलाफ काफी प्रभावी है। इस घातक मलेरिया परजीवी का अफ्रीका में सबसे अधिक प्रकोप है।

  • इस टीके का विकास ब्रिटिश दवा निर्माता ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (जीएसके) द्वारा किया गया है। इसे 30 वर्ष से ज्यादा समय से विकसित किया जा रहा था। मलेरिया की वजह से दुनियाभर में हर साल 4 लाख से ज्यादा लोगों की जान जाती है। वैक्सीन के आने से वैश्विक स्तर पर होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है।
  • डब्ल्यूएचओ के अनुसार, हर दो मिनट में मलेरिया से दुनिया में किसी एक बच्चे की जान चली जाती है।
  • मलेरिया के वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ कई टीके मौजूद हैं, लेकिन यह पहली बार है जब डब्ल्यूएचओ ने वैक्सीन के व्यापक इस्तेमाल के लिए एक टीके की सिफारिश की है।
  • परीक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, टीके के परिणामस्वरूप मलेरिया के गंभीर मामलों में 30 प्रतिशत की कमी आई है।
  • मलेरिया, परजीवी से होने वाली बीमारी है। मलेरिया परजीवी आमतौर पर एक विशेष प्रकार के मलेरिया मच्छर- मादा एनोफिलीज से फैलता है। मादा एनोफिलीज मच्छर स्पोरोजोइट्स (sporozoites) परजीवी को मनुष्य की त्वचा में प्रविष्ट करते हैं।
  • यह रोग मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। वेक्टर नियंत्रण (रासायनिक और जैविक नियंत्रण) मलेरिया संचरण को रोकने और कम करने का मुख्य तरीका है।

भारत में मलेरिया नियंत्रण की पहलें

  • मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्कः भारत सरकार ने फरवरी 2016 में मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्क (2016-2030) को अपनाया था। 2016 में भारत ने मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम भी लांच किया है। भारत ने 2030 तक मलेरिया के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य रखा है।
  • स्वास्थ्य मंत्रालय ने जुलाई 2017 में मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (2017 से 2022) की शुरुआत की थी, जिसमें अगले 5 वर्ष के लिए रणनीति तैयार की गई थी।
  • भारत सरकार ने लंबे समय तक टिकी रहने वाली कीटनाशक युक्त मच्छरदानियों (Long Lasting Insecticidal Nets-LLINs) का वितरण कर पूर्वोत्तर राज्यों तथा छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और ओडिशा जैसे मलेरिया से बहुत अधिक प्रभावित राज्यों में इस बीमारी के प्रसार में पर्याप्त कमी की है।
  • दुर्गम अंचलारे मलेरिया निराकरण पहलः ओडिशा राज्य में मलेरिया उन्मूलन की दिशा में दुर्गम अंचलारे मलेरिया निराकरण पहल प्रारम्भ की गयी थी। इस पहल का उद्देश्य राज्य के स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच से बाहर और सर्वाधिक प्रभावित लोगों तक अपनी सेवाएं पहुंचाना है।
  • स्वच्छ भारत मिशनः यह मिशन लोगों को आस-पास के क्षेत्रों को साफ रखने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिसके फलस्वरूप मच्छरों के प्रजनन के स्थानों का उन्मूलन हो सके।