न्यायाधिकरण को व्यापक अधिकार दिए गये हैं। पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन करने वालों को यह तीन वर्ष तक के कारावास व 10 करोड़ रुपए तक की सजा दे सकता है। कार्पोरेट सेक्टर के लिए यह राशि 25 करोड़ तक हो सकती है।
इसके पास NGT अधिनियम की अनुसूची-1 में सूचीबद्ध कानूनों के कार्यान्वयन से जुड़े पर्यावरणीय मुद्दों और प्रश्नों से संबंधित सभी नागरिक मामलों को सुनने की शक्ति है।
इनमें निम्नलिखित अधिनियम शामिल हैं-
जल (रोकथाम और प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, 1974;
जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) उपकर अधिनियम, 1977;