ग्लोबल फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा वर्ष में दो बार (अप्रैल-अक्टूबर में) प्रकाशित की जाती है।
यह रिपोर्ट वैश्विक वित्तीय प्रणाली और बाजारों का आंकलन करती है और वैश्विक संदर्भ में उभरते बाजार वित्तपोषण के बारे में बतलाती है।
यह रिपोर्ट मौजूदा बाजार की स्थितियों पर भी ध्यान केंद्रित करने के साथ प्रणालीगत मुद्दों को उजागर करती है, जो वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा कर सकता है।
कॉरपोरेट ऋण की अधिकता के कारण मध्यम अवधि के जोखिम से भारत के विकास प्रक्षेप पथ में बाधा आ सकती है और इससे बैंकों के लिए जोखिम भी बढ़ सकता है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका आदि उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं, जो मैक्रो-इकनॉमिक स्टेबिलिटी से प्रभावित हुई हैं।
भारत में गैर-वित्तीय फर्मों के लिए उच्चतर वित्त पोषण लागत और कम कॉर्पोरेट आय भी काफी अधिक ऋण-जोखिम को प्रभावित कर सकती है।