गैर सरकारी स्वास्थ्य क्षेत्र में वंचित वर्ग के लिए प्रावधान
जिस निजी अस्पतालों को नियमित रूप से सरकारी अनुदान प्राप्त होता है वह अपने कुल रोगी क्षमता का 10 प्रतिशत गरीब वर्ग को मुफ्त उपलब्ध कराएगी।
इसी तरह किसी अस्पतालों को विशेष शर्तों के साथ जमीन उपलब्ध करायी जाएगी तो उन्हें वंचित वर्ग को अनुबंध के अनुसार सुविधा देना होगा। स्वयं सेवी संस्था यदि स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्य करती है तो वह वंचित वर्ग को मुफ्रत या न्यूनतम दर पर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराएगी।
निजी स्वास्थ्य सेवा संस्थानों को वंचित समूहों के मरीजों के इलाज करने पर टैक्स की छूट मिलती है।
निजी क्षेत्र द्वारा दी जा रही स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बनाया था।
गैर सरकारी स्वास्थ्य क्षेत्र में निजी क्षेत्र के अस्पतालों का योगदान
गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 10 प्रतिशत मरीज भी निजी अस्पतालों में इलाज करवाते हैं। सरकारी स्वास्थ्य सेवा की कमियों को देखते हुए 1980 के बाद से निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को बढ़ावा मिलने लगा।
भारत में कुल स्वास्थ्य सेवा का 80 प्रतिशत निजी क्षेत्र में खर्च होता है। अनुमानित रूप से निजी स्वास्थ्य क्षेत्र में आउट पेशेंट का केवल 60 प्रतिशत और रोगी की देखभाल के लिए 40 प्रतिशत मरीज जाते है। निजी क्षेत्र में चल रहे 85 प्रतिशत अस्पतालों में मरीजों के लिए औसतन 25 से कम बेड उपलब्ध हैं।