पूजा स्थल अधिनियम 1991

सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च, 2021 को पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 [Places of Worship (Special Provisions) Act of 1991], की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका दायर की।

  • याचिका में कहा गया है कि 1991 के अधिनियम के माध्यम से केंद्र सरकार ने पूजा स्थलों व तीर्थस्थलों पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ न्यायिक उपचार पर रोक लगा दी तथा इसकी वजह से हिंदू, जैन, बौद्ध व सिख इन अतिक्रमणों के खिलाफ मुकदमा दायर नहीं कर सकते या अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटा सकते।
  • इस याचिका में पूजा स्थल कानून 1991 की धारा 2, 3 और 4 को इस आधार पर रद्द करने का अनुरोध किया गया है कि ये प्रावधान किसी धार्मिक समूह के पूजा स्थल को पुनः प्राप्त करने का न्यायिक अधिकार छीन लेते हैं।
  • अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा यह याचिका अक्टूबर 2020 में दायर की गई थी तथा इसमें पूजा स्थल कानून, 1991 को भेदभावपूर्ण और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला बताया गया है।
  • याचिका में दलील दी गई कि 1991 के कानून ने धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन किया है जो प्रस्तावना का एक अभिन्न अंग है और संविधान की मूल विशेषता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि संविधान का अनुच्छेद-25 लोगों को अपनी धार्मिक आस्था के पालन का अधिकार देता है। ऐसे में संसद इसमें बाधक बनने वाला कोई कानून पास नहीं कर सकती।