भारतीय न्यायिक प्रणाली मुद्दे एवं चुनौतियां
एक संवैधानिक लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका ना केवल न्याय प्रदान करना होती है, बल्कि उसके ऊपर नागरिकों के अधिकारों के संरक्षण से लेकर संविधान की मूल भावना के रखरखाव का भी दायित्व होता है। समय-समय पर न्यायपालिका ने इस संदर्भ में अपनी भूमिका निभाई है। हालांकि वर्तमान में भारतीय न्यायिक प्रणाली विभिन्न चुनौतियों व मुद्दों का भी सामना कर रही है जो न्यायपालिका की अपेक्षित भूमिका के मार्ग में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इन चुनौतियों को संबोधित किया जाए।
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संबंधित सामग्री
- 1 भारत में नागरिक समाज संगठनों की बदलती भूमिका
- 2 एनजीओ का विनियमन
- 3 भारत में उपशामक देखभाल और बुजुर्ग लोग
- 4 स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की चुनौतियां एवं नीति
- 5 बहुआयामी गरीबी
- 6 सूक्ष्म वित्त संस्थान
- 7 भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश तथा इसका दोहन
- 8 भारत में बाल विवाह
- 9 महिला सशक्तीकरण और लैंगिक न्याय
- 10 निजी क्षेत्र में स्थानीय आरक्षण
मुख्य विशेष
- 1 न्यायिक प्रणाली से संबंधित मुद्दे व चुनौतियां
- 2 न्यायिक खामियों को दूर करने के उपाय
- 3 सामाजिक न्याय तथा विकास के लिए अधिकार आधारित दृष्टिकोण
- 4 अधिकार आधारित दृष्टिकोण के महत्वपूर्ण सिद्धांत
- 5 अधिकार आधारित दृष्टिकोण के कार्यान्वयन की रूपरेखा
- 6 विकास, सामाजिक न्याय तथा अधिकारों के एकीकरण में एनजीओ की भूमिका
- 7 सामाजिक न्याय व विकास संबंधी अधिकार आधारित पहलें
- 8 अधिकार आधारित विकास तथा सामाजिक न्याय: मूल्यांकन