धारा 377

लैंगिक समानता के क्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में अपना निर्णय दिया था।

इस आदेश के मुताबिक भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के उस सेक्शन को कोर्ट समाप्त कर दिया था, जिसके मुताबिक दो वयस्कों लोगों में सहमति से हुए सेक्स के दौरान ‘अप्राकृतिक संबंध’ को अपराध माना जाता था।

  • कोर्ट के इस निर्णय के बाद LGBT समुदाय के लोगों ने बड़े स्तर पर खुशियां मनाई थीं।
  • इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने भी धारा 377 के इस हिस्से को असंवैधानिक बताया था लेकिन फिर बाद में सुप्रीम कोर्ट ने ही इसे 2013 में फिर लागू कर दिया था।