भारत में पहली पर्यटन नीति 1982 में घोषित की गई थी। इसका प्रमुख उद्देश्य भारत को एक पर्यटक स्थल के रूप में विदेशियों के समक्ष प्रस्तुत करना था। इस नीति में पर्यटन के महत्व को निम्न रूप में रेखांकित किया गया है-
एकीकरण का उत्प्रेरक बल;
सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के माध्यम के रूप में;
स्थानीय समुदाओं और सरकार के लिए सामाजिक आर्थिक लाभ की प्राप्ति के साधन के रूप में;
युवाओं को विभिन्न अवसर उपलब्ध करने वाले साधन के रूप में;
इस नीति में घरेलू पर्यटन के महत्व को स्वीकार कर उसके विकास की नीति पर बल दिया गया;
इस नीति में पर्यटन को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को विदेशी मुद्रा प्राप्ति, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में प्रमुख योगदान देने वाले तथा अंतरराष्ट्रीय सद्भावना और समझ को पैदा करने वाला माना गया था।