उग्र राष्ट्रवाद तथा स्वतंत्रता आन्दोलन में इसकी भूमिका
ब्रिटिश नीतियों से मोहभंग होने के बाद भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा राजनीति के एक नए मार्ग का चयन किया गया जिसे भारतीय इतिहास में उग्र-राष्ट्रवाद के रूप में जाना जाता है। इसका आरंभ 19वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों से हुआ तथा 1905 के बंग-भंग आंदोलन के समय इसने अपने पूर्ण रूप को प्राप्त कर लिया। उग्र राष्ट्रवाद की विचारधारा ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर व्यापक प्रभाव डाला।
उग्र राष्ट्रवाद के उदय के कारण
- दादाभाई नौरोजी जैसे राष्ट्रवादियों द्वारा ब्रिटिश शासन की आर्थिक शोषण की नीति के उजागर करने के पश्चात भारत में ब्रिटिश विरोधी भावना का तीव्र गति से विस्तार ....
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मुख्य विशेष
- 1 स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की सहभागिता
- 2 असहयोग आंदोलन
- 3 रूसी क्रांति: कारण तथा वैश्विक प्रभाव
- 4 औद्योगिक क्रांति का उपनिवेशवाद के प्रसार में योगदान
- 5 11वीं सदी के समाज सुधारक और संत: रामानुजाचार्य
- 6 गाँधी एवं नेहरू के सामाजिक-आर्थिक विचार: समानता एवं विभेद
- 7 ब्रिटिश शासन की नीतियां तथा आधुनिक भारत का निर्माण
- 8 दादा भाई नोरोजी की भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में भूमिका
- 9 स्वतंत्रता आन्दोलन में सुभाष चन्द्र बोस की भूमिका
- 10 वेलेजली की नीतियां एवं उनका प्रभाव
- 11 सूफी आन्दोलन का समाज एवं संस्कृति पर प्रभाव
- 12 भारतीय राष्ट्रवाद पर द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव
- 13 स्वदेशी आंदोलन: राष्ट्रीय गौरव और एकता की भावना
- 14 भारतीय समाज पर सूफी आंदोलन का प्रभाव
- 15 भारत की सांस्कृतिक विरासत में इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का योगदान
- 16 द्रविड़ कला और संस्कृति: चोल राजवंश की भूमिका
- 17 भारत में गुफा वास्तुकला
- 18 सिंधु घाटी सभ्यता का शहरी नियोजन
- 19 मुगलों की प्रशासनिक नीतियां: विशेषताएं और मुद्दे
- 20 भूदान एवं ग्रामदान आंदोलन
- 21 ब्रिटिश शासन में गिरमिटिया मजदूर
- 22 भारतीय पुनर्जागरण: कारण और महत्व
- 23 भारत की समृद्ध वैज्ञानिक विरासत
- 24 भारत में सिक्का निर्माण प्रणाली का विकास
- 25 पारंपरिक चिकित्सा
- 26 सांस्कृतिक पर्यटन की विकास में भूमिका
- 27 भारत में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत
- 28 भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा
- 29 द्रविड़ आंदोलन
- 30 प्राचीन भारत में लोकतांत्रिक मूल्य
- 31 भारतीय मार्शल आर्ट का इतिहास
- 32 वायकोम सत्याग्रह: कारण एवं प्रभाव
- 33 भारत के जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी: गुमनाम नायक