आत्मनिर्भर भारत अभियान

प्रधानमंत्री ने 12 मई 2020 को राष्ट्र को संबोधित करते हुए 20 लाख करोड़ रुपये (265 बिलियन) के प्रोत्साहन पैकेज के साथ ‘आत्मनिर्भर भारत’बनाने का आह्नान किया। यह राशी कोरोनावायरस से उत्पन्न आर्थिक चुनौतियों से निपटने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि भूमंडलीकृत दुनिया में आत्मनिर्भरता के मायने बदल गए हैं।

  • भारत की संस्कृति, भारत के संस्कार, उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं, जिसकी आत्मा वसुधैव कुटुंबकम है। भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है, तो आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता।

आत्मनिर्भर भारत मिशन

इस मिशन का उद्देश्य सुधार एवं सरकारी हस्तक्षेपों के माध्यम से प्रतिस्पर्धी बनाते हुए भारतीय उद्योगों को बढ़ावा देना है, जिससे आयात निर्भरता में कमी लाया जा सके। भारत की आत्मनिर्भरता स्वकेंद्रित व्यवस्था का समर्थन नहीं करती है। बल्कि यह वैश्विक संपन्नता, सहयोग और शांति में अंतर्निहित है।

  • कोविड-19 के प्रभावों और अपनी आर्थिक गिरावट से उभरने में भारत की समर्थता घरेलू उद्योगों की लोचशीलता पर निर्भर करता है।

आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभ

अर्थव्यवस्था, जो इंक्रीमेंटल चेंज (वृद्धिशील परिवर्तन) नहीं बल्कि क्वांटम जम्प (बडे संरचनात्मक परिवर्तन) लाए।

  • इंफ्रास्ट्रक्चर (बुनियादी ढांचा), जो आधुनिक भारत की पहचान बने।
  • सिस्टम (प्रणाली), जो 21वीं सदी के सपनों को साकार करने वाली टेक्नोलॉजी ड्रिवन व्यवस्थाओं पर आधारित हो।
  • वायव्रेंट डेमोग्राफी (जनसांख्यिकी), जो आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्त्रेत है।
  • डिमांड (मांग)- हमारी अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई चेन का जो चक्र है, जो ताकत है, उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है।

कोविड-19 के दौरान विश्व अन्य देशों द्वारा राहत पैकेज की घोषणा

अमेरिका ने राहत पैकेज के रूप में 2.7 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 13%) की घोषणा की, जो विश्व के अन्य देशों के तुलना सर्वाधिक है। परंतु जीडीपी के प्रतिशत के रूप में यह जापान से कम है।

  • जापान ने अपने कुल जीडीपी का 21.1% के बराबर राहत पैकेज की घोषणा की।
  • स्वीडन तथा ऑस्ट्रेलिया ने अपने कुल जीडीपी का 12% तथा 10.8% के बराबर राहत पैकेज की घोषणा की।
  • जर्मनी ने लगभग 815 बिलियन अमेरीकी डॉलर की राहत पैकेज की घोषणा की, जो उसके कुल जीडीपी का लगभग 10.7% है।
  • स्पेन और इटली ने कोरोनावायरस ने निपटने के लिए अपने कुल जीडीपी का 7.3% तथा 5.7% की घोषणा की।
  • फ्रांस ने अपने कुल जीडीपी का 9.3% राहत पैकेज की घोषणा की।
  • छोटे देशों जैसे लक्जमबर्ग तथा बेल्जियम ने कोविड-19 से निपटने के लिए अपने जीडीपी का लगभग 20.7% तथा 19.2% की घोषणा की।

आत्मनिर्भर भारत के लिए विशेष आर्थिक पैकेज

कोविड-19 संकट के दौरान सरकार द्वारा इससे पहले की गई घोषणाओं और आरबीआई द्वारा लिए गए निर्णयों से जुड़ी राशि को मिला देने पर यह पैकेज 20 लाख करोड़ रुपये का है, जो भारत की जीडीपी के लगभग 10 प्रतिशत के बराबर है। यह पैकेज ‘आत्मनिर्भर भारत’बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काफी सहायक साबित होगा।

