बुद्धिमत्ता के साथ कला से कृत्रिम मेधा तक

  • डिजिटल प्रौद्योगिकी के उदय ने डिजिटल पेंटिंग, ग्राफिक डिजाइन, एनीमेशन और इंटरएक्टिव मीडिया जैसे नए कला रूपों को जन्म दिया है।
  • मूर्ति कला की ‘डिजिटल छाप’ प्राजेक्शन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसमें किसी मानव या वस्तु की आकृति बनाने के लिए रोशनी को सतह पर प्रक्षेपित किया जाता है, जो कभी-कभी बहुत वास्तविक और सजीव लगती है।
  • वास्तुकला के निर्माण हेतु अब रिमोट सेंसिंग से लेकर हवाई अन्वेषण तक गणनात्मक डाटा एकत्र किए जा रहे हैं।
  • कला के एक अमूर्त रूप को ‘निष्पादन कला’ के रूप में जाना जाता है। इसे छुआ नहीं जा सकता है, लेकिन मनोवैज्ञानिक ....
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