मोपला विद्रोह: एक विरोधाभास

‘केंद्रीय संस्कृति मंत्रलय’ द्वारा ‘भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद’ (Indian Council fo Historical Research- ICHR) के सहयोग से वर्ष 2019 में प्रकाशित ‘शहीदों की डिक्शनरी’ (Dictionary of Martyrs) प्रकाशित की गयी थी, जिसमे ‘मोपला नरसंहार’ के मुख्य वास्तुकार वरियामकुननाथ कुंजामहम्मद हाजी और अली मुसलियार को शहीद का दर्जा दिया गया था।

  • हालांकि, ICHR द्वारा गठित एक समिति की रिपोर्ट में 387 मोपला विद्रोहियों (नेता अली मुसलियार और वरियामकुननाथ कुंजामहम्मद हाजी सहित) के नाम शहीदों की सूची में से हटाने की मांग की गयी है।

कारण

समिति की रिपोर्ट में वरियामकुननाथ कुंजामहम्मद हाजी को ‘कुख्यात मोपला दंगाई नेता’ तथा ‘कट्टर अपराधी’ बताया गया है।

  • रिपोर्ट के अनुसार-कुंजामहम्मद हाजी ने वर्ष 1921 में हुए मोपला विद्रोह के दौरान असंख्य निर्दोष हिंदू पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की हत्या की और उनके शवों को एक कुएं में फेंक दिया, जिसे स्थानीय रूप से थोवूर किनार (Thoovoor Kinar) के नाम से जाना जाता है।
  • रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, लगभग सभी मोपला आन्दोलन सांप्रदायिक थे तथा वे हिन्दू समाज के विरुद्ध नफरत और असहिष्णुतापूर्ण थे।
  • अतः इनके नाम शहीदों की सूची से हटाए जाने चाहिए।

मोपला विद्रोह या मालाबार विद्रोह क्या था?

20 अगस्त, 2021 को मोपला विद्रोह की जयन्ती थी। इसे ‘मोपला दंगों’ के रूप में भी जाना जाता है। विद्रोह की शुरुआत 20 अगस्त, 1921 को हुई थी, जब मुस्लिम काश्तकारों ने ब्रिटिश शासकों (British Rulers) तथा हिन्दू जमीदारों (Hindu Landlords) के खिलाफ हिंसक विद्रोह छेड़ दिया था।

  • विद्रोह की ये घटनाएं उत्तरी केरल के क्षेत्र में हुईं, जो वर्तमान में मलप्पुरम जिले के अंतर्गत आता है।
  • मुस्लिम धर्मगुरुओं के उग्र भाषणों और ब्रिटिश विरोधी भावनाओं से प्रेरित होकर, मोपिल्लाहों (Mopillahs) ने एक हिंसक विद्रोह शुरू किया और ब्रिटिश अधिकारियों और हिंदू जमींदारों दोनों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं कीश्रृंखला हुई।
  • कुछ लोग इस विद्रोह को धार्मिक कट्टरता का मामला मानते हैं, कुछ लोग इसे ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ संघर्ष के उदाहरण के रूप में देखते हैं, तथा कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो मालाबार विद्रोह को जमींदारों की अनुचित प्रथाओं के खिलाफ एक किसान विद्रोह मानते हैं।
  • हालांकि इतिहासकार अब भी इस विद्रोह की प्रकृति पर चर्चा-बहस करते रहते हैं, लेकिन व्यापक रूप से यह सहमति है कि इस विद्रोह की शुरुआत औपनिवेशिक राजनीतिक सत्ता के खिलाफ संघर्ष के रूप में हुई थी, जिसने बाद में सांप्रदायिक रंग ले लिया।

मोपला विद्रोह का राष्ट्रीय आंदोलन से संबंध

  • महात्मा गांधी के आह्वान पर मालाबार में मोपलाओं के धार्मिक प्रमुख के नेतृत्त्व में एक ‘खिलाफत समिति’ का गठन किया गया।
  • ‘खिलाफत आंदोलन’ में किसानों की मांग का समर्थन किया गया, बदले में किसानों ने भी आंदोलन में अपनी पूरी शक्ति के साथ भाग लिया। ‘भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस’ (INC) द्वारा मोपला विद्रोह का समर्थन किया गया तथा कृषि सुधारों और स्वतंत्रता दोनों की मांग का एक साथ समर्थन किया। मोपला विद्रोह के हिंसक रूप लेने के साथ ही कई राष्ट्रवादी नेता आंदोलन से अलग हो गए तथा शीघ्र ही आंदोलन समाप्त हो गया।

विद्रोह के कारण और परिणाम

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और सामंती व्यवस्था के खिलाफ आरंभ हुआ विद्रोह अंत में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक हिंसा के रूप में बदल गया।

  • मालाबार के निवासियों के बीच असहयोग आंदोलन तथा खिलाफत आंदोलन के संयुक्त संदेश को फैलाने के लिए, अगस्त 1920 में, गांधीजी तथा भारत में खिलाफत आंदोलन के नेता शौकत अली ने एक साथ कालीकट का दौरा किया।
  • गांधीजी के आ“वान पर, मालाबार में खिलाफत समिति का गठन किया गया तथा अपने धार्मिक नेता ‘पोंनानी वाले महादुम तंगल’ (Mahadum Tangal of Ponnani) के नेतृत्व में मोपलाओं ने असहयोग आंदोलन में सहयोग करने की शपथ ली।
  • अधिकांश बटाईदारों की समस्याएं, काश्तकारी की सुरक्षा, अत्याधिक लगान, नवीकरण शुल्क (Renewal Fees) तथा जमींदारों द्वारा अन्यायपूर्ण वसूली से संबंधित थीं।
  • ब्रिटिश सरकार द्वारा इस आंदोलन का कठोरतापूर्वक दमन किया गया तथा इस विद्रोह को कुचलने के लिए गोरखा रेजिमेंटों को लाया गया और मार्शल लॉ लागू कर दिया गया।