मुगलकालीन भू-राजस्व प्रणाली

मुगल साम्राज्य के राजस्व को दो भागों में बांटा जा सकता है- केंद्रीय अथवा शाही तथा स्थानीय अथवा प्रान्तीय। कृषकों से उनकी अधिशेष उपज को भू-राजस्व के रूप में अलग करना मुगलों के अधीन कृषि व्यवस्था की केंद्रीय विशेषता थी।

  • अबुल फजल ने अपनी ‘आईन-ए-अकबरी’ में राज्य द्वारा लगाए गए कर को संप्रभुता का पारिश्रमिक कहा है, जो सुरक्षा एवं न्याय के बदले में दिया जाता है।
  • ब्रिटिश प्रशासक भू-राजस्व को भूमि का लगान मानते थे, क्योंकि उनकी धारणा थी कि राजा ही भूमि का स्वामी होता है।
  • मुगल भारत का अध्ययन से ज्ञात होता है कि यह फसल पर कर था ....
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