डीएनए बायोसेंसर

‘मिसौरी यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ के शोधकर्ताओं ने जून 2020 में एक नया अल्ट्रासोनिक डीएनए बायोसेंसर बनाया है, यह नया सेंसर कैंसर और अनुवांशिक रोगों के शुरुआती चरण का पता लगाने के लिए डीएनए-आधारित जीन का पता लगा सकता है।

  • शोधकर्ताओं ने इसके विकास हेतु बायोमेडिकल डायग्नोस्टिक्स में नैनोटेक्नोलॉजी का उपयोग किया, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे नैनोडायग्नोस्टिक्स कहा जाता है।
  • यह नया सेंसर कैंसर और अनुवांशिक रोगों के शुरुआती चरण का पता लगाने के लिए डीएनए-आधारित जीन का पता लगाने में सहायक होगा।

लाभ

यह बायोसेंसर बहुत कम न्यूक्लिक एसिड का भी पता लगा सकता है। साथ ही यह एक समान डीएनए और अलग-अलग डीएनए की पहचान कर सकता है।

  • इसके विकास से नैनोडायग्नॉस्टिक प्रणाली चिकित्सा में काफी मदद मिल सकती है।
  • यह कैंसर और अन्य बीमारियों के शुरुआती जांच के लिए सूक्ष्मतम जीन के रूप में उपयोग के लिए माइक्रो-आरएनए की पहचान करने में उपयोगी होगा।

इलेक्ट्रो केमिकल बायोसेंसर

  • यह एक जैविक पहचान तत्व, एक सिग्नल कनवर्टर और एक प्रोसेसर से युक्त है तथा यह कार्बन नैनोटड्ढूब और सोने के नैनोकणों से बनाया गया है।
  • ये बायोसेंसर जैविक पदार्थों, जैसे न्यूक्लिक एसिड (डीएनए और आरएनए), प्रोटीन, एंटीबॉडी, एंटीजन और ग्लूकोज जैसे अन्य जैविक तत्त्वों के बारे में जानकारी का पता लगाते हैं, और उन्हें रिकॉर्ड करते हैं।
  • नैनोमटेरियल्स से बने बायोसेंसर पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक तेजी से काम करते हैं।