अहोम साम्राज्य: ऐतिहासिक महत्व

मार्च, 2021 में प्रधानमंत्री ने अहोम साम्राज्य (Ahom Kingdom) के सेनापति लाचित बोड़फुकन (Lachit Borphukan) को भारत की ‘आत्मनिर्भर सेना का प्रतीक’ की उपाधी दी।

लाचित बोड़फुकन

लाचित बोड़फुकन का जन्म 24 नवंबर, 1622 को हुआ था। इन्होंने वर्ष 1671 में हुए सराईघाट के युद्ध (Battle of Saraighat) में अपनी सेना का प्रभावी नेतृत्व प्रदान किया, जिससे मुगल सेना का असम पर कब्जा करने का प्रयास विफल हो गया था।

  • इनसे भारतीय नौसैनिक शक्ति को मजबूत करने, अंतर्देशीय जल परिवहन को पुनर्जीवित करने और नौसेना की रणनीति से जुड़े बुनियादी ढांचे के निर्माण की प्रेरणा ली गई।
  • राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (National Defence Academy) के सर्वश्रेष्ठ कैडेट को लाचित बोड़फुकन स्वर्ण पदक (The Lachit Borphukan Gold Medal) प्रदान किया जाता है।
  • इस पदक को वर्ष 1999 में रक्षा कर्मियों हेतु बोड़फुकन की वीरता से प्रेरणा लेने और उनके बलिदान का अनुसरण करने के लिये स्थापित किया गया था।
  • 25 अप्रैल, 1672 को इनका निधन हो गया।

संस्थापक

  • छोलुंग सुकफा (Chaolung Sukapha) 13वीं शताब्दी के अहोम साम्राज्य के संस्थापक थे, जिसने छह शताब्दियों तक असम पर शासन किया था। अहोम शासकों का इस भूमि पर नियंत्रण वर्ष 1826 की यांडाबू की संधि (Treaty fo Yandaboo) होने तक था।

राजनीतिक व्यवस्था

अहोमों ने भुइयां (जमींदारों) की पुरानी राजनीतिक व्यवस्था को कुचलकर एक नया राज्य बनाया।

  • अहोम राज्य बंधुआ मजदूरों (Forced Labour) पर निर्भर था। राज्य के लिये इस प्रकार की मजदूरी करने वालों को पाइक (Paik) कहा जाता था।

समाज

अहोम समाज को कुल/खेल (Clan/Khel) में विभाजित किया गया था। एक कुल/खेल का सामान्यतः कई गांवों पर नियंत्रित होता था।

  • अहोम साम्राज्य के लोग अपने स्वयं के आदिवासी देवताओं की पूजा करते थे, फिर भी उन्होंने हिंदू धर्म और असमिया भाषा को स्वीकार किया। हालांकि अहोम राजाओं ने हिंदू धर्म अपनाने के बाद अपनी पारंपरिक मान्यताओं को पूरी तरह से नहीं छोड़ा।
  • अहोम लोगों का स्थानीय लोगों के साथ विवाह के चलते उनमें असमिया संस्कृति को आत्मसात करने की प्रवृत्ति देखी गई।

कला और संस्कृति

अहोम राजाओं ने कवियों और विद्वानों को भूमि अनुदान दिया तथा रंगमंच को प्रोत्साहित किया।

  • संस्कृत के महत्त्वपूर्ण कृतियों का स्थानीय भाषा में अनुवाद किया गया। बुरंजी (Buranjis) नामक ऐतिहासिक कृतियों को पहले अहोम भाषा में फिर असमिया भाषा में लिखा गया।

सैन्य रणनीति

अहोम राजा राज्य की सेना का सर्वोच्च सेनापति भी होता था। युद्ध के समय सेना का नेतृत्व राजा स्वयं करता था और पाइक राज्य की मुख्य सेना थी।

  • पाइक दो प्रकार के होते थे- सेवारत और गैर-सेवारत। गैर-सेवारत पाइकों ने एक स्थायी मिलिशिया (Militia) का गठन किया, जिन्हें खेलदार (Kheldar- सैन्य आयोजक) द्वारा थोड़े ही समय में इकट्टा किया जा सकता था।
  • अहोम सेना की पूरी टुकड़ी में पैदल सेना, नौसेना, तोपखाने, हाथी, घुड़सवार सेना और जासूस शामिल थे। युद्ध में इस्तेमाल किये जाने वाले मुख्य हथियारों में तलवार, भाला, बंदूक, तोप, धनुष और तीर शामिल थे।
  • अहोम सैनिकों को गोरिल्ला युद्ध (Guerilla Fighting) में विशेषज्ञता प्राप्त थी। ये सैनिक दुश्मनों को अपने देश की सीमा में प्रवेश करने देते थे, फिर उनके संचार को बाधित कर उन पर सामने और पीछे से हमला कर देते थे।