राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण

जैव विविधता संधि (Convention On Biological Diversity) के अनुसरण में, इस सम्मेलन के प्रावधानों को प्रभावी बनाने के लिये भारत ने वर्ष 2002 में जैव विविधता अधिनियम बनाया और वर्ष 2004 में जैव विविधता नियम अधिसूचित किया।

  • इस अधिनियम का कार्यान्वयन राष्ट्र, राज्य और स्थानीय स्तर पर तीन स्तरीय संस्थानों द्वारा होता है।
  • राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (National Biodiversity Authority) की स्थापना अक्टूबर, 2003 में चेन्नई में की गई।
  • इस प्राधिकरण की धारा 8(4) के अनुसार, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण का एक अध्यक्ष होता है, पांच गैर सरकारी और दस पदेन सदस्य होते हैं, जो विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधित्व के लिये केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त किये जाते हैं।

प्रमुख कार्यः जैव-विविधता संरक्षण संबंधित किसी भी मामले में केंद्र सरकार को सलाह प्रदान करना।

  • राज्य जैव-विविधता बोर्ड की गतिविधियों का समन्वय तथा राज्य जैव-विविधता बोर्डों को तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करना।
  • जनसंचार के माध्यम से जैविक संसाधन और ज्ञान के उपयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों के निष्पक्ष तथा न्यायसंगत साझाकरण, इसके घटकों के सतत उपयोग एवं जैव विविधता संरक्षण के संबंध में एक व्यापक कार्यक्रम आयोजित करना।
  • प्राधिकरण जैव चोरी को रोकता है तथा देशी और परंपरागत आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण करता है।
  • प्राधिकरण की अनुशंसा के बिना आनुवंशिक/जैविक संसाधनों से संबंधित बौद्धिक सम्पदा अधिकारों हेतु आवेदन नहीं किया जा सकता है।