इसे कृषि मंत्रालय की केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में 2006-07 में प्रारंभ किया गया।
2014-15 में इसे बागवानी के एकीकृत विकास के लिए 'Mission for Integrated Development of Horticulture-MIDH' के अंतर्गत शामिल कर लिया गया है।
मिशन द्वारा मुख्य रूप से बांस के प्रचार और उत्पादन पर जोर दिया गया और प्रसंस्करण, उत्पाद विकास तथा मूल्यवर्धन पर सीमित प्रयास किए गए।
उद्देश्य
कृषि आय में सहायता और जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलेपन के साथ-साथ उद्योगों को गुणवत्तापरक कच्चे माल की आवश्यकता की उपलब्धता के लिए गैर-वन (Non-Forest) सरकारी तथा निजी भूमि में बांस वृक्षारोपण क्षेत्र को बढ़ाना।
उत्पादन स्रोत के पास अभिनव प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना, संरक्षण प्रौद्योगिकियों और बाजार अवसंरचना के माध्यम से फसल प्रबंधन (Post Harvest Management) में सुधार करना।
भारत में कम विकसित बांस उद्योग का कायाकल्प करना।
उत्पादन से बाजार मांग तक बांस क्षेत्र के विकास के लिए कौशल विकास, क्षमता निर्माण, जागरुकता को प्रोत्साहित करना।