आधुनिक तकनीक और संदर्भों के जरिये लोक कला की पुनर्कल्पना
- शास्त्रीय कला रूपों के विपरीत लोक कलाओं की गतिशील और अनुकूलनीय प्रवृत्ति होती है, जो अक्सर समकालीन प्रभावों और रुझानों से प्रभावित होती है।
- कला सिर्फ दर्शकों के मनोरंजन का साधन नहीं है, यह उनमें विस्मय की भावना का संचार करने और उनकी चेतना को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का एक शक्तिशाली माध्यम भी है।
- कला के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के उपयोग के कुछ जोखिम भी हैं। यह कला को केवल कंप्यूटेशनल एल्गोरिथम या गैर-मानवीय इलेक्ट्रॉनिक संगीत क्षेत्र के डिजिटल टैंफलेट्स तक सीमित कर रही ....
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संबंधित सामग्री
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पत्रिका सार
- 1 डिजिटल युग में पारंपरिक कला के स्वरूप
- 2 भारत में लोकप्रिय संगीत
- 3 कला, उपचार और अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम
- 4 कला संग्रहालयों पर डिजिटल प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया का प्रभाव
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- 11 जैविक कृषिः वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाएं
- 12 भारत में डेयरी और मत्स्यपालन क्षेत्र में अवसर
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- 14 वनों के कटाव तथा जलवायु परिवर्तन से पर्वतीय पक्षियों को खतरा
- 15 कीटभक्षी या मांसाहारी पौधो
- 16 भूमध्य सागर में आक्रामक पौधों का उपनिवेशीकरण
- 17 भारत में वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग
- 18 शहरी क्षेत्र विकास और वन्यजीव संरक्षण
- 19 सीमा पार पशु रोगः भारतीय परिप्रेक्ष्य
- 20 इसरो के युवा वैज्ञानिक कार्यक्रम: युविका
- 21 विज्ञान साहित्य महोत्सव: विज्ञानिका