यह विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 में संशोधन करता है। इस अधिनियम के अंतर्गत निर्यात को बढ़ावा देने हेतु विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना, विकास और प्रबंधन का प्रावधान है।
इस विधेयक के अंतर्गत ट्रस्ट या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किसी अन्य संस्था को शामिल करके इस परिभाषा में दो और श्रेणियां जोड़ी गई हैं।
विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 की धारा 2 की उप-धारा (अ) में संशोधन के बाद, केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित ट्रस्ट या कोई कंपनी विशेष आर्थिक क्षेत्रों में अपनी कोई इकाई स्थापित करने की अनुमति प्राप्त करने के बारे में विचार करने की पात्र होगी।
यह संशोधन केंद्र सरकार को किसी व्यक्ति या किसी भी संस्था को परिभाषित करने के संबंध में लचीलापन प्रदान करेगा जिसे केंद्र सरकार समय-समय पर अधिसूचित कर सकती है।
मूल अधिनियम के तहत, एक व्यक्ति की परिभाषा में एक व्यक्ति, एक हिंदू अविभाजित परिवार, एक कंपनी, एक सहकारी समिति, एक फर्म या व्यक्तियों का एक संघ शामिल है।
विधेयक में दो और श्रेणियां शामिल हैं- एक न्यास, या कोई अन्य इकाई जिसे केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जा सकता है।
एसईजेड से काम करने के लिए सभी प्रकार के ट्रस्ट- सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट, निजी ट्रस्ट बड़े और छोटे कॉर्पोरेट घरानों द्वारा संचालित होते हैं। ये ट्रस्ट स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल और अन्य आजीविका निर्माण गतिविधियों से लेकर विनिर्माण और वित्तपोषण तक की गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला चलाते हैं।
विशेष आर्थिक क्षेत्र
विशेष आर्थिक क्षेत्र अथवा सेज (Special Economic Zone) उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं, जहां से व्यापार, आर्थिक क्रियाकलाप, उत्पादन तथा अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को संचालित किया जाता है।
ये क्षेत्र देश की सीमा के भीतर विशेष आर्थिक नियम-कायदों को ध्यान में रखकर व्यावसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिये विकसित किये जाते हैं।
भारत उन शीर्ष देशों में से एक है, जिन्होंने उद्योग तथा व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये विशेष रूप से ऐसी भौगोलिक इकाइयों को स्थापित किया।
भारत पहला एशियाई देश है, जिसने निर्यात को बढ़ाने के लिये वर्ष 1965 में कांडला में एक विशेष क्षेत्र की स्थापना की थी। इसे एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग जोन (EPZ) नाम दिया गया था।