साबरमती आश्रमः सत्याग्रह के प्रतीक स्थल के रूप

दिसम्बर, 2021 में सरकार ने गुजरात राज्य के अहमदाबाद में स्थित सत्याग्रह का प्रतीक स्थल के रूप में स्थापित साबरमती आश्रम के ‘पुनरुद्धार’ (Restoration) तथा ‘नवीकरण’ (Renovation) का निर्णय लिया।

  • इस परियोजना के तहत आश्रम का 55 एकड़ तक विस्तार किया जाएगा, जिसके अंतर्गत सरकार गांधीजी के नाम पर एक विश्वस्तरीय स्मारक का निर्माण करना चाहती है। परियोजना पर कुल 1,200 करोड़ रुपए के व्यय का अनुमान है।
  • पुनर्विकास के तहत वर्ष 1917 में महात्मा गांधी के समय में बनाए गए सभी ‘विरासत भवनों को पुनर्स्थापित करना’ (Re-establishment of Heritage Buildings), वहां रहने वाले परिवारों को स्थानांतरित करना और आश्रम आने वालों के लिए गांधीजी के दर्शन और संदेश को जीवंत करना शामिल होगा।

आश्रम की स्थापना

दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद में महात्मा गांधी का पहला आश्रम 25 मई, 1915 को अहमदाबाद के कोचराब क्षेत्र में स्थापित किया गया था। आश्रम को 17 जून, 1917 को साबरमती नदी के तट पर स्थानांतरित कर दिया गया था।

  • इस आश्रम को लोकप्रिय रूप से ‘हरिजन आश्रम’ के नाम से भी जाना जाता है। यह आश्रम वर्ष 1917 से 1930 तक गांधी जी का निवास तथा भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख केंद्र रहा है।
  • भारत की स्वतंत्रता के लिए गांधी जी द्वारा चलाए गए सत्याग्रह आंदोलन की रणनीति के कारण इसे सत्याग्रह आश्रम भी कहा जाता है।

विरासत

आश्रम में रहते हुए गांधी जी ने आत्मनिर्भरता के अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए शारीरिक श्रम, कृषि और साक्षरता पर ध्यान केंद्रित करने वाले एक स्कूल का गठन किया था।

  • इसी आश्रम से 12 मार्च, 1930 को गांधी जी ने ब्रिटिश नमक कानून के विरोध में आश्रम से 78 साथियों के साथ 387 किलोमीटर लंबी प्रसिद्ध दांडी मार्च की शुरुआत की थी।
  • गांधी जी ने इसी दौरान प्रतिज्ञा की थी कि जब तक भारत को स्वतंत्रता नहीं मिल जाती वे आश्रम लौट कर नहीं आएंगे।
  • शुरुआत में इसे ‘सत्याग्रह आश्रम’ कहा जाता था, जोकि महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए ‘सत्याग्रह’/‘निष्क्रिय प्रतिरोध’ आंदोलन को दर्शाता है। यह आश्रम, भारत को स्वतंत्र कराने वाली विचारधारा का घर बन गया था।

‘स्वतंत्रता संग्राम’ में भूमिका

  • जीवन जीने की पद्धति, खेती, पशुपालन, गौ पालन, खादी और संबंधित रचनात्मक गतिविधियों की प्रयोग-भूमिः गांधी के लिए स्वतंत्रता का मतलब, केवल ब्रिटिश शासन से आजादी नहीं था, बल्कि सामाजिक बुराइयों से मुक्ति और सत्याग्रही जीवन-शैली जीने की स्वतंत्रता था। साबरमती में उन्होंने इस जीवन-शैली को विकसित किया था।
  • श्रम में गरिमा का विचारः आम जनता का उत्थान, स्वतंत्रता आंदोलन में अंतर्भूत था। ‘स्वच्छता अभियान’, एक नए भारत के गांधीवादी विचार का एक हिस्सा बन गया और गांधी जी एवं कस्तूरबा जी दोनों साबरमती आश्रम में स्वयं सफाई करते थे।
  • विद्यालयः आश्रम में रहते हुए, गांधी ने आत्मनिर्भरता संबंधी अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए शारीरिक श्रम, कृषि और साक्षरता पर ध्यान केंद्रित एक विद्यालय की स्थापना की। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, ब्रिटिश स्कूलों के विकल्प के रूप में कई भारतीय स्कूल खोले गए।
  • दांडी मार्चः 12 मार्च 1930 को, साबरमती आश्रम से गांधी जी ने ब्रिटिश नमक कानून के विरोध में प्रसिद्ध दांडी मार्च (78 साथियों के साथ) शुरू किया।
  • नेताओं का घरः विनोबा भावे और मीराबेन जैसे स्वतंत्रता सेनानी यहां रहते थे।

ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक विरासतों का पुनर्विकास एवं पुनरुद्धारः एक विश्लेषण

  • ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत स्थलों का संरक्षण निश्चित तौर पर महत्वपूर्ण है, क्योंकि ऐसे कई स्थल पुराने हो जाते हैं तथा मौसम जनित आपदाओं का भी इन पर गंभीर असर होता है।
  • लेकिन संरक्षण एवं पुनर्विकास की परियोजना बनाते समय यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि विरासत को तोड़ा-मरोड़ा ना जाए तथा पुनरुद्धार तथा पुनर्विकास की गतिविधियां उनकी ऐतिहासिकता को प्रभावित न किया जाए।
  • पुनर्विकास तथा पुनरुद्धार संबंधी कार्य प्रारंभ करने से पहले सरकारों को निश्चित तौर पर पुरातत्ववेत्ताओं तथा इतिहासकारों से सलाह लेनी चाहिए।

वर्तमान में आश्रम की प्रासंगिकता

साबरमती आश्रम, हमें आशावान और आशावादी होने की याद दिलाता है। यह बताता है कि, हमें अत्यधिक प्रतिकूल परिस्थितियों में भी महात्मा गांधी की परिकल्पना को विफल नहीं होने देना है।

  • यह आश्रम गांधी जी की सच्ची स्मृति, उनके शुद्ध सत्य और उनके जीवन के तरीके के रूप में, उनकी अत्यंत विनम्रता का प्रतीक है।
  • यह आश्रम, आज भी एक ऐसे व्यक्ति के सत्य और नम्रता के आदर्शों का प्रतीक है जो कभी वहां रहा और राष्ट्र के लिए जिया और राष्ट्र के लिए मर गया हो वह व्यक्ति जो चाहता था, कि भारत जैसे महान राष्ट्र द्वारा इन उच्च आदर्शों को हमेशा ऊंचा रखा जाए।