लैंगिक समानता के क्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में अपना निर्णय दिया था।
इस आदेश के मुताबिक भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के उस सेक्शन को कोर्ट समाप्त कर दिया था, जिसके मुताबिक दो वयस्कों लोगों में सहमति से हुए सेक्स के दौरान ‘अप्राकृतिक संबंध’ को अपराध माना जाता था।