सेज नीति 2000

भारत में अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए तथा विश्व स्तरीय अवसंरचना के अभाव और एक अस्थिर वित्तीय व्यवस्था के कारण सामने आने वाली दिक्कतों का सामना करने हेतु इस नीति की घोषण की गई थी।

उद्देश्यः केंद्र तथा राज्य दोनों स्तर पर न्यूनतम संभावित विनियमनों के साथ आकर्षक वित्तीय प्रोत्साहन तथा गुणवत्ता पूर्ण अवसंरचना की सहायता से सेज को आर्थिक विकास को वाहक बनाना था।

सेज नीतिः भारत में निवेशकों में आत्मविश्वास भरने तथा एक सेज व्यवस्था में स्थिरता लाने और आर्थिक क्रिया कलाप और रोजगार सृजन करने के उदेश्य से सेज विधेयक लाया गया था। इस विधेयक के आधार पर 2005 में विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम पारित किया गया जिसे 23 जून 2005 को राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त हो गई।

  • सेज नियमों द्वारा समर्थित सेज अधिनियम 2005, 10 फरबरी 2006 को प्रभावी हुआ था जिसके निम्नलिखित उदेश्य हैं-
    • अतिरिक्त आर्थिक कार्यकलाप का सृजन
    • वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात का संवर्धन
    • घरेलू एवं विदेशी स्रोतों से निवेश का संवर्धन
    • रोजगार अवसरों का सृजन
    • अवसंरचना सुविधाओं का विकास
  • इस नीति से अवसंरचना एवं उत्पादक क्षमता में बड़ी मात्रा में विदेशी एवं घरेलु निवेश के बढ़ने तथा आर्थिक गतिविधि और रोजगार के अवसर के बढ़ने को प्राथमिकता प्रदान की गई थी।