राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017

15 मार्च, 2017 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नई ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017’ को अनुमोदित कर दिया।

  • इस नीति का उद्देश्य सभी लोगों विशेषकर अल्पसेवित और उपेक्षित लोगों को सुनिश्चित स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराना है।
  • यह नीति बदलते सामाजिक आर्थिक, प्रौद्योगिकीय और महामारी-विज्ञान परिदृश्य में मौजूदा और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए 15 वर्षों के अंतराल के बाद अस्तित्व में आई है।

स्वास्थ्य नीति की विशेषताएँ: इस नीति का लक्ष्य सभी विकास नीतियों में एक निवारक और प्रोत्साहक स्वास्थ्य देखभाल दिशा-निर्देश के माध्यम से सभी वर्गों के लिए स्वास्थ्य और कल्याण का उच्चतम संभव स्तर प्राप्त करना है।

  • किसी को भी वित्तीय कठिनाई का सामना किए बिना बेहतरीन गुणवत्तापरक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करना है।
  • नीति में जन स्वास्थ्य व्यय को समयबद्ध ढंग से जीडीपी के 2-5% तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। नीति में गैर-संचारी रोगों की उभरती चुनौतियों से निपटने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • नीति में आयुष प्रणाली के त्रि-आयामी एकीकरण की परिकल्पना की गई है जिसमें क्रांस रेफरल, सह-स्थल और औषधियों की एकीकृत पद्धतियां शामिल हैं।
  • जन्म के समय जीवन प्रत्याशा को 67.5 वर्ष से बढ़ाकर वर्ष 2025 तक 70 वर्ष करना।
  • वर्ष 2022 तक प्रमुख वर्गों में रोगों की व्याप्तता तथा इसके रुझान को मापने के लिए विकलांगता समायोजित आयु वर्ष (DALY) सूचकांक की नियमित निगरानी करना।

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC)

दिसंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) पर एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया। UHC पर संयुक्त राष्ट्र संघ की यह प्रथम उच्च-स्तरीय बैठक है।

  • इस बैठक का लक्ष्य वर्ष 2030 तक सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने की दिशा में प्रगति को त्वरित करने हेतु वैश्विक समुदाय को एकजुट करना तथा राज्याध्यक्षों एवं सरकारों की राजनीतिक प्रतिबद्धता सुनिश्चित करना है।
  • एजेंडा फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंटः 2030 एजेंडा फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट के भाग के रूप में, सभी देश वर्ष 2030 तक UHC प्राप्त करने के प्रयास हेतु प्रतिबद्ध हैं।
  • UHC से तात्पर्य यह सुनिश्चित करना है कि लोगों को वित्तीय कठिनाइयों का सामना किए बिना आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं तक सरल पहुंच हो।
  • यह सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक उत्प्रेरक है और समानता, सामाजिक न्याय एवं समावेशी आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने तथा गंभीर निर्धनता को समाप्त करने में योगदान करता है।
  • यह स्वास्थ्य संबंधी मानवाधिकार के साथ-साथ व्यापक मानवाधिकार एजेंडा पर आधारित है।
  • वर्ष 2025 तक राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तर पर कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate- TFR) को घटाकर 2.1 पर लाना।
  • वर्ष 2025 तक पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में मृत्यु दर को कम करके 23 करना तथा एमएमआर के वर्तमान स्तर को वर्ष 2020 तक घटाकर 100 करना।
  • नवजात शिशु मृत्यु दर को घटाकर 16 करना तथा मृत जन्म लेने वाले बच्चों की दर को वर्ष 2025 तक घटाकर एक अंक में लाना।
  • वर्ष 2020 के वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करना जिसे एचआईवी/एड्स के लिए 90:90:90 के लक्ष्य के रूप में परिभाषित किया गया है।