यह योजना 2015 में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने शुरुआत की। इसका उद्देश्य अल्पसंख्यकों की पारंपरिक कला तथा शिल्प की धरोहर को सुरक्षित करने के साथ पारंपरिक शिल्पियों एवं कारीगरों के क्षमता निर्माण को बढ़ावा देना है।
योजना का प्रदर्शन
2018-19 तक 84 एनजीओ / सिविल सोसाइटी संगठन योजना चला रहे हैं, जिससे 7,500 से अधिक लाभार्थियों को लाभ मिल चुका है।