कोरोनावायस का पर्यावरण पर प्रभाव

कोरोनावायरस ने विश्व भर में लोगों के जीवन और अर्थव्यवस्था का सर्वाधिक नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ पर्यावरण को भी प्रभावित किया है। यदि हम कोरोनावायरस पर ध्यान देते है तो पाते है कि इस वायरस का सर्वाधिक नकारात्मक प्रभाव केवल मानव जाति तक ही सीमित है। इसके विपरित पृथ्वी पर निवास करने वाले अन्य जीव-जंतु के साथ ही प्रकृतिक वनस्पतियों पर इस वायरस का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। ऐसा लगता है जैसे प्रकृतिक वनस्पतियों और जीव-जंतुओं उस जमीन को फिर से प्राप्त कर रहे हैं, जिसे हम उनके साथ साझा करना भूल गए थे या उनसे छीन लिए थे। इसके अलावा, कोरोनावायरस ने महामारी के रूप लेकर पर्यावरण को फिर से सुनहरा होने का अवसर प्रदान किया है, जिससे पर्यावरण पारिस्थितिक तंत्र संतुलित हो सके।

कोरोनावायरस का पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव

ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमीः SAFAR तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्राप्त आंकडो के अनुसार कोरोनावायरस के कारण वैश्विक स्तर पर हुए लॉकडाउन से वायु गुणवत्ता सुचकांक में सुधार हुआ है। वैश्विक स्तर पर हुए लॉकडाउन के कारण न केवल उद्योग-धंधे, कल-कारखाने बंद हुए बल्कि सरकारी वाहनों तथा निजी वाहनों को चलाने (आवश्यक सेवाओं को छोडकर) पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया, जिससे वाहनों से निकलने वाली जहरीली गैसों नाइट्रोजन और सल्फरडाइऑक्साइड में कमी आई, जिससे प्रदूषण स्तर कम हुआ और हवा स्वच्छ और साफ हुआ।

  • प्रत्येक वर्ष शीत ऋतु में दिल्ली के वायु गुणवत्ता सुचकांक में सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में गिना जाता था परंतु केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली के नवीनतम आंकडों के अनुसार वायु गुणवत्ता सुचकांक में सुधार हुआ है।

ऊर्जा की खपत पर प्रभावः अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के ग्लोबल एनर्जी रिव्यू 2020 ऊर्जा की वैश्विक मांग और CO2 उत्सर्जन पर कोविड-19 संकट के प्रभाव नामक रिपोर्ट के अनुसार भारत में ऊर्जा की मांग में लगभग 30 प्रतिशत की कमी आई है।

नदी प्रदूषणः कोरोनावायरस से संपूर्ण भारत में हुए लॉकडाउन का प्रभाव भारत के नदियों पर पड़ा है। भारत के प्रदूषण निगरानी निकाय के रियल-टाइम मॉनीटर के अनुसार गंगा नदी के उपरी भाग का जल पीने योग्य हो गया है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नवीनतम विशलेषण के अनुसार लॉकडाउन के कारण दिल्ली से होकर बहने वाली यमुना नदी की पानी की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार यह कमी औद्योगिक इकाइयों को बंद होने से कचरा का कम अपवाह के कारण हुआ है।

पेरिस समझौताः कोरोनावायरस ने पेरिस समझौते जैसे अंतरराष्ट्रीय जलवायु समझौता द्वारा लक्षित CO2 उत्सर्जन में कमी की ओर अग्रसर किया है।

कोरोनावायरस का वन्यजीवों पर प्रभाव

वैश्विक वन्यजीव व्यापारः कोरोनावायरस महामारी के प्रकोप के साथ ही वन्यजीवों के अवैध व्यापार और पशुजन्य रोगों के मध्य परस्पर संबंधों पर चर्चा आरंभ हो गई, जिससे वन्यजीवों के अवैध व्यापार से संबंधित मुद्दा चर्चा में आ गया। ऐसा माना जाता है कि कोरोनावायरस की शुरूआत बुहान शहर, जो समुद्री मछलियों और जंगली जानवरों के मांस बिक्री से संबंधित है से हुआ। इसलिए भविष्य में इस प्रकार के महामारी को रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर इस प्रकार के बाजार को बंद करने की मांग की जा रही है, जहां जीवित या मृत जानवरों के बेचे जाते है।

चिडियाघर के जानवरों में बीमारीः कोरोनावायरस एक प्रकार का जूनोटिक बीमारी है, जो जानवरों से मनुष्यों में होता है। हालही में यूएसए के ब्रोंक्स चिडि़याघर में एक बाघ कोरोनासंक्रमित पाया गया। ऐसा माना जाता है कि यह बाघ चिडि़याघर के देखभाल करने वाले व्यक्ति से संक्रमित हुआ था।

निष्कर्ष

कोरोनावायरस के कारण होनेवाली कई पर्यावरणीय चुनौतियां धीरे-धीरे अपने आप ही सुलझ जाएंगी क्योंकि संकट समाप्त होने के साथ ही आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू हो जाएगी। लेकिन यह सच है कि वायु प्रदूषण फिर से अपने स्तर पर पहुंच जाएगी। कुल मिलाकर, पर्यावरण का कोई स्थायी समाधान नहीं हो सकता है।