सुब्रमण्यम भारतीः तमिल साहित्य के शिरोमणि

सी- सुब्रमण्यम भारती, जिन्हें तमिल साहित्य में उनके उत्कृष्ट योगदान हेतु तमिल भाषा-भाषियों के लिए ‘महाकवि भारती’ के रूप में जाना जाता है का निधन 100 वर्ष पूर्व 11 सितंबर, 1921 को हुआ था।

  • भारती एक भावुक स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक क्रांतिकारी, रहस्यवादी (Mystic) और दूरदर्शी (Visionary) थे, उन्होंने ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ आंदोलन में भाग लिया, जिसके बाद ब्रिटिश शासन ने उन्हें पांडिचेरी निष्कासित कर दिया था।
  • सुब्रमण्यम भारती का जन्म 1882 ई. में तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा तिरुनेलवेली तथा वाराणसी में प्राप्त की थी। स्वतंत्रता संघर्ष तथा साहित्य के क्षेत्र में काम करने से पहले उन्होंने द हिंदू, बाला भारत, विजया, चक्रवर्ती, स्वदेशमित्रन सहित कई समाचार पत्रों में कार्य किया।

स्वतंत्रता संघर्ष में सहभागिता

दिसंबर 1905 में, उन्होंने बनारस में आयोजित अिखल भारतीय कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया। अपने घर वापसी की यात्र पर, वह स्वामी विवेकानंद की आध्यात्मिक उत्तराधिकारी सिस्टर निवेदिता से मिले। उन्होंने भारती को महिलाओं के अधिकारों को पहचानने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने दादाभाई नौरोजी के नेतृत्व में कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लिया, जिसमें स्वराज और ब्रिटिश सामानों के बहिष्कार की मांग की गई थी।

  • भारती ने 1907 में चिदंबरम पिल्लई तथा मांडयम श्रीनिवाचारी के साथ कांग्रेस के सूरत सत्र में भाग लिया। इस सत्र में कांग्रेस का नरमपंथी तथा गरमपंथी धड़ों में विभाजन हो गया था। भारती ने चिदंबरम पिल्लई तथा कांची वरथाचार्यर के साथ मिलकर बाल गंगाधर तिलक का समर्थन किया तथा वे सशस्त्र संघर्ष के समर्थक थे।
  • उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के समर्थन में साप्ताहिक पत्रिका ‘इंडिया’ तथा तमिल दैनिक ‘विजया’ का प्रकाशन आरंभ किया। 1909 ई. में ब्रिटिश प्रशासन ने ‘इंडिया’ तथा ‘विजया’ दोनों पर प्रतिबंध लगा दिया। भारती ने आर्य पत्रिका के प्रकाशन में अरविंदो घोष की सहायता की।
  • जब सुब्रमण्यम भारती ने नवंबर 1918 में कुड्डालोर (तमिलनाडु) से भारत में प्रवेश किया तब उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें 20 नवंबर से 14 दिसंबर तक तीन सप्ताह के लिए कुड्डालोर की केंद्रीय जेल में कैद किया गया था तथा एनी बेसेंट और सी. पी. रामास्वामी अय्यर के हस्तक्षेप के बाद रिहा कर दिया गया था।

साहित्य के क्षेत्र में योगदान

भारती लगभग 14 भाषाओं में प्रवीण थे, हालांकि उनका अधिकार व साहित्यिक लेखन तमिल भाषा में था। उन्होंने राजनीतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक विषयों को कवर किया।

  • सुब्रमण्यम भारती द्वारा रचित गीत और कविताएं अक्सर तमिल सिनेमा में उपयोग की जाती हैं और दुनिया भर के तमिल कलाकारों के साहित्यिक और संगीतमय प्रदर्शनों की सूची में प्रमुख बन गई हैं। तमिल भाषा की सुंदरता पर उन्होंने कई किताबें और कविताएं लिखीं।
  • उनकी तीन सबसे बड़ी रचनाएं, कुयिल पट्टू (Kuyil Pattu), पांचाली सपथम (Panchali Sapatham) और कन्नन पट्टू (Kannan Pattu) की रचना 1912 के दौरान की थी। उन्होंने वैदिक भजनों, पतंजलि के योग सूत्र और भगवत गीता का तमिल में अनुवाद भी किया। भारती ने अपनी कविताओं में ‘प्रगतिशील तथा सुधारवादी आदर्श’ व्यक्त किया।