स्वदेशी आंदोलन: राष्ट्रीय गौरव और एकता की भावना
स्वदेशी आंदोलन, 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में शुरू हुआ यह आंदोलन, धीरे-धीरे पूरे भारत में फैल गया। इसने न केवल ब्रिटिश आर्थिक शोषण को उजागर किया बल्कि राष्ट्रीय गौरव और एकता की भावना को भी बढ़ावा दिया।
- स्वदेशी आंदोलन का उद्देश्य भारतीयों को विदेशी वस्त्रों और उत्पादों का बहिष्कार करने और स्वदेशी (देश में निर्मित) वस्त्रों और उत्पादों को अपनाने के लिए प्रेरित करना था।
राष्ट्रीय गौरव और एकता को बढ़ावा
- बंगाल विभाजन का विरोध: 1905 में, वायसराय लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया, जिससे भारतीयों में भारी असंतोष उत्पन्न हुआ। बंगाल विभाजन के विरोध में स्वदेशी आंदोलन ....
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मुख्य विशेष
- 1 स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की सहभागिता
- 2 असहयोग आंदोलन
- 3 रूसी क्रांति: कारण तथा वैश्विक प्रभाव
- 4 औद्योगिक क्रांति का उपनिवेशवाद के प्रसार में योगदान
- 5 11वीं सदी के समाज सुधारक और संत: रामानुजाचार्य
- 6 गाँधी एवं नेहरू के सामाजिक-आर्थिक विचार: समानता एवं विभेद
- 7 ब्रिटिश शासन की नीतियां तथा आधुनिक भारत का निर्माण
- 8 दादा भाई नोरोजी की भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में भूमिका
- 9 स्वतंत्रता आन्दोलन में सुभाष चन्द्र बोस की भूमिका
- 10 वेलेजली की नीतियां एवं उनका प्रभाव
- 11 उग्र राष्ट्रवाद तथा स्वतंत्रता आन्दोलन में इसकी भूमिका
- 12 सूफी आन्दोलन का समाज एवं संस्कृति पर प्रभाव
- 13 भारतीय राष्ट्रवाद पर द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव
- 14 भारतीय समाज पर सूफी आंदोलन का प्रभाव
- 15 भारत की सांस्कृतिक विरासत में इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का योगदान
- 16 द्रविड़ कला और संस्कृति: चोल राजवंश की भूमिका
- 17 भारत में गुफा वास्तुकला
- 18 सिंधु घाटी सभ्यता का शहरी नियोजन
- 19 मुगलों की प्रशासनिक नीतियां: विशेषताएं और मुद्दे
- 20 भूदान एवं ग्रामदान आंदोलन
- 21 ब्रिटिश शासन में गिरमिटिया मजदूर
- 22 भारतीय पुनर्जागरण: कारण और महत्व
- 23 भारत की समृद्ध वैज्ञानिक विरासत
- 24 भारत में सिक्का निर्माण प्रणाली का विकास
- 25 पारंपरिक चिकित्सा
- 26 सांस्कृतिक पर्यटन की विकास में भूमिका
- 27 भारत में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत
- 28 भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा
- 29 द्रविड़ आंदोलन
- 30 प्राचीन भारत में लोकतांत्रिक मूल्य
- 31 भारतीय मार्शल आर्ट का इतिहास
- 32 वायकोम सत्याग्रह: कारण एवं प्रभाव
- 33 भारत के जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी: गुमनाम नायक