मौर्यकाल में दो तरह की कला शैलियां दृष्टिगत होती है- राजकीय कला एवं लोक कला। राजकीय कला के दर्शन राजभवन, विशाल पाषाण स्तंभों तथा गुहा चैत्यों के रूप में होते है। लोक कला अथवा जनसाधारण की कला मिट्टी तथा काष्ठ निर्मित है।
स्थापत्य कलाः मेगास्थनीज के अनुसार गंगा और सोन नदी के संगम पर बसे पाटलिपुत्र नगर का आकार एक समानांतर चतुर्भुज के समान था। नगर चारों ओर से काष्ठ की बनी दीवार से घिरा था, जिसमें 570 बुर्ज तथा चौंसठ द्वार थे।
शैल गुहाएं: मौर्य सम्राट अशोक तथा उसके पौत्र दशरथ की सात शैल गुहाएं मिली है, जिनमें चार बराबर पहाड़ी में हैं और तीन नागार्जुनी पहाड़ी में। सामूहिक रूप से इन्हें ‘सतघर’ कहते हैं। इन गुहाओं में बराबर पहाड़ी में स्थित लोमेश ऋषि तथा सुदामा गुहाएं विशेष उल्लेखनीय हैं। नागार्जुनी गुहाओं में गोपी गुहा सबसे विशाल है।
प्रस्तर स्तंभः मौर्य काल की सर्वोत्कृष्ट कृतियां अशोक के एकाश्मक प्रस्तर स्तंभ है। ये स्तंभ संकिसा, निग्गलिसागर (लुम्बिनी), वैशाली, सारनाथ, सांची, कोसल, रामपुरवा, प्रयाग, लौरिया नंदनगढ़, टोपरा इत्यादि स्थानों से प्राप्त हुए हैं। इन स्तंभों की मुख्य विशेषता चमकीला पॉलिश है।
एकाश्म वेदिकाः सारनाथ में अशोक के स्तूप के चारों ओर एक पाषाण वेदिका प्राप्त हुई है।
पशु आकृतियां: स्तंभों के शीर्ष की पशु मूर्तियों और धौली (उड़ीसा) की हाथी की मूर्ति का विशेष महत्व है।
लोक कलाः लोक कला की परंपरा उत्तरी भारत, बिहार तथा उड़ीसा से मिले स्वतंत्र रूप से स्थापित मूर्तियों में दृष्टिगत होती है। इनमें से अधिकांशतः यक्ष-यक्षिणियों की है, जो अपने साथ विशिष्ट अभिघटन कला की परंपरा संजोये हुए है। इनमें सर्वाधिक उल्लेखनीय परखम (मथुरा जिला) के निकट बड़ौदा से प्राप्त विशाल यक्ष मूर्ति एवं दूसरी परखम से ही प्राप्त यक्ष मूर्ति है।
मौर्योत्तर स्थापत्य कला
स्थापत्य कलाः शुंग-सातवाहन काल में कला का काफी विकास हुआ। इस काल के स्थापत्य कला के प्रमुख उपांग हैः गिरि गुफा एवं स्तूप।
गिरि गुफाएं: इस काल में पत्थर की चट्टानों को काटकर गुहाओं का निर्माण किया गया।
उदयगिरि-खंडगिरि गुफाएं: ओडिशा में खंडगिरि एवं उदयगिरि की पहाड़ियों में कला के चिह्न मिलते हैं। खंडगिरि की पहाड़ी में 16 (नव गिरि गुफा, देवसभा, अनंत गुफा आदि) एवं उदयगिरि की पहाड़ी में 19 (रानी गुफा, गणेश गुफा, हाथी गुफा, व्याघ्र गुफा आदि) गुफाएं हैं। इनमें रानी गुफा सबसे बड़ी है।
बौद्ध गिरि गुफाएं
पश्चिम भारत में सातवाहन तथा शकों के राज्यकाल में बौद्ध भिक्षुओं के निवास के लिए गिरि गुफाओं का निर्माण किया गया।
स्तूप
शुंग काल में भरहुत, सांची और बोधगया के प्रसिद्ध बौद्ध स्तूपों का संस्कार हुआ।