बुद्धिमत्ता के साथ कला से कृत्रिम मेधा तक

  • डिजिटल प्रौद्योगिकी के उदय ने डिजिटल पेंटिंग, ग्राफिक डिजाइन, एनीमेशन और इंटरएक्टिव मीडिया जैसे नए कला रूपों को जन्म दिया है।
  • मूर्ति कला की ‘डिजिटल छाप’ प्राजेक्शन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसमें किसी मानव या वस्तु की आकृति बनाने के लिए रोशनी को सतह पर प्रक्षेपित किया जाता है, जो कभी-कभी बहुत वास्तविक और सजीव लगती है।
  • वास्तुकला के निर्माण हेतु अब रिमोट सेंसिंग से लेकर हवाई अन्वेषण तक गणनात्मक डाटा एकत्र किए जा रहे हैं।
  • कला के एक अमूर्त रूप को ‘निष्पादन कला’ के रूप में जाना जाता है। इसे छुआ नहीं जा सकता है, लेकिन मनोवैज्ञानिक ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

पत्रिका सार