सी- सुब्रमण्यम भारती, जिन्हें तमिल साहित्य में उनके उत्कृष्ट योगदान हेतु तमिल भाषा-भाषियों के लिए ‘महाकवि भारती’ के रूप में जाना जाता है का निधन 100 वर्ष पूर्व 11 सितंबर, 1921 को हुआ था।
स्वतंत्रता संघर्ष में सहभागिता
दिसंबर 1905 में, उन्होंने बनारस में आयोजित अिखल भारतीय कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया। अपने घर वापसी की यात्र पर, वह स्वामी विवेकानंद की आध्यात्मिक उत्तराधिकारी सिस्टर निवेदिता से मिले। उन्होंने भारती को महिलाओं के अधिकारों को पहचानने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने दादाभाई नौरोजी के नेतृत्व में कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लिया, जिसमें स्वराज और ब्रिटिश सामानों के बहिष्कार की मांग की गई थी।
साहित्य के क्षेत्र में योगदान
भारती लगभग 14 भाषाओं में प्रवीण थे, हालांकि उनका अधिकार व साहित्यिक लेखन तमिल भाषा में था। उन्होंने राजनीतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक विषयों को कवर किया।