यह 1995 में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य चिह्नित रेगिस्तानी क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों के आधार के कायाकल्प करना है। यह सूखे के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने और मरुस्थलीकरण को नियंत्रित करने में सहायक है।
नवीनतम अनुमान के अनुसार इस कार्यक्रम के तहत 35 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को कवर किया गया है। यह लगभग 7 शुष्क और अर्द्ध-शुष्क राज्यों के 40 जिलों एवं 235 ब्लॉक में संचालित है।