रोगाणुरोधी प्रतिरोध इनोवेशन हब लॉन्च

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के ‘सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर प्लेटफॉर्म्स’ (C-CAMP) ने भारत में रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) की समस्या के समाधान के लिए हाल ही में एक वैश्विक सहयोगी मंच-‘इंडिया एएमआर इनोवेशन हब’ (India AMR Innovation Hub-IAIH) शुरू किया।

मुख्य बिंदुः नया प्लेटफॉर्म मानव-पशु इंटरफेस (human-animal interface) और उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (neglected tropical diseases) पर ध्यान केंद्रित करेगा।

  • यह देश में वैश्विक स्तरीय पारिस्थितिक तंत्र बनाने का लक्ष्य करता है, जिसमें अनुभवी वैज्ञानिक और नैदानिक ज्ञान आधार, नियामक विशेषज्ञता और क्षमता सुधार आदि शामिल हों।
  • इसके भागीदारों में विश्व स्वास्थ्य संगठन, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, द ड्रग्स फॉर नेगलेक्टेड डिजीज इनिशिएटिव (DNDi), नारायण हेल्थ, जॉनसन एंड जॉनसन जैसे राष्ट्रीय और वैश्विक हितधारक शामिल हैं।
  • इसे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) का भी समर्थन प्राप्त है।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR)

  • विभिन्न रोगों के उपचार के लिए ऐसी औषधियों का प्रयोग किया जाता रहा है, जो कि रोगजनक जीवाणुओं को मार दें या निष्प्रभावी कर दें।
  • इन औषधियों में प्रतिजैविकों (Antibiotics) का प्रयोग व्यापक पैमाने पर किया गया; उदाहरणस्वरूप- स्ट्रेप्टोमाइसिन तथा पेनिसिलीन।
  • यह समझा जाता रहा है कि एंटीबायोटिक्स के प्रयोग से रोगजनक जीवाणुओं पर पूर्ण नियंत्रण किया जा सकता है।
  • हालांकि धीरे-धीरे यह ज्ञात हुआ कि जो एंटीबायोटिक्स किसी रोगाणु पर नियंत्रण करने में सक्षम थे, समय के साथ निष्प्रभावी होते गए।
  • ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इन जीवाणुओं या रोगाणुओं ने सम्बंधित प्रतिजैविकों के विरुद्ध प्रतिरोध (Resistance) विकसित कर लिया।
  • इसी स्थिति को प्रतिसूक्ष्मजीवी/प्रतिजैविक/रोगाणुरोधी प्रतिरोध [Antimicrobial Resistance (AMR)] कहा जाता है। ज्ञात हो कि एंटीबायोटिक, विषाणुओं पर काम नहीं करता।