आर्टिफि़शियल इंटेलिजेंस से उत्पन्न नैतिक चुनौतियां

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का तीव्र प्रसार विश्व के साथ-साथ भारत के लिए भी विशिष्ट अवसर एवं चुनौतियां उत्पन्न करता है। सतत विकास लक्ष्य जैसे महान उद्देश्यों को प्राप्त करने के संदर्भ में भी इस तकनीक की महत्ता को स्वीकार किया जा चुका है। ऐसे में इसके लाभों को देखते हुए कोई भी देश इस तकनीक के अनुप्रयोग से बच नहीं सकता। आवश्यकता इस बात की है कि इसके द्वारा उत्पन्न होने वाली नैतिक एवं अन्य चुनौतियों की समय से पहचान करके उनका समाधान किया जाए।

  • हाल ही में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के संदर्भ में छात्रें के मध्य जागरूकता लाने और उन्हें इस क्षेत्र में कौशल युक्ति बनाने के लिए प्राइवेट कंपनी इंटेल के साथ मिलकर एक कम्युनिटी प्लेटफॉर्म को आरंभ किया है।
  • इस प्लेटफॉर्म पर देश भर के छात्र अपने तकनीकी अनुभव और ज्ञान को साझा कर सकेंगे। इसी संदर्भ में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने यह स्पष्ट किया है कि भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को स्कूली शिक्षा में शामिल करने वाला पहला देश बन गया है।

नैतिक चुनौतियां

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित उपरोक्त वर्णित अनुप्रयोगों के आधार पर एक तरफ जहां वैश्विक स्तर पर मानवीय जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ इस प्रकार की संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं कि इसके द्वारा अनेक मौजूदा समस्याओं में वृद्धि के साथ कई नैतिक चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं:
    • वृद्धिशील असमानताएं,
    • आंकड़ों की गोपनीयता से संबंधित विनियामक चुनौतियां,
    • बेरोजगारी का खतरा,
    • मनुष्यों के विरुद्ध उपयोग की संभावना,
    • सामाजिक विघटन।
  • एक ज्वलंत मुद्दे के रूप में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अपने अच्छे एवं बुरे परिणामों को लेकर आरंभ से ही वैज्ञानिकों के बीच चर्चा का विषय रहा है।
  • वर्तमान युग में विश्व में सभी देशों का मुख्य लक्ष्य यही है कि अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग करके लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाया जा सके। यही कारण है कि विकास के लिए तकनीक के उपयोग की स्वीकार्यता तो बढ़ी ही है, साथ ही नई-नई उत्पन्न होने वाली तकनीकी समस्याओं से निपटने के लिए नए समाधानों को अपनाया जा रहा है।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संदर्भ में भी वैज्ञानिकों की यही राय है कि इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले अनगिनत लाभों के बीच इसके सर्वाधिक नकारात्मक परिणाम मनुष्य को ही झेलने होंगे। आज जब यह तकनीक प्रयोग के आरंभिक चरण में है तो यह आवश्यक है कि इसको अपनाए जाने के क्रम में लाभ एवं हानियों को दृष्टिगत रखते हुए सतत रूप से इसका मूल्यांकन किया जाए।