शहरी क्षेत्र विकास और वन्यजीव संरक्षण
- शहरी विस्तार से जैव विविधता, आवास, पोषण गतिशीलता और पारिस्थितिक प्रक्रियाओं सहित पारिस्थितिक तंत्र में बदलाव आ जाता है।
- शहरीकरण जीव जंतुओं के प्राकृतिक आवास को नष्ट कर सकता है, इससे बड़े जीवों को विचरण हेतु पर्याप्त स्थान प्राप्त नहीं हो पता है।
- आक्रामक/गैर-देशी प्रजातियों के आगमन से प्राकृतिक रूप से निर्मित खाध-जाल विकृत हो जाता है तथा देशी प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो सकता है।
- केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 का उद्देश्य देश के वन्यजीवों को अवैध शिकार, तस्करी और अवैध व्यापार से सुरक्षित करना था। इस अधिनियम को जनवरी, ....
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पत्रिका सार
- 1 डिजिटल युग में पारंपरिक कला के स्वरूप
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- 3 आधुनिक तकनीक और संदर्भों के जरिये लोक कला की पुनर्कल्पना
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- 15 वनों के कटाव तथा जलवायु परिवर्तन से पर्वतीय पक्षियों को खतरा
- 16 कीटभक्षी या मांसाहारी पौधो
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- 18 भारत में वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग
- 19 सीमा पार पशु रोगः भारतीय परिप्रेक्ष्य
- 20 इसरो के युवा वैज्ञानिक कार्यक्रम: युविका
- 21 विज्ञान साहित्य महोत्सव: विज्ञानिका