​​संवैधानिक प्रावधान

अनुच्छेद 15ः राज्य बच्चों और महिलाओं के लिए विशेष कानूनी प्रावधान निर्धारित कर सकता है। यह मूलभूत अधिकार है और सरकार को महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष कानून, नीतियां और कार्यक्रमों को बनाने और लागू करने के लिए सक्षम बनाता है।

अनुच्छेद 21 ए शिक्षा का अधिकारः राज्य छः से चौदह साल तक के सभी बच्चों को अनिवार्य रूप से निःशुल्क शिक्षा प्रदान करेगा। यह मूलभूत अधिकार है, जिसे वर्ष 2002 में 86वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान में शामिल किया गया। इसका अनुपालन करते हुए केंद्र सरकार ने निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू किया।

अनुच्छेद 23ः मानव तस्करी और जबरन मजदूरी पर प्रतिबंध लगाता है। यह मूलभूत अधिकार है। 1950 में संविधान में वर्णित मूलभूत अधिकारों के हनन की स्थिति में दो अपराधों के लिए सजा का प्रावधान था-मानव तस्करी और अस्पृश्यता

अनुच्छेद 24ः कारखानों इत्यादि तथा अन्य जोखिम के कार्यों में 14 साल से कम उम्र के बच्चों की नियुत्तिफ़ पर प्रतिबंध लगाता है। यह मूलभूत अधिकार है। इसका उद्देश्य जोखिम के कार्यों में लगाए जाने से बच्चों की रक्षा करना है।

अनुच्छेद 39ः राज्य अपनी नीतियों के माध्यम से यह सुनिश्चित करेगा कि महिला और पुरुष कामगारों तथा कम उम्र के बच्चों के स्वास्थ्य और शत्तिफ़ का दुरुपयोग न हो और देश के नागरिक अपनी आर्थिक विवशता के कारण वैसे काम करने को बाध्य न हों, जो उनकी आयु और शत्तिफ़ के अनुरूप न हो।

बालकों को स्वतंत्र व गरिमामय वातावरण में स्वास्थ्य विकास के अवसर और सुविधाएं दी जाए और बालकों तथा अल्पवय व्यत्तिफ़यों की शोषण से तथा नैतिक और आर्थिक परित्याग से रक्षा की जाए।

यह मूलभूत अधिकार नहीं है। यह राज्य के नीति-निदेशक सिद्धांतों के अंतर्गत आता है। इसका उद्देश्य मजदूरी के माध्यम से बच्चों के शोषण की रोकथाम के लिए नीतियां बनाने हेतु राज्य को निर्देश देना है।

हर प्रकार के शोषण से बच्चों की रक्षा को ध्यान में रखते हुए यह प्रावधान अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अनुच्छेद 45ः राज्य सभी बालकों को चौदह वर्ष की आयु पूरी करने तक निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करेगा। यह राज्य के नीति निदेशक तत्व है।

अनुच्छेद 51 (क) (ट): इसके अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह 6-14 वर्ष तक की उम्र के बीच अपने बच्चों को शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराएगा। यह एक मौलिक कर्तव्य है। इसे 86वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के द्वारा जोड़ा गया है।