वेस्ट टू वेल्थ

कचरे की वर्तमान मात्र 62 मिलियन टन से बढ़कर 2030 तक लगभग 150 मिलियन टन होने का अनुमान है। उचित वैज्ञानिक उपचार के बिना वर्तमान दर पर कचरे के अंधाधुंध डंपिंग से प्रतिवर्ष लैंडफिल क्षेत्र की भारी आवश्यकता होगी।

अपशिष्ट प्रभाव

  • लैंडफिल से वायु प्रदूषण
  • स्वास्थ्य खतरे
  • पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को प्रभावित करना
  • मृदा संदूषण और प्रदूषण
  • सतही और भूजल प्रदूषण
  • समुद्री या स्थलीय जैव जीवन को प्रभावित करना।

ठोस अपशिष्ट निपटान

  • प्लाज्मा आर्क गैसीकरण प्रक्रिया का उपयोग कर ठोस अपशिष्ट उपचार और निपटान पर्यावरण के अनुकूल ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का एक विकल्प है, जिसमें बड़ी मात्र में कचरे को 95% तक कम करना संभव है।
  • प्लाज्मा गैसीकरण प्रक्रिया प्लाज्मा रिएक्टर के अंदर उच्च तापमान प्लाज्मा आर्क (3000 डिग्री सेल्सियस से ऊपर) उत्पन्न करने के लिए बिजली का उपयोग करती है, जो कचरे को सिनगैस में परिवर्तित करती है।
  • उत्पादित सिनगैस जब कैटेलिटिक कन्वर्टर, रिडॉक्स रिएक्टर, साइक्लोन सेपरेटर, स्क्रबर और कंडेंसर से युक्त गैस शोधन प्रणाली की एक श्रृंखला से होकर गुजरती है तो बिजली उत्पादन के लिए गैस इंजनों में उपयोग के लिए तैयार होती है।

बायोमास अपशिष्ट निपटान

  • बायोमास अपशिष्ट जैसे सूखी पत्तियां, मृत शाखाएं, सूखी घास आदि को पहले उपयुक्त आकार में काटकर बायोगैस डाइजेस्टर के घोल में मिलाकर निपटाया जाता है।
  • यह मिश्रण ब्रिकेट के लिए फीडस्टॉक है, जिसका उपयोग खाना पकाने के लिए ईंधन के रूप में किया जाता है।
  • इन ब्रिकेट्स का उपयोग सिनगैस के उत्पादन के लिए गैसीफायर में भी किया जा रहा है, जिसका उपयोग बिजली उत्पादन के लिए गैस इंजन में किया जा सकता है।