मूख्य बिन्दु

यह भूमि, श्रम, लिक्वीडिटी (तरलता) और कानूनों पर फोकस करेगा। यह कुटीर उद्योग, एमएसएमई, मजदूरों, मध्यम वर्ग, उद्योगों सहित विभिन्न वर्गों की जरूरतों को पूरा करेगा।

  • यह समय प्रत्येक भारतवासी को अपने लोकल के लिए वोकल बनना है, न सिर्फ लोकल उत्पाद खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है, जिससे वैश्विक स्तर पर पहचान बने।
  • इसमें गरीबों, मजदूरों, प्रवासियों आदि को संगठित और असंगठित क्षेत्रों में सशक्त बनाने पर जोर दिया गया है।
  • इसमें स्थानीय विनिर्माण, स्थानीय बाजार और स्थानीय आपूर्ति शंृखला पर जोर दिया गया है।

देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई साहसिक सुधारों की आवश्यकता है, जिसमें -

  • खेती से जुड़ी पूरी सप्लाई चेन में, ताकि किसान भी सशक्त हो और भविष्य में कोरोना जैसे किसी दूसरे संकट में कृषि पर कम से कम असर हो।
  • तर्कसंगत कर प्रणाली
  • सरल और स्पष्ट नियम-कानून
  • उत्तम इंफ्रास्ट्रक्चर
  • समर्थ और सक्षम मानव संसाधन
  • मजबूत वित्तीय प्रणाली

आत्मनिर्भर भारत अभियान का प्रभाव

ये रिफॉर्म्स, बिजनेस को प्रोत्साहित करेगा, निवेश को आकर्षित करेगा और ‘मेक इन इंडिया’के हमारे संकल्प को सशक्त करेगा। आत्मनिर्भरता देश को वैश्विक आपूर्ति शृंखला में कड़ी प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगा, यह न केवल विभिन्न सेक्टरों में दक्षता बढ़ाएगा, बल्कि गुणवत्ता भी सुनिश्चित करेगा।

आलोचना

पैकेज के संबंध में एक महत्वपूर्ण आलोचना यह की जा रही है कि सरकार द्वारा अपने कुल व्यय में अधिक वृद्धि नहीं की गई है।

  • कई विशेषज्ञों और टिप्पणीकारों का मानना है कि इस आर्थिक पैकेज के कारण मौजूदा संकट से निपटने में तत्काल राहत नहीं मिलेगी।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था अनुबंध और सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) पर सभी क्षेत्रों में गिरावट की संभावना है।
  • किसानों को वर्तमान संकट से सुरक्षा प्रदान करने के लिए कई संरचनात्मक सुधारों को अपनाए जाने की आवश्यकता है।
  • कई अर्थशास्त्रियों का सुझाव है कि सरकार को आर्थिक संकुचन को रोकने के लिए और अधिक खर्च करना चाहिए।
  • सरकारी प्रोत्साहन केवल आपूर्ति-पक्ष हल करने की कोशिश करता है। मांग उत्पन्न करने के लिए कुछ भी नहीं।
  • राज्य सरकारें, जो इस महामारी से लड़ने में अग्रणी भूमिका नीभा रही है को महामारी से लड़ने के लिए पर्याप्त रूप से फंड ट्रांसफर के जरिए समर्थन नहीं किया गया है।

सुझाव

आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए, उपर्युक्त में दिए गए उपायों के साथ-साथ कई व्यापक तथा दीर्घकालिक उपायों को भी अपनाना होगा, जैसे- निष्पादन के आधार पर आर्थिक सहायता प्रदान करना तथा सार्वजनिक विनियमन को सुदृढ़ करना होगा। पैकेज में घोषित संरचनात्मक सुधारों को स्थापित/लागू करने के लिए शिक्षा व कौशल में विकास किए जाने के लिए निवेश में वृद्धि करना आवश्यक है।

  • भारत को छः क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत होगी जैसे- नीति निर्धारण का विकेंद्रीकरण, ग्रामीण केंद्रित निर्णय, अपनी नीतियों के केंद्र में गरीबों को रखना, बेरोजगारी को दूर करना, पर्यावरण के अनुकूल नीतियां तैयार करना तथा स्वदेशी परंपराओं के अनुरूप निर्णय लेना।