मौजूदा समय में ‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर बहस का मुद्दा जोरों पर है। कुछ राजनीतिक दल इसके पक्ष में नजर आते हैं तो कुछ विरोध् में और कुछ ने अभी इस पर अपनी राय जाहिर नही की है।
पृष्ठभूमि
यह विचार वर्ष 1983 से अस्तित्व में है, जब चुनाव आयोग ने पहली बार इसे प्रस्तावित किया था। हालांकि वर्ष 1967 तक एक साथ चुनाव भारत में प्रतिमान थे।
लाभ
चुनौतियाँ
इसकी राह में सबसे बड़ी चुनौती लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को समन्वित करने की है, ताकि दोनों का चुनाव निश्चित समय के भीतर हो सके।
अनुच्छेद 83: इसमें कहा गया है कि लोकसभा का कार्यकाल उसकी पहली बैठक की तिथि से पांच वर्ष का होगा।
अनुच्छेद 85: यह राष्ट्रपति को लोकसभा भंग करने का अधिकार देता है।
अनुच्छेद 172: इसमें कहा गया है कि विधानसभा का कार्यकाल उसकी पहली बैठक की तिथि से पांच वर्ष का होगा।
अनुच्छेद 174: यह राज्य के राज्यपाल को विधानसभा भंग करने का अधिकार देता है।
अनुच्छेद 356: यह केंद्र सरकार को राज्य में संवैधानिक मशीनरी की विफलता के मद्देनजर राष्ट्रपति शासन लगाने का अधिकार देता है।