सूचकांक को विश्व बैंक ने विश्व विकास रिपोर्ट के हिस्से के रूप में लॉन्च किया था।
सूचकांक मापता है कि आर्थिक विकास के लिए देश अपने मानव पूंजी को कितनी अच्छी तरह से विकसित और सुनिश्चित कर रहे हैं; साथ ही यह श्रमिकों की अगली पीढ़ी की उत्पादकता को भी बताता है।
सूचकांक मानव पूंजी की मात्र को मापता है।
सूचकांक तीन मापदंडों के आधार पर तैयार किया जाता हैः
जीवन रक्षा, 5 वर्ष की आयु वर्ग तक मृत्यु दर द्वारा मापा जाता है।
विद्यालय में अपेक्षित वर्षों की गुणवत्ता- समायोजित।
स्वास्थ्य वातावरण, वयस्क के जीवित रहने की दर और कम उम्र के बच्चों के लिए स्टंटिंग (उम्र के हिसाब से कद का न बढ़ना) की दर का उपयोग करना।
सूचकांक में भारत को 157 देशों में 115वां स्थान प्राप्त हुआ है, जो नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और बांग्लादेश से पीछे है। शीर्ष 5 देशों में सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, जापान, हांगकांग और फिनलैंड हैं। रिपोर्ट में इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया है कि मानव पूंजी में खराब निवेश ने भारत के कार्यबल की उत्पादकता पर खतरा पैदा कर दिया है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि भारत में प्रभावी स्कूली शिक्षा 5-8 साल है, जो शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के प्रभाव पर सवाल उठाती है, जबकि 8 वर्ष की स्कूली शिक्षा को सुनिश्चित करता है